कक्षा 9 हिंदी – श्यामाचरण दुबे: लेखक परिचय और प्रश्नोत्तर

श्यामाचरण दुबे का जन्म सन् 1922 में मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में पीएचडी की। वे भारत के प्रमुख समाज वैज्ञानिकों में माने जाते हैं। उनका निधन 1996 में हुआ।
प्रो. दुबे ने जीवन, समाज और संस्कृति पर गहन चिंतन और विश्लेषण किया। वे सरल भाषा में गूढ़ विषयों को तार्किक रूप से प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं: मानव और संस्कृति, परंपरा और इतिहास, भारतीय ग्राम, संक्रमण की पीड़ा, समय और संस्कृति आदि।
“उपभोक्तावाद की संस्कृति” निबंध में उन्होंने हमारे समाज में बढ़ती दिखावे की प्रवृत्ति, विज्ञापन-प्रेरित जीवनशैली और सामाजिक विषमता की समस्याओं को उजागर किया। उनका मानना था कि यह संस्कृति सामाजिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।
📌 One-Liner कक्षा 9 हिंदी – श्यामाचरण दुबे लेखक परिचय
Q1. श्यामाचरण दुबे का जन्म कब और कहाँ हुआ?
A: सन् 1922 में, बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में।
Q2. उन्होंने किस विषय में पीएचडी की?
A: मानव विज्ञान (Anthropology)।
Q3. उनका देहांत कब हुआ?
A: सन् 1996 में।
Q4. श्यामाचरण दुबे की लेखन शैली की विशेषता क्या है?
A: जटिल विचारों को तार्किक विश्लेषण के साथ सहज भाषा में प्रस्तुत करना।
Q5. उनकी प्रमुख कृतियाँ कौन-कौन सी हैं?
A: मानव और संस्कृति, परंपरा और इतिहास, भारतीय ग्राम, समय और संस्कृति आदि।
Q6. ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ निबंध में उन्होंने क्या बताया?
A: समाज में दिखावे, विज्ञापन प्रभाव और सामाजिक विषमता की चिंता व्यक्त की।
Q7. लेखक के अनुसार उपभोक्तावाद का सबसे बड़ा खतरा क्या है?
A: सामाजिक अशांति और विषमता का बढ़ना।
🔖 निष्कर्ष (Conclusion)
श्यामाचरण दुबे समाज विज्ञान के क्षेत्र में एक गंभीर चिंतक और लेखक थे। उनके लेखन से हमें भारतीय समाज, संस्कृति और आधुनिक जीवनशैली की जटिलताओं को समझने में सहायता मिलती है।
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