भारतीय संस्कृति के संदर्भ में विविधतामे एक

यहाँ थोड़ा विस्तार से, पर फिर भी संक्षेप में उत्तर दिया गया है:**संक्षिप्त उत्तर –** भारतीय संस्कृति विविधता में एकता का अनुपम उदाहरण है। भारत में अनेक जातियाँ, धर्म, भाषाएँ, रहन-सहन, खानपान, नृत्य, संगीत, रीति-रिवाज़ और परंपराएँ हैं, फिर भी सभी भारतीयों में एक सांस्कृतिक एकता देखने को मिलती है। केरल में नारियल तेल और उत्तर भारत में सरसों का तेल, अलग-अलग भाषाएँ और त्योहारों की विविधता – ये सब भिन्नताओं को दर्शाते हैं, फिर भी सब एक सांझी भावना से जुड़े हैं।देश के विभिन्न हिस्सों में पाई जाने वाली पारंपरिक कलाएँ जैसे लखनऊ की चिकनकारी, पंजाब की फुलकारी, बंगाल की कढ़ाई, आदि क्षेत्रीय विविधताओं का प्रतीक हैं। भारत में प्राचीन समय से विभिन्न नृजातियाँ और विदेशी आक्रमणकारी आए, जैसे शक, हूण, मुगल और अंग्रेज, जो यहाँ की संस्कृति में समाहित हो गए। इससे हमारी संस्कृति में नये विचार, पहनावे और आचार-विचार जुड़े।भारत की विशाल भौगोलिक विविधता ने भी खानपान, वस्त्र, आवास, जीवनशैली को प्रभावित किया है। इसके बावजूद व्यापार, तीर्थयात्रा, युद्ध और सांस्कृतिक मेलजोल ने एकता की भावना को बनाए रखा। कला, संगीत, साहित्य और राजनीतिक संस्थाओं में यह एकता साफ दिखाई देती है। भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था भी इस सांस्कृतिक एकता को मजबूती देती है।इस प्रकार, भारत में विविधताओं के बावजूद एक सांझी संस्कृति, सोच और पहचान बनी हुई है जो इसे ‘विविधता में एकता’ का सशक्त उदाहरण बनाती है।अगर आप चाहें तो इसे और थोड़ा विस्तार या शैली में बदलाव भी किया जा सकता है।

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