Nyaayapaalika न्यायपालिका

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Nyaayapaalika न्यायपालिका

सर्वोच्च न्यायालय का गठन कार्य एवं न्यायिक पुनरावलोकन

सर्वोच्च न्यायालय-
भारत का सर्वोच्च न्यायालय विश्व के सबसे शक्तिशाली न्यायालयों में से एक है। 1950 से लेकर वर्तमान तक न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। न्यायपालिका ने सदैव विवादों को कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत के तहत हल किया है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति-
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। न्यायाधीशों की नियुक्ति में सर्वोच्च न्यायालय और मंत्रिपरिषद भूमिका निभाते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के 99 संविधान संशोधन लव किए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को असंवैधानिक कर दिया।

न्यायाधीशों को पद से हटाना-
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटाने के लिए उनकी अयोग्यता या उनका अपराध साबित करना जरूरी है। संसद के सदस्यों में से मत ही ना हो किसी भी न्यायाधीश को उसके पद से नहीं हटाया जा सकता है।

न्यायपालिका की संरचना-
1 सर्वोच्च न्यायालय-
1 इसके फैसले सभी अदालतों को मानने पड़ते हैं।
2 सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का तबादला कर सकता है।
3 यह किसी भी मुकदमे को अपने पास बुला सकता है, एक उच्च न्यायालय के मुकदमों को दूसरे उच्च न्यायालय में भेज सकता है।

2 उच्च न्यायालय-
1 मौलिक अधिकारों को समाप्त करने के लिए रिट जारी कर सकता है।
2 राज्य स्तर के विवादों को हल करता है।
3 राज्य के सभी अदालतों पर नियंत्रण लगता है।

 

3 जिला न्यायालय- जिला स्तर के विवादों को हल करता है
4 अधीनस्थ न्यायालय- फौजदारी दीवानी विवादों को हल निकलता है

सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार-
1 मौलिक क्षेत्राधिकार- मौलिक क्षेत्राधिकार का मतलब कुछ मुकदमों की सुनवाई सीधे सर्वोच्च न्यायालय में हो सकती है उन मुकदमों की सुनवाई निचली अदालतों में होना जरुरी नहीं है इसमें केंद्र राज्य विवाद शामिल होते हैं
2 रिट् संबंधी अधिकार- मौलिक अधिकारों के उल्लंघन होने पर कोई भी व्यक्ति सीधा सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है सर्वोच्च न्यायलय अपने विशेष उद्देश्य के माध्यम से लेता है रिट के माध्यम से न्यायलय कार्यपालिका को आदेश दे सकता है
3 अपीलीय क्षेत्राधिकार- अपील करने का उच्चतम स्थान सर्वोच्च न्यायालय है कोई भी व्यक्ति उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है
4 सलाह संबंधी क्षेत्राधिकार- सलाह संबंधी क्षेत्राधिकार के तहत भारत का राष्ट्रपति किसी भी विषय को सर्वोच्च न्यायलय के पास सलाह के लिए भेज सकता है

 

न्यायिक सक्रियता- भारत में न्यायिक सक्रियता का साधन जनहित याचिका या सामाजिक व्यवहार याचिका है

न्यायपालिका और अधिकार-

1 न्यायपालिका का गठन व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करने के लिए किया गया है
2 सर्वोच्च न्यायलय बंदी प्रत्यक्षीकरण परमादेश आदि के माध्यम से मौलिक अधिकारों को पुनः स्थापित कर सकता है
3 उच्च न्यायलय को रीट जारी करने की शक्ति है
4 सर्वोच्च न्यायालय किसी कानून को अनुच्छेद 13 के तहत असंवैधानिक घोषित कर सकता है

 

न्यायपालिका और संसद-

1 न्यायपालिका ने संविधान उल्लंघन को रोका है
2 जो विषय पहले न्यायिक पुनरावलोकन में नहीं आते थे उंहें इस बारे में लिया गया है
3 न्यायपालिका नयाय स्थापित करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश दिए हैं
4 संसद कानून बनाने वा संविधान संशोधन का कार्य करती है
5 न्यायपालिका विवादों को सुलझाने के कार्य करती है
6 संसद मौलिक अधिकारों को सीमित नहीं रख सकता है अगर ऐसा होता है तो न्यायालय में अपील की जा सकती

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