मंदिर वास्तुकला की नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियाँ

यहाँ मंदिर वास्तुकला की नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियाँ: सरल भाषा में सम्पूर्ण जानकारी पर कॉलेज छात्रों के लिए सरल भाषा में नोट्स दिए गए हैं:


🛕 मंदिर वास्तुकला की तीन प्रमुख शैलियाँ

1. नागर शैली (उत्तर भारत)

  • स्थान: उत्तर भारत — हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत तक।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • मंदिर एक ऊँचे चबूतरे (वेदी) पर स्थित होते हैं।
    • शिखर (मीनार) सीधा और ऊँचा होता है, जो ऊपर की ओर पतला होता जाता है।
    • गर्भगृह के ऊपर शिखर स्थित होता है।
    • प्रवेश द्वार पर गोपुरम नहीं होते।
    • मंदिर की योजना चतुष्कोणीय होती है।
    • मंदिरों में मंडप और गर्भगृह एक ही अक्ष पर स्थित होते हैं।
  • प्रसिद्ध उदाहरण:
    • खजुराहो के मंदिर (मध्य प्रदेश)।
    • सूर्य मंदिर, मोढेरा (गुजरात)।
    • लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर (ओडिशा)।

2. द्रविड़ शैली (दक्षिण भारत)

मंदिर वास्तुकला की नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियाँ

मंदिर वास्तुकला की नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियाँ

  • स्थान: दक्षिण भारत — तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • मंदिर का आधार वर्गाकार होता है।
    • गर्भगृह के ऊपर पिरामिडनुमा शिखर (विमान) होता है।
    • प्रवेश द्वार पर विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार टॉवर) होते हैं।
    • मंदिर परिसर में प्राकार (चहारदीवारी) होती है।
    • मंदिर बहुमंजिला होते हैं।
    • मंडप (सभा मंडप) और नंदी मंडप होते हैं।
  • प्रसिद्ध उदाहरण:
    • बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर (तमिलनाडु)।
    • मीनाक्षी मंदिर, मदुरै (तमिलनाडु)।
    • होयसलेश्वर मंदिर, हलेबिदु (कर्नाटक)।

3. वेसर शैली (मिश्रित शैली)

  • स्थान: दक्षिण-मध्य भारत — कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • नागर और द्रविड़ शैलियों का संयोजन।
    • शिखर नागर शैली का और मंडप द्रविड़ शैली का होता है।
    • मंदिर की योजना तारा (स्टार) आकार की होती है।
    • स्तंभों, दरवाजों और छतों पर जटिल नक्काशी होती है।
    • मंदिरों में मंडप और गर्भगृह के बीच अंतराल होता है।
  • प्रसिद्ध उदाहरण:
    • विरुपाक्ष मंदिर, पट्टदकल (कर्नाटक)।
    • कैलाशनाथ मंदिर, एलोरा (महाराष्ट्र)।
    • हलेबिदु और बेलूर के मंदिर (कर्नाटक)।

📊 तुलना सारणी

विशेषतानागर शैली (उत्तर भारत)द्रविड़ शैली (दक्षिण भारत)वेसर शैली (मिश्रित)
स्थानउत्तर भारतदक्षिण भारतदक्षिण-मध्य भारत
शिखरसीधा और ऊँचापिरामिडनुमानागर शैली का
गोपुरमनहीं होतेविशाल और सजावटीद्रविड़ शैली का
मंडपगर्भगृह के सामनेगर्भगृह से जुड़े होते हैंद्रविड़ शैली का
योजनाचतुष्कोणीयवर्गाकार या अष्टकोणीयतारा (स्टार) आकार की
प्रसिद्ध उदाहरणखजुराहो, मोढेराबृहदेश्वर, मीनाक्षीविरुपाक्ष, कैलाशनाथ

📌 निष्कर्ष

भारतीय मंदिर वास्तुकला की ये तीन प्रमुख शैलियाँ — नागर, द्रविड़ और वेसर — भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाती हैं। इन शैलियों का अध्ययन भारतीय कला और स्थापत्य की गहराई को समझने में सहायक होता है।


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