हड़प्पा सभ्यता के नगरों में सिंचाई व्यवस्था बहुत ही उन्नत थी। हड़प्पावासी अपने खेतों में सिंचाई के लिए नहरों, कुओं, और बावड़ियों का उपयोग करते थे।
- नहरें: हड़प्पा के नगरों के आसपास नहरों का एक व्यापक नेटवर्क था। ये नहरें नदियों और झीलों से पानी लेती थीं और उन्हें खेतों तक पहुंचाती थीं। हड़प्पा के सबसे प्रसिद्ध नहरों में से एक मोहनजोदड़ो की “महान नहर” है, जो लगभग 12 किलोमीटर लंबी थी।कुएँ: हड़प्पा के नगरों में कुओं का भी व्यापक उपयोग किया जाता था। कुएँ पानी के लिए एक प्रमुख स्रोत थे, और वे सिंचाई के लिए भी उपयोग किए जाते थे। हड़प्पा के कुओं को बहुत ही कुशलता से बनाया जाता था। वे आमतौर पर लगभग 10 मीटर गहरे होते थे, और उनके मुख को पत्थरों से मजबूत बनाया जाता था।बावड़ियाँ: हड़प्पा के नगरों में बावड़ियों का भी निर्माण किया जाता था। बावड़ियाँ जल संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन थीं, और वे सिंचाई के लिए भी उपयोग की जाती थीं। हड़प्पा के सबसे प्रसिद्ध बावड़ियों में से एक लोथल की “महान बावड़ी” है, जो लगभग 100 मीटर लंबी और 20 मीटर चौड़ी है।
हड़प्पा की सिंचाई व्यवस्था इतनी उन्नत थी कि इससे खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो पाता था। इससे हड़प्पावासी विभिन्न प्रकार की फसलें उगा पाते थे, जिनमें गेहूँ, जौ, चावल, और कपास शामिल थीं।हड़प्पा की सिंचाई व्यवस्था के कुछ महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
- नहरों का निर्माण बहुत ही कुशलता से किया गया था। नहरें सीधी और सपाट थीं, और उन्हें बारिश के पानी से नुकसान से बचाने के लिए मजबूत बनाया गया था।कुओं और बावड़ियों का निर्माण भी बहुत ही कुशलता से किया गया था। कुओं और बावड़ियों को पानी के स्तर के आधार पर बनाया जाता था, और उन्हें पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए चक्करों और वाल्वों से सुसज्जित किया जाता था।हड़प्पा के लोग सिंचाई के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करते थे। उन्होंने सिंचाई के लिए पाइपों, नलियों, और बांधों का उपयोग किया।
हड़प्पा की सिंचाई व्यवस्था एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इसने हड़प्पावासियों को एक समृद्ध और विकसित सभ्यता बनाने में मदद की।यहाँ हड़प्पा की सिंचाई व्यवस्था के कुछ विशिष्ट उदाहरण दिए गए हैं:
- मोहनजोदड़ो: मोहनजोदड़ो में, एक बड़ी नहर शहर के उत्तर-पश्चिमी भाग से होकर गुजरती थी। यह नहर एक छोटे से बांध से शुरू होती थी, जो एक झील से पानी लेती थी। नहर शहर के माध्यम से बहती थी, और यह खेतों को पानी देने के लिए उपयोग की जाती थी।लोथल: लोथल में, एक बड़ी बावड़ी शहर के केंद्र में स्थित थी। बावड़ी लगभग 100 मीटर लंबी और 20 मीटर चौड़ी थी। बावड़ी को शहर के पानी के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता था, और इसे सिंचाई के लिए भी उपयोग किया जाता था।धोलावीरा: धोलावीरा में, एक प्रणाली में कुओं और नहरों का उपयोग खेतों को पानी देने के लिए किया जाता था। कुओं से पानी को नहरों में ले जाया जाता था, और नहरों से पानी को खेतों तक पहुंचाया जाता था।
हड़प्पा की सिंचाई व्यवस्था एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इसने हड़प्पावासियों को एक समृद्ध और विकसित सभ्यता बनाने में मदद की।