Science Archives - https://notesjobs.in/category/science/ A Way Towards Success Mon, 06 May 2024 07:49:30 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://notesjobs.in/wp-content/uploads/2023/03/cropped-cropped-site-logo-32x32.jpg Science Archives - https://notesjobs.in/category/science/ 32 32 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) https://notesjobs.in/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%89%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a5%8b/ https://notesjobs.in/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%89%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a5%8b/#respond Sun, 11 Jun 2023 01:43:43 +0000 http://notesjobs.in/?p=1202 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन  प्रदान करके महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है  ताकि वे रसोई में उनके स्वास्थ्य में कोई समझौता या जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए असुरक्षित क्षेत्रों में भटकने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बलिया, उत्तर प्रदेश में 1 मई, 2016 को ... Read more

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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन  प्रदान करके महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है  ताकि वे रसोई में उनके स्वास्थ्य में कोई समझौता या जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए असुरक्षित क्षेत्रों में भटकने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बलिया, उत्तर प्रदेश में 1 मई, 2016 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। इस योजना के तहत 5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन अगले 3 साल में प्रति कनेक्शन Rs.1600 की सहायता के साथ बीपीएल परिवारों को प्रदान किया जाएगा। महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करना, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, कनेक्शन वाले परिवारों की महिलाओं के नाम पर जारी किए जाएंगे। 8000 करोड़ रु योजना के क्रियान्वयन के लिए आवंटित किया गया है। बीपीएल परिवारों की पहचान  सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना आंकड़ों के माध्यम से किया जाएगा। पेट्रोलियम मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह ने गुजरात में दाहोद में इस योजना के द्वारा शुभारंभ  किया गया।

आवेदन कैसे करे

बीपीएल परिवार की एक महिला, निकटतम एलपीजी वितरक के लिए एक नया रसोई गैस कनेक्शन (निर्धारित प्रारूप में) के लिए आवेदन कर सकते हैंआवेदन फार्म जमा करते समय, औरत विस्तृत पता, जन धन और बैंक खाता आधार घर के सभी सदस्यों की संख्या प्रस्तुत करने की जरूरत है। कनेक्शन आवेदन के प्रसंस्करण के बाद पात्र लाभार्थियों को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा जारी किया जाएगा

 

 

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सजीवों के प्रमुख लक्षण sajeevon ke pramukh lakshan https://notesjobs.in/sajeevon-ke-pramukh-laksh/ Wed, 04 Nov 2020 04:24:53 +0000 https://notesjobs.in/?p=8426 sajeevon ke pramukh lakshan सजीवों के प्रमुख लक्षण sajeevon ke pramukh lakshan jeev vigyaan kee pramukh do shaakhaen hotee hai – 1. vanaspati jagat (botany) : jeev vigyaan kee vah shaakha jisake antargat ped paudhon ka adhyayan kiya jaata hai vanaspati jagat kahalaata hai. thriyophrestas (thaiophrastus) ko vanaspati vigyaan ka janak kahate hai. 2. jantu ... Read more

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sajeevon ke pramukh lakshan




सजीवों के प्रमुख लक्षण sajeevon ke pramukh lakshan

jeev vigyaan kee pramukh do shaakhaen hotee hai –

1. vanaspati jagat (botany) : jeev vigyaan kee vah shaakha jisake antargat ped paudhon ka adhyayan kiya jaata hai vanaspati jagat kahalaata hai.

thriyophrestas (thaiophrastus) ko vanaspati vigyaan ka janak kahate hai.

2. jantu vigyaan (zoology) : jeev vigyaan kee vah shaakha jisake antargat praaniyon ka adhyayan kiya jaata hai use jantu vigyaan kahate hai.

arastu ko jeev vigyaan ka janak kahate hai.

arastu ko jeev vigyaan ka janak bhee kahate hai. laimaark ne sarvapratham jeev vigyaan shabd ka prayog kiya tha.

jeev (organism) : jeev ek ya ek se adhik koshikaon ka bana vah sangathan hai jisame baahy va aantarik vrddhi hotee hai. vikaas hota hai ! chetana hotee hai aur apane jaisa pratiroop banaane kee kshamata hotee hai , vah jeev kahalaata hai.

sajeevon ke pramukh lakshan
1. sabhee sajeev vrddhi karate hai : jeevon ke bhaar va sankhya mein vrddhi hotee hai , yah vrddhi jeevon mein aantarik hotee hai. jeevon ke bhaar va lambaee mein vrddhi koshika vibhaajan dvaara hota hai.
2. sajeev prajanan karate hai : sabhee sajeev apanee jaati va apane asthitv ko banaaye rakhane ke lie apane samaan santaan utpann karate hai.
udaaharan : khachchar , shramik madhumakkhee napunsak maanav aadi.
3. sajeev upaapachay kriyaen karate hai : sabhee sajeevon mein hajaaron upaapachay kriyaen hotee hai. poshan , paachan , svaangeekaran aadi ye jeevon kee spasht abhilaakshaanik gun hai.
4. sajeevon mein uttejana va chetana paayee jaatee hai : jeevon mein apane aas paas ke vaataavaran ya paryaavaran ke bhautik ,raasaayaniko tatha jaivik uddeepano ke prati pratikriya karate hai arthaat uttejana va chetana karate hai.
jeev jagat mein maanav svachetana rahata hai arthaat apane aap se avagat hai.
5. jeevon ka nishchit aakaar va aakrti hotee hai.
6. jeevon mein jaivik kriyaen jaise shvashan , utsarjan , prakaash sanshleshan aadi kriyaen hotee hai.
7. jeevon mein vibhinnata , anukoolata , samanvay gatiyaan , jeevan sangharsh aadi kriyaen hotee hai.
8. jeevon kee antat mrtyu hotee hai.




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kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति https://notesjobs.in/kaary-oorja-shakti/ https://notesjobs.in/kaary-oorja-shakti/#respond Tue, 28 Jan 2020 14:22:55 +0000 http://notesjobs.in/?p=4799 kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति बल बल वह भौतिक कारक है जो किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन कर सकता है अन्यथा परिवर्तन करने का प्रयास करता है, बल कहलाता है। बल को F से दर्शाया जाता है। बल का C.G.S. मात्रक डाइन होता है। बल ... Read more

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kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति

kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति
बल
बल वह भौतिक कारक है जो किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन कर सकता है अन्यथा परिवर्तन करने का प्रयास करता है, बल कहलाता है।
बल को F से दर्शाया जाता है।
बल का C.G.S. मात्रक डाइन होता है।
बल का S.I. मात्रक न्यूटन होता है।
1 N = 10^5 dyne
कार्य
जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वस्तु विस्थापित हो जाए तो वस्तु पर लगाए गए बल तथा उत्पन्न विभवांतर का अदिश गुणनफल कार्य कहलाता है। इसे W से दर्शाते हैं।
कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन
W = F.S
Special Cases-
Case 1. If ●=0 हो
अर्थात बल तथा विस्थापन एक ही दिशा में हो-
W = FS Cos ●
W = FS Cos 0°
W = FS
इसे धनात्मक कार्य कहते हैं।
उदाहरण जब घोड़ा गाड़ी को खींचता है तो घोड़े द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
Case 2. If ●=180° हो
अर्थात बल तथा विस्थापन एक दूसरे के विपरीत दिशा में हो-
W = FS Cos ●
W = FS Cos 180°
W = FS (-1)
W = -FS
इस स्थिति में किया गया कार्य ऋणात्मक तथा न्यूनतम होता हैं।
उदाहरण जब चलती हुई कार के अचानक ब्रेक लगाए जाते हैं तो कार्य ऋणात्मक होता है।
Case 3. If ●=90° हो
अर्थात बल तथा विस्थापन एक दूसरे के लम्बवत हो-
W = FS Cos ●
W = FS Cos 90°
W = FS (0)
W = 0
इसे शुन्य कार्य कहते हैं।
उदाहरण वृत्ताकार पथ में गति कर रहे किसी कण पर अभिकेंद्रीय बल द्वारा किया गया कार्य शुन्य होता है।
Note यदि किसी वस्तु पर कितना भी बल आरोपित किया जाए परंतु वस्तु विस्थापित ना हो तो किया गया कार्य शुन्य होता है।
कार्य एक अदिश राशि है।
कार्य के मात्रक
(1) C.G.S. मात्रक
W= FS
W= dyne × cm
= Arg
(2) S.I. मात्रक
W= FS
W= N × M
= Jule
1 जूल की परिभाषा
W= FS J
यदि f= 1N और S = 1M
तब W= 1J
अर्थात किसी वस्तु पर 1N का बल लगाने पर वह 1M विस्थापित होती हैं तो किया गया कार्य 1 जूल होता है।
ऊर्जा
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
ऊर्जा के प्रकार
(1) रासायनिक ऊर्जा
रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा कहते हैं।
जैसे कोयला, भोजन, रसोई गैस आदि।
(2) विद्युत ऊर्जा
विद्युत आवेशों के कारण गतिमान ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा कहते हैं।
जैसे घरों में प्रयुक्त उपकरण रेडियो, टीवी और फ्रिज।
(3) ऊष्मा ऊर्जा
ऊष्मा के कारण सूक्ष्म कणों में निहित ऊर्जा को उसमें ऊर्जा कहते हैं।
जैसे आग की चिमनी।
(4) गुरुत्वीय ऊर्जा
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को गुरुत्वाकर्षण बल के कारण अपनी और आकर्षित करती हैं अतःपृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण प्राप्त ऊर्जा को गुरुत्वीय ऊर्जा कहते हैं।
जैसे गुरुत्वीय ऊर्जा के कारण ही झरनों तथा नदियों में पानी ऊपर से नीचे उतरता है।
(5) नाभिकीय उर्जा
नाभिकीय विखंडन और संलयन के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।
(6) यांत्रिक ऊर्जा
किसी वस्तु की गति, स्थिति अथवा अभिविन्यास के कारण प्राप्त ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
अथवा
गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा को सम्मिलित रूप से यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
यांत्रिक ऊर्जा 2 प्रकार की होती हैं
गतिज ऊर्जा
किसी वस्तु में गति के कारण प्राप्त ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा की गणना
W =F. S ( न्यूटन की गति के द्वितीय नियम से)
F = ma
समी.(1) से –
W = mas ……….. (2)

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विद्युत धारा https://notesjobs.in/vidyut-dhaara/ https://notesjobs.in/vidyut-dhaara/#respond Sun, 20 Oct 2019 11:44:09 +0000 http://notesjobs.in/?p=4604 विद्युत धारा विद्युत आवेश किसी पदार्थ का वह मूलभूत गुण जो पदार्थ में विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी होता है, विद्युत आवेश कहलाता है। → आवेश का संबंध इलेक्ट्रॉनों से होता है। → आवेश दो प्रकार के होते हैं:- (1) धनावेश (2) ऋणावेश → जब किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉन प्रवेश ... Read more

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विद्युत धाराविद्युत धारा

विद्युत आवेश

किसी पदार्थ का वह मूलभूत गुण जो पदार्थ में विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी होता है, विद्युत आवेश कहलाता है।
→ आवेश का संबंध इलेक्ट्रॉनों से होता है।
→ आवेश दो प्रकार के होते हैं:- (1) धनावेश (2) ऋणावेश
→ जब किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉन प्रवेश करते हैं तो वह ऋणावेशित हो जाती है।
→ जब किसी वस्तु से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलते हैं तो वह धनावेशित हो जाती हैं।
→ समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
→ विपरीत प्रकृति के आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
→ आवेश का मात्रक को कुलाम होता है।
→ इलेक्ट्रॉन पर आवेश -1.6×10-19 C होता है। प्रोटॉन पर आवेश 1.6×10-19 C होता है।
→ न्यूट्रॉन पर आवेश शून्य होता है।

विद्युत क्षेत्र

किसी आवेश या आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी अन्य आवेश को लाने पर वह बल का अनुभव करता है, विद्युत क्षेत्र कहलाता है।

विद्युत धारा

आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। माना Q आवेश t समय में प्रभावित हो रहा है। तब विद्युत धारा = आवेश/ समय होता है।
विद्युत धारा का मात्रक = कूलाम / सेकंड =Amp होता है।
विद्युत धारा का प्रवाह इलेक्ट्रॉन के कारण होता है तथा विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन दिशा के विपरीत होती हैं।
1 एम्पीयर धारा :-
I = Q/t Amp
यदि Q = 1c
t = 1sec
I = 1 Amp
अर्थात, किसी विद्युत परिपथ में 1 कूलाम आवेश 1 सेकंड में प्रभावित होता है तो उसे 1 एंपियर विद्युत धारा कहते हैं।

विद्युत परिपथ :-

विद्युत धारा के बंद तथा सतत पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं।
विद्युत परिपथ के अवयव :-
अमीटर:-
वह व्यक्ति जो परिपथ में विद्युत धारा का मापन करती है, अमीटर कहलाती है।
इसे चालक तार के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इसका पाठ्यांक कम होता है।
इसका परिपथ संकेत निम्न होता है।
वोल्टमीटर :-
वह युक्ति जो परिपथ में विद्युत या विभवांतर का मापन करती है, वोल्टमीटर कहलाती है।
इसका पाठ्यांक उच्च होता है।
इसे बैटरी के समांतर क्रम में जोड़ा जाता है।
इसका परिपथ सुनके तो निम्न होता है

धारा नियंत्रक:-  वह शक्ति जो परिपथ में धारा को नियंत्रित करती है धारा नियंत्रक कहलाती हैं इसका परिपथ संकेत निम्न है

कुंजी :-   स्विच स्थितियां होती है चालू कुंजी जीता तथा बंदकुंजी
बैटरी सेल बल्ब

विद्युत विभवांतर:-  जब एकांक धन आवेश को विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया गया कार्य तथा आवेश का अनुपात बिंदुओं के बीच विभवांतर का नाता है माना क्यों आवेश को दो बिंदुओं बिंदु 2018 तक लाने में डब्लू कार्य किया जाता है तब इनके मध्य विभवांतर विभवांतर बरोबर कार्य बट आवेश विभवांतर का मात्रक नाम प्रति गुलाम बराबर वर्ल्ड लोन

विद्युत विभव:-

एकांक धन आवेश को अनंत से विद्युत संयंत्र के विरुद्ध किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य तथा आवेश का वर्णन बाद विद्युत विभव कहलाता है

अन्य विषयों के नोट्स हिंदी में

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Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics https://notesjobs.in/chapter-3-synthetic-fibres-and-plastics/ https://notesjobs.in/chapter-3-synthetic-fibres-and-plastics/#respond Tue, 24 Sep 2019 00:17:04 +0000 http://notesjobs.in/?p=4568 Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics * Short answer type questions: Q.1. It is suggested not to burn plasties and Synthetic fibres. Why? Ans Burning a plastics and synthetic fibres produces poisonous gases which are harmful and causes environmental pollution. So it is suggested not to burn plastics and ... Read more

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Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics
* Short answer type questions:
Q.1. It is suggested not to burn plasties and Synthetic fibres. Why?
Ans Burning a plastics and synthetic fibres produces poisonous gases which are harmful and causes environmental pollution. So it is suggested not to burn plastics and synthetic fibres.
Q. 2. What is thermoplastic ? Explain with examples .
Ans – The plastics which get moulded easily on heating and which can be bent is called Thermoplastic. They can be bent to make different new items. For example – PVC, polythene, polystyrene etc.
Q. 3. Terycot are made by mixing two types of fibres. Write the name of these fibres.
Ans Terycot are made by mixing two fibres – synthetic and natural fibre j.e. teryleně and cotton.
Q. 4. What is biodegradable substances ?
Ans The substances which dissociate into simpler, harmless substances in the environment are known as biodegradable substances. For example – paper, clothes, fruits and vegetable peels, cardboards etc.



Q. 5. What is polymerisation ?
Ans Poly means ‘mamy’ and mer means ‘part’. Synthetic fibre is a chain small units join together and each small unit is a chemical substance. Many such small units combined to form a large single unit called polymer. This process is called polymerisation. For example — polythene, PVC, cellulose etc.
* Long answer type questions:
Q. 1. Write the use of synthetic fibre in our daily life.
Ans Synthetic fibre are made by human – beings through artificial methods
1. Rayon is mixed with cotton to make bedsheets or mixed with wool to make beautiful carpets.
2. Nylon is used in making ropes which are used in rock climbing and parachutes .
3. Stocking, seatbelts, ropes, tents, toothbrushes, sleeping bag, curtains etc. are made up of nylon
4. Polyester is used for making clothes.
5. Synthetic fibres are more shiny and soft.
6. Synthetic fibres soak less water and dry up easily.
Q. 2. ”Avoid the use of plastics as far as possible.” Comment on this advice.
Ans. Despite of being very useful, plastic is not environmental friendly. It does not get completely burn and not easily decompose by micro – organisms polybags of chips or biscuits, other eatables thrown on the road or in parkswhich are responsible for clogging the drains. These plastic bags when swallowed by animals, it chokes the respiratory system of animals and form Mining in their stómach which causes death of animals, So to avoid these problems, use of cotton and jute bags are preferable.



Q. 3. How is synthetic fibre nylon prepared ? Write various properties of nylon.
Ans. Nylon is made by mixing adipic acid and hexamethy lene diamine. It is completely synthetic fibre.
It has following properties:-
1. Nylon is strong elastic in nature and light in weight.
2. It is lustrous and can be cleaned easily .
3. The clothes made from nylon does not get wrinkled easily and stable for long time.
4. Nylon is durable.
5. It soak less water and dry up easily.



6. Clothes of nylon does not have thread of cloth worn.
7. They do not need extra care.

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RAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहण https://notesjobs.in/rain-water-harvesting/ https://notesjobs.in/rain-water-harvesting/#respond Thu, 11 Apr 2019 00:49:29 +0000 http://notesjobs.in/?p=3521 RAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहण RAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहण                                                                                          ... Read more

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RAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहण

RAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहणRAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहण                                                                                                              Many thought that given the disadvantages and rising resistance against the multi-purpose projects, water harvesting system was a viable alternative, both socio-economically and environmentally. In ancient India, along with the sophisticated hydraulic structures, there existed an extraordinary tradition of water-harvesting system. People had in-depth knowledge of rainfall regimes and soil types and developed wide ranging techniques to harvest rainwater, groundwater, river water and flood water in keeping with the local ecological conditions and their water needs. In hill and mountainous regions, people built diversion channels like the ‘guls’ or ‘kuls’ of the Western Himalayas for agriculture. ‘Rooftop rainwater harvesting’ was commonly practised to store drinking water, particularly in Rajasthan. In the flood plains of Bengal, people developed inundation channels to irrigate their fields. In arid and semi-arid regions, agricultural fields were converted into rain fed storage structures that allowed the water to stand and moisten the soil like the ‘khadins’ in Jaisalmer and ‘Johads’ in other parts of Rajasthan.

वर्षा जल संग्रहण

बहुत से लोगों का मानना है कि बहुउद्देशीय परियोजनाओं के अलाभप्रद असर और उन पर उठे विवादों के चलते वर्षाजल संग्रहण तंत्र इनके सामाजिक-आर्थिक और पारिस्थितिक तौर पर व्यवहार्थ विकल्प हो सकते हैं। प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जलीय निर्माणों के साथ-साथ जल संग्रहण ढाँचे भी पाए जाते थे। लोगों को वर्षा पद्धति और मृदा के गुणों के बारे में गहरा ज्ञान था। उन्होंने स्थानीय पारिस्थितिकीय परिस्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल, भौमजल, नदी जल और बाढ़ जल संग्रहण के अनेक तरीके विकसित कर लिए थे। पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रें में लोगों ने ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ (पश्चिमी हिमालय) जैसी वाहिकाएँ, नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं। पश्चिमी भारत, विशेषकर राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षा जल संग्रहण’ का तरीका आम था। पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते थे। शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रें में खेतों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाए जाते थे ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके और संरक्षित जल को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सके। राजस्थान के जिले जैसलमेर में ‘खादीन’ और अन्य क्षेत्रें में ‘जोहड़’ इसके उदाहरण हैं।

 

In the semi-arid and arid regions of Rajasthan, particularly in Bikaner, Phalodi and Barmer, almost all the houses traditionally had underground tanks or tankas for storing drinking water. The tanks could be as large as a big room; one household in Phalodi had a tank that was 6.1 metres deep, 4.27 metres long and 2.44 metres wide. The tankas were part of the well-developed rooftop rainwater harvesting system and were built inside the main house or the courtyard. They were connected to the sloping roofs of the houses through a pipe. Rain falling on the rooftops would travel down the pipe and was stored in these underground ‘tankas’. The first spell of rain was usually not collected as this would clean the roofs and the pipes. The rainwater from the subsequent  showers was then collected.

राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रें विशेषकर बीकानेर, फलोदी और बाड़मेर में, लगभग हर घर में पीने का पानी संग्रहित करने के लिए भूमिगत टैंक अथवा ‘टाँका’ हुआ करते थे। इसका आकार एक बड़े कमरे जितना हो सकता है। फलोदी में एक घर में 6-1 मीटर गहरा, 4-27 मीटर लंबा और 2-44 मीटर चौड़ा टाँका था। टांका यहाँ सुविकसित छत वर्षाजल संग्रहण तंत्र का अभिन्न हिस्सा होता है जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता था। वे घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नलों से होकर भूमिगत टाँका तक पहुँचता था जहाँ इसे एकत्रित किया जाता था। वर्षा का पहला जल छत और नलों को साफ करने में प्रयोग होता था और उसे संग्रहित नहीं किया जाता था। इसके बाद होने वाली वर्षा का जल संग्रह किया जाता था।

 

The rainwater can be stored in the tankas till the next rainfall making it an extremely reliable source of drinking water when all other sources are dried up, particularly in the summers. Rainwater, or palar pani, as commonly referred to in these parts, is considered the purest form of natural water. Many houses constructed underground rooms adjoining the ‘tanka’ to beat the summer heat as it would keep the room cool.

टाँका में वर्षा जल अगली वर्षा ट्टतु तक संग्रहित किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ट्टतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनाता है। वर्षाजल अथवा ‘पालर पानी’ जैसा कि इसे इन क्षेत्रें में पुकारा जाता है, प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप समझा जाता है। कुछ घरों में तो टाँको के साथ भूमिगत कमरे भी बनाए जाते हैं क्योंकि जल का यह स्रोत इन कमरों को भी ठंडा रखता था जिससे ग्रीष्म ट्टतु में गर्मी से राहत मिलती है।

 

Today, in western Rajasthan, sadly the practice of rooftop rainwater harvesting is on the decline as plenty of water is available due to the perennial Indira Gandhi Canal, though some houses still maintain the tankas since they do not like the taste of tap water. Fortunately, in many parts of rural and urban India, rooftop rainwater harvesting is being successfully adapted to store and conserve water. In Gendathur, a remote backward village in Mysuru, Karnataka, villagers have installed, in their household’s rooftop, rainwater harvesting system to meet their water needs. Nearly 200 households have installed this system and the village has earned the rare distinction of being rich in rainwater. See Fig. 3.6 for a better understanding of the rooftop rainwater harvesting system which is adapted here. Gendathur receives an annual precipitation of 1,000 mm, and with 80 per cent of collection efficiency and of about 10 fillings, every house can collect and use about 50,000 litres of water annually. From the 200 houses, the net amount of rainwater harvested annually amounts to 1,00,000 litres.

 

यह दुख की बात है कि आज पश्चिमी राजस्थान में छत वर्षाजल संग्रहण की रीति इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध बारहमासी पेयजल के कारण कम होती जा रही है। हालाँकि कुछ घरों में टाँकों की सुविधा अभी भी है क्योंकि उन्हें नल के पानी का स्वाद पसन्द नहीं है। सौभाग्य से आज भी भारत के कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रें में जल संरक्षण और संग्रहण का यह तरीका प्रयोग में लाया जा रहा है। कर्नाटक के मैसूरु जिले में स्थित एक सूदूर गाँव गंडाथूर में ग्रामीणों ने अपने घर में जल आवश्यकता पूर्ति छत वर्षाजल संग्रहण की व्यवस्था की हुई है। गाँव के लगभग 200 घरों में यह व्यवस्था है और इस गाँव ने वर्षा जल संपन्न गाँव की ख्याति अर्जित की है। यहाँ प्रयोग किए जा रहे वर्षा जल संग्रहण ढाँचों के बारे में अधिक जानकारी के लिए चित्र 3-4 को देखें। इस गाँव में हर वर्ष लगभग 1,000 मिलीमीटर वर्षा होती है और 10 भराई के साथ यहाँ संग्रहण दक्षता 80 प्रतिशत है। यहाँ हर घर लगभग प्रत्येक वर्ष 50,000 मीटर जल का संग्रह और उपयोग कर सकता है। 200 घरों द्वारा हर वर्ष लगभग 1000,000 लीटर जल एकत्रित किया जाता है।

RAIN WATER HARVESTING वर्षा जल संग्रहण

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Ohm’s Law https://notesjobs.in/ohms-law/ https://notesjobs.in/ohms-law/#respond Mon, 18 Mar 2019 01:20:20 +0000 http://notesjobs.in/?p=3456 Ohm’s Law In 1827 a German physicist Georg Simon Ohm found out the relationship between the current and potential difference which is known as Ohm’s Law. Ohm’s Law The potential difference (V) across the end of a given metalic wire in an electric circuit is directly porpotional to the current flowing through it provided its ... Read more

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Ohm’s Law

In 1827 a German physicist Georg Simon Ohm found out the relationship between the current and potential difference which is known as Ohm’s Law.

Ohm’s Law

The potential difference (V) across the end of a given metalic wire in an electric circuit is directly porpotional to the current flowing through it provided its temperature remains the same. this is called Ohm’s Law.

potential difference  ∝  electric current                                                                            V  ∝      I

The resistance of a conductor isthe ratio of the flowing current. Its  S.I. unit is Ohm. Represented by the Greek letter  Ω                                               

                                if                             V ∝ I

V–I graph for a nichrome wire.

 Potential difference   = Resistance X Current

Resistance = potential difference / Current

Define 1 Ohm.

If the potential difference across the two ends of a conductor is volt and current through it is 1 A. Then the resistance R , of the conductor is 1 Ohm

1 Ohm = 1 volt / 1 ampere

The current through a resistor is inversely porpotional to its resistance.

What is variable resistance?

A component used to regulate current without changing the voltage source is called variable resistance.

Which device is used to change resistance in the circuit?

A device called rheostat is often used to change the resistance in the circuit.

The electron are not completely free to move within a conductor. They are restrained by the attraction of the atoms among which they move.

Motion of electron through a conductor is resistance is a good conductor.

A componnt of a given size that offer a low resistance is a good conductor.

A conductor having some appereiable resistance is called a resistor.

A component of identical e tat offer a higher resistance is a poor conductor.

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Manav Tantra मानव तंत्र https://notesjobs.in/vigyan-adhyay-2-manav-tantr/ https://notesjobs.in/vigyan-adhyay-2-manav-tantr/#respond Sun, 13 Jan 2019 13:32:58 +0000 http://notesjobs.in/?p=3382  शरीर = हमारे शरीर की सबसे छोटी क्रियात्मक इकाई कोशिका तथा कोशिकाओं के समूह उत्तर कहलाते हैं उत्तक मिलकर अंग बनाते हैं अंग मिलकर तंत्र बनाते हैं तथा शरीर

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Manav Tantra मानव तंत्र

Manav Tantra मानव तंत्र

शरीर = हमारे शरीर की सबसे छोटी क्रियात्मक इकाई कोशिका तथा कोशिकाओं के समूह उत्तर कहलाते हैं उत्तक मिलकर अंग बनाते हैं अंग मिलकर तंत्र बनाते हैं तथा शरीर के सारे तंत्र मिलकर मानव शरीर की रचना करते हैं

वह तंत्र जहां पर पाचन की क्रिया संपन्न होती है पाचन तंत्र कहलाता है
जटिल भोज्य पदार्थों को सरल पदार्थों में रूपांतरित करने की प्रक्रिया पाचन कहलाती है
जटिल पदार्थ शरीर द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते हैं इसलिए इनका सरल पदार्थों में बदलना आवश्यक है
पाचन की क्रिया में विभिन्न एंजाइम की सहायता से जटिल को सरल में बदला जाता है
आहार नली
इसका पहला भाग मुख होता है
आहार नली की लंबाई 8 से 10 मीटर होती है
आहार नली के तीन कार्य है
आहर का पाचन
पचित आहार का अवशोषण
आहार को मुख से मलद्वार तक पहुंचाना
ग्रंथियों के द्वारा विभिन्न प्रकार के एंजाइम आहार नली में भेजे जाते हैं जो भोजन का पाचन करते हैं
विभिन्न स्तरों पर संवरणी पेशिया भोजन भोजन रस तथा अपशिष्ट की गति को नियंत्रित करती है
आहार नाल के अंग
मुख
मुख के द्वारा भोजन को ग्रहण किया जाता है
आहार नाल का अग्र भाग जो कटोरे नुमा मुख गुहा में खुलता है
मुख गुहा को आगे दो मसल हॉट आंतरिक ऊपरी कठोर तालु में निचले कोमल तालु इसे अंदर से गिरा रहता है
मुख गुहा में दांत और जीभ पाई जाती है
जीभ
मुख गुहा के चारो और गति करने वाला कैसे अंग जो फर्स्ट भाग में आधार तल से 1 जिले से जुड़ा होता है जिसे फ्रैनुलम लिंगुअल या जीहवा फ्रैनुलम कहते हैं
जीभ की ऊपरी सतह पर स्वाद कलिका ए पाई जाती है जो खट्टा मीठा नमकीन तथा कड़वे स्वाद का ज्ञान कराती है
दाँत
दांत मसूड़ों में धसे होते हैं इस कारण यह गर्तदंती कहलाते हैं
मनुष्य के जीवन काल में दो प्रकार के दांत आते हैं अतः इसे द्विबार दंती कहते हैं
छोटे बच्चों में अस्थाई दांत पाए जाते हैं जो बाद में स्थाई हो जाते हैं
कार्य के आधार पर दातों को चार भागों में बांटा गया है
कृंतक
रदनक
अग्र चवणृक
चवणृक
कृंतक दाँत सबसे आगे के दांत होते हैं जो कुतरने तथा काटने का कार्य करते हैं यह छह महा की उम्र में निकलते हैं
चवणृक यह दांत भी भोजन चबाने में सहायक होते हैं प्रथमतः यह 12 से 15 महा की उम्र में निकलते हैं प्रत्येक जबड़े में 6 – 6 पाए जाते हैं। 

 

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Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani परमाणु की संरचना एवं आवर्त सारणी https://notesjobs.in/paramanu-ki-sanrachana-avart-sarani/ https://notesjobs.in/paramanu-ki-sanrachana-avart-sarani/#respond Thu, 29 Nov 2018 14:59:20 +0000 http://notesjobs.in/?p=3322 Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani परमाणु की संरचना एवं आवर्त सारणी महर्षि कणाद के अनुसार पदार्थ को छोटे छोटे टुकड़ों में लगातार विभाजित करने पर अंत में प्राप्त सूक्ष्म कण परमाणु होते हैं। पकुधा काव्यायाम के अनुसार इन सूक्ष्म कणों के संयुक्त होने से पदार्थ के अलग-अलग रूप प्राप्त होते ... Read more

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Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani



Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani

परमाणु की संरचना एवं आवर्त सारणी

महर्षि कणाद के अनुसार पदार्थ को छोटे छोटे टुकड़ों में लगातार विभाजित करने पर अंत में प्राप्त सूक्ष्म कण परमाणु होते हैं।

पकुधा काव्यायाम के अनुसार इन सूक्ष्म कणों के संयुक्त होने से पदार्थ के अलग-अलग रूप प्राप्त होते हैं।

डेमोक्रिटस एवं ल्यूसीपस नामक ग्रीक दार्शनिक ने इन सूक्ष्म तम अविभाज्य कणों को Atoms कहा जो के ग्रीक भाषा के atomio से लिया गया है। जिसका अर्थ है अविभाज्य ।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत:-

1 जॉन डाल्टन एक ब्रिटिश स्कूल अध्यापक थे सन 1808 में जॉन डाल्टन के परमाणु सिद्धांत दिया।



डाल्टन के परमाणु के मुख्य अभिग्रहीत:-

1 प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं।
2 परमाणु अविभाज्य कणहोते हैं।
3 एक ही तत्व के सभी परमाणु समान अर्थात भार आकार व रासायनिक गुण धर्मों में समान होते हैं। 
4 भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु भार आकार व रासायनिक गुण धर्मों में भिन्न-भिन्न होते हैं। 
5 अलग अलग तत्वो के परमाणु सदैव छोटी-छोटी पूर्ण संख्याओं के सरल अनुपात में संयोग कर योगिक बनाते हैं।
6 रासायनिक अभिक्रिया में परमाणु केवल पुनः व्यवस्थित होते हैं इन्हें रासायनिक अभिक्रिया द्वारा ना तो बनाया जा सकता है ना ही नष्ट किया जा सकता है।

डाल्टन के सिद्धांत की कमियां:-

डाल्टन परमाणु में उपस्थित और छोटे-छोटे कणों के विद्यमान होने की बात बताने में असमर्थ रहा।

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थॉमसन का परमाणु मॉडल:-

1 परमाणु का सबसे पहला मॉडल 1898 मैं सर जेजे थॉमसन द्वारा प्रस्तुत किया।
2 थॉमसन के अनुसार परमाणु 10 ^10 मीटर के आकार का धन आवेशित गोला होता है।
3 धन आवेश के समान मात्रा में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन वितरित होते हैं।
4 थॉमसन के मॉडल को प्लम पुडिंग का मॉडल भी कहते हैं।
5 थॉमसन के अनुसार परमाणु क्रिसमस केक, बूंदी के लड्डू , तरबूज की तरह भी समझा जाता है।

थॉमसन मॉडल का निष्कर्ष:-

1 थॉमसन के अनुसार परमाणु में धन आवेश तथा ऋण आवेश समान मात्रा में वितरित होते हैं।
2 परमाणु विद्युत उदासीन होते हैं।



थॉमसन मॉडल की कमियां:-

1 यह मॉडल रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग को नहीं समझा सका जिससे यह सिद्धांत शीघ्र ही निरस्त कर दिया गया।
2 वर्तमान में यह सिद्धांत केवल ऐतिहासिक महत्व का रह गया।

नील्स बोर की परिकल्पना:-

1 नील्स बोर में 1913 मैं परमाणु मॉडल की परिकल्पना प्रस्तुत की।
नील्स बोर ने अपने परमाणु मॉडल में निम्नलिखित सात परिकल्पना प्रस्तुत की
1 परमाणु के केंद्र में नाभिक होते हैं जिसमें धन आवेशित कण प्रोटॉन उपस्थित होते हैं
2 इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और निश्चित त्रिज्या एवं ऊर्जा वाले पथ में गति करते हैं यह निश्चित ऊर्जा वाले पथ कक्षा कोश या ऊर्जा स्तर कहलाते है।
3 यह कक्षाएं नाभिक के चारों ओर स केंद्रीय रूप में व्यवस्थित होते हैं इन्हें n से दर्शाया जाता है तथा क्रमशः K ,L,M,N से दर्शाया जाता है
4 जैसे-जैसे n आन का मान बढ़ता है वैसे वैसे कक्षाओं की दूरी एवं उनके ऊर्जा भी बढ़ती जाती है
Note . K कक्षा की उर्जा सबसे कम होती है
5 इन कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग mrv =h/2π या का गुणांक होता है यहां h= प्लांक स्थिरांक m= इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान v= इलेक्ट्रॉन का वेग r= कक्षा की त्रिज्या है। इलेक्ट्रॉन केवल उन्हें कक्षाओं में गति कर सकता है जिनका कोणीय संवेग nh/2π के बराबर हो
6 बोर के अनुसार एक निश्चित कक्षा में चक्कर लगाने पर इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है
7 इलेक्ट्रॉन द्वारा परमाणु के बाहर से किसी प्रकार की ऊर्जा का अवशोषण करने अथवा उत्सर्जन करने पर रेखीय स्पेक्ट्रम का निर्माण होता है।



 

बोर मॉडल की कमियां:-

1 अधिक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु प्रतिरूप को इस मॉडल से स्पष्ट नहीं किया जा सकता।
2 परमाणु का रैकेट स्पेक्ट्रम एक से अधिक लाइनों में बटा होता है जिसका कारण बोर मॉडल से स्पष्ट नहीं हो सका।
3 यह परमाणु द्वारा रासायनिक बंध बनाकर अणुबनाने की प्रक्रिया को स्पष्ट करने में असफल रहा।

परमाणु में रैकेट स्पेक्ट्रम का निर्माण कैसे होता है?
इलेक्ट्रॉन जब परमाणु के बाहर से किसी प्रकार की ऊर्जा का अवशोषण करता है तो उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर मैं चला जाता है यदि इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तो उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न उर्जा स्तर की कक्षा में आ जाता है इस प्रकार परमाणु में इलेक्ट्रॉन द्वारा इसकीउर्जा अवशोषण व उत्सर्जन से रेखिक स्पेक्ट्रम का निर्माण होता है।



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Physical and Chemical Changes https://notesjobs.in/physical-chemical-changes/ https://notesjobs.in/physical-chemical-changes/#respond Wed, 12 Sep 2018 13:33:54 +0000 http://notesjobs.in/?p=3248 Physical and Chemical Changes   this is about physical and chemical changes I’m going to do some things here on my kitchen table and you need to be a science detective and identify the physical and chemical changes that you see here and then we will finish off with our top three exam oriented questions ... Read more

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Physical and Chemical Changes

 

this is about physical and chemical changes I’m going to do some things here on my kitchen table and you need to be a science detective and identify the physical and chemical changes that you see here and then we will finish off with our top three exam oriented questions on this topic before we start let’s do a quick recap on physical and chemical changes in a physical change no new substance is formed and it’s reversible but in a chemical change a new substance is formed and it’s irreversible so the two important questions to ask yourself when deciding the type of change are is a new substance formed is it irreversible if the answer to both of these questions is yes then it’s a chemical change otherwise it’s a physical change so watch carefully the things I’m doing here and you try to classify them as a physical change or a chemical change so are you ready let’s start I’ll start by lighting this candy here now I’m going to make some lemonade I’ll show you my recipe hopefully it turns out good so first cut the lemon I need powdered sugar so I’m going to crush this raw sugar in the grinder here then mix the powdered sugar and water stir it so that the sugar dissolves nicely in the water now squeeze some lemon and add a pinch of salt let’s drop in some ice cubes I’ll wait for the ice cubes to melt so that the lemonade becomes cool now let me enjoy the lemonade it’s perfect and refreshing the candle is still burning can you see the wax that has melted here are you ready with your answers in all the changes you saw these are the chemical changes in these changes some new substances are formed and here are the physical changes in these changes no new substances are formed a burning candle is an interesting example where both physical and chemical changes are taking place the physical change is the melting of the wax and the chemical change is the burning of the candle now that we’ve looked at the examples of physical and chemical changes let’s look more closely at the differences between the two for physical change we’ll use the simple example of melting of ice and for chemical change we’ll use the example of burning of a candle the first difference is that in physical change no new substances are formed so for example when ice melts you get water it may look different but chemically it’s the same it’s h2o if we try to represent the melting with a reaction it would look like this as you can see it’s water h2o on both sides only the state is changing from solid to liquid in chemical changes new substances are formed so in the burning of the candle what are the new substances that are produced the candle is a hydrocarbon and on burning it gives out carbon dioxide and water vapor of course we can’t see that because they are colorless gases here is the simple unbalanced equation for burning of a candle as you can see in the equation the hydrocarbon is combining with oxygen and producing carbon dioxide and water vapor the second differences that physical changes are reversible they’re temporary for example the melting of ice is temporary we can easily reverse it by refreezing the water back chemical changes on the other hand are irreversible they are permanent for example the burning of candle is a permanent change because once the candle is burnt there’s no way we can get it back let’s add these two important differences between physical and chemical changes on our concept board the third difference is regarding mass in a physical change the mass of the substance remains the same but in a chemical change the mass of the substance generally changes let’s go ahead and verify this with the help of a simple experiment in this experiment let’s measure the mass of the ice cubes before and after melting first let’s measure the mass of the ice cubes as you can see it’s 33 grams now I’m going to let the ice melt after all the ice has melted to water as you can see the mass is still 33 grams so in a physical change the mass remains same in a chemical change the mass of the substance generally changes let’s verify this with a simple experiment for the experiment I’m going to use this new candle and we are going to measure its mass before burning it and after burning the candle I’m using this small candle because otherwise it’s going to take a long time to burn so first let’s measure the mass of the unburned candle the mass of the unburned candle is 10 grams now I’m going to light the candle you now let’s measure its mass after burning we are left with only three grams of the candle so the mass of the candy has reduced by seven grams but doesn’t this violate the law of conservation of mass the law of conservation of mass states that matter can neither be created nor destroyed so the mass should remain constant even for a chemical change but

 in this case we saw that the mass of the candle is decreasing so how can you explain that well the reason is we’ve been only looking at the mass of the candle we haven’t accounted for the gaseous products because when a candle burns carbon dioxide and water vapor are produced and there are gases they go off into the atmosphere and we not accounted for their mass so this experiment is done in a different way let’s say we burn the candle in a closed container like this then what do you think the reading is going to be that’s right the mass of the container and the reactants will be the mass of the products and the container so then the law of conservation of mass is going to be satisfied the last difference is regarding energy now this is the confusing one because you find it expressed in different ways in different textbooks in both physical and chemical changes energy may be given up or it may be absorbed but the amount of energy in physical changes is much smaller compared to chemical changes for example when you burn wood you start the reaction with a small mass stick so with a little amount of energy but then we end up with a lot of energy in the form of heat and light if you compare that to a physical change like melting of ice or boiling of water energy is absorbed there but it’s much smaller compared to chemical changes let’s spin the last two differences between physical and chemical changes on our concept board so what do you think is the most important difference here that’s right new substances are produced during a chemical change but in a physical change nothing new is formed the irreversible point is not the most important one because a physical change can be irreversible what are some examples cutting of a lemon or breaking of a glass these are irreversible changes but since nothing new is formed they are

 classified as a physical change for a chemical change something new needs to be produced now that we are done with the concept of physical and chemical changes are you ready for the top three questions on this topic coming up for you right now.

 

 

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