राजस्थान
स्त्रियों के परिधान :-
घाघरा :-यह वस्त्र कमर से एडियों तक लम्बा होता था जो कपडे को कलियों में काटकर तथा चुन्नट के द्वारा ऊपर से संकरा तथा नीचे से चौडा बना होता था ।
कुर्ती एंव कांचली :-षरीर के ऊपरी हिस्सें पर स्त्रियों कुर्ती तथा कांचली धारण करती थी । कुर्ती बिना बांह की तथा कांचली बांहयुक्त होती थी ।
ओंढनी :-स्त्रियों घाघरा “कुर्ती एंव कॉचली को शरीर के अधोभाग एंव वक्षस्थल पर धारित करती थी । तथा सिर पर ओंढनी जो कि ढाई से तीन मीटर लम्बी तथा एक से डेढ मीटर चौडी होती थी ।को ओढती थी।
पोमचा :- यह प्राय पीले रंग की तथा लाल गोल कमल के फुल छपी हुई और किनारों पर लाल रंगी हुई आंढनी होती थी ।पोमचा प्राय प्रसूता स्त्री को घाघरा कुर्ती कांचली के साथ उसके पीहर वालों की तरफ से आता है।
लहरियॉ :- राजस्थान में श्रावण माह में खासतौर से तीज के अवसर पर स्त्रियों द्वारा पहनें जानें वाला वस्त्र है। कुछ मुसलमान महिलाए चूडीद्वार पायजामें के ऊपर तिलगा नामक वस्त्र पहन कर ऊपर से चूंदडी ओंढती है।