आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण संग्रहित एवं व्यवस्थित किए गए आंकड़ों को एक उचित प्रकार से प्रस्तुत करना आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण कहलाता है आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण सामान्यतः तीन प्रकार से होता है-
पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण
सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण
आरेखीय प्रस्तुतीकरण
आकड़ों का पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण
पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण में पाठ में ही आंकड़ों का विवरण दिया जाता है आंकड़ों का परिमाण बहुत अधिक ना होने पर प्रस्तुतीकरण का यह स्वरूप उपयोग में लिया जाता है
इस विधि में सबसे बड़ी कमी यह है कि इस में निहित आंकड़ों को समझने के लिए आपको पूरा पूरा पाठ पढ़ना होता है किंतु इसके माध्यम से प्रस्तुतीकरण के खास बिंदुओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत भी किया जा सकता है
आंकड़ों का सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण आंकड़ों के सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण में आंकड़ों को पंक्तियों तथा स्तंभों के रुप में प्रस्तुत किया जाता है आंकड़ों के सारणीयन का महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि आंकड़ों को सांखिकीय प्रयोग एवं उसके आधार पर निर्णय लेने के लिए व्यवस्थित करता है
सारणीयन में प्रयुक्त वर्गीकरण चार प्रकार के होते हैं —
गुणात्मक वर्गीकरण
मात्रात्मक वर्गीकरण
कालिक वर्गीकरण
स्थानिक वर्गीकरण
गुणात्मक वर्गीकरण गुणात्मक वर्गीकरण से तात्पर्य एकत्रित किए गए आंकड़ों की गुणात्मक विशिष्टता के साथ वर्गीकृत करना गुणात्मक वर्गीकरण कहलाता है जैसे की सामाजिक स्थिति भौतिक स्थिति राष्ट्रीयता यह विशिष्ट गुण है लिंग एवं स्थान आदि भी गुण है किन गुणों के आधार पर किया गया वर्गीकरण गुणात्मक वर्गीकरण कहलाता है
मात्रात्मक वर्गीकरण मात्रा तक मात्रात्मक वर्गीकरण मैं आंकड़ों का वर्गीकरण उनकी मात्रा उनकी संख्या के आधार पर किया जाता है अथार्त मात्रात्मक वर्गीकरण में आंकड़ों के गुणों का मात्रात्मक रूप से चित्रण किया जाता है मात्रात्मक वर्गीकरण कहलाता है विशेषताओं को दर्शाने के लिए सीमाएं निर्धारित कर के वर्गों का गठन किया जाता है जिन्हें वर्ग की माया कहते हैं मात्रात्मक वर्गीकरण में दिए गए आंकड़ों को इन वर्ग सीमाओं के अनुसार लिखना मात्रात्मक वर्गीकरण कहलाता है
कालिक वर्गीकरण कालिख वर्गीकरण में वर्गीकरण का आधार समय होता है तथा आंकड़ों को समय के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है इस समय घंटो दिनों हफ्तों महीनों वर्षों इत्यादि में हो सकता है स्थानिक वर्गीकरण आंकड़ों का ऐसा वर्गीकरण जिसमें वर्गीकरण का आधार स्थान हो तो उसे स्थानिक वर्गीकरण कहते हैं यह स्थान कोई गांव कस्बा जिला राज्य देश इत्यादि हो सकते हैं