मांग का नियम

मांग का नियम

मांग का नियम

धन की मात्रा सिद्धांत - फिशर कामांग का अर्थ एक उपभोक्ता की बहुत इच्छाएं होती हैं इनमें से किसी वस्तु की प्रभाव पूर्ण इच्छा को आवश्यकता कहा जाता है इसके लिए वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा इच्छा पूर्ति कर ले कर ले प्राप्त मुद्रा मुद्रा को वह करने की तत्परता आवश्यक होती है। इसके विपरीत किसी वस्तु की मांग में पांच तत्व शामिल होते हैं

(1) वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा

(2) इच्छा पूर्ति के लिए प्राप्त मुद्रा

(3) मुद्रा को व्यय करने की तत्परता

(4) निश्चित कीमत

(5) निश्चित समयावधि ।
आवश्यकता में प्रथम तीन तत्व ही शामिल किए जाते हैं, लेकिन किसी आवश्यकता को मांग तभी कहा जा सकता है जब इसमें उपरोक्त सभी पांचों तत्व शामिल हो ।
मांग को प्रभावित करने वाले तत्व
वस्तु की मांग केवल वस्तु की कीमत के द्वारा ही निर्धारित नहीं होती हैं, वस्तु की मांग पर वस्तु की कीमत का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। वस्तु की मांग वस्तु की कीमत के साथ विपरीत प्रभाव दर्शाती हैं, लेकिन कीमत के अलावा भी कई तत्व ऐसे हैं जो मांग को प्रभावित करते हैं यह तत्व निम्नलिखित हैं:-
(1)उपभोक्ता की आय:-
उपभोक्ता की आय अधिक होने पर सामान्यतया वस्तुओं की मांग बढ़ती है और आय में कमी होने पर मांग में कमी आती है।
(2) बाजार का आकार :-
किसी वस्तु का बाजार छोटा होने पर मांग कम होगी और बाजार बड़ा होने पर मांग अधिक होगी। बाजार का आकार जनसंख्या पर निर्भर करता है जनसंख्या वृद्धि होने पर मांग में भी वृद्धि होती है।
(3) स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता और उनकी कीमत :-
किसी वस्तु की मांग पर स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता और उनकी कीमतों का भी प्रभाव पड़ता है। यदि स्थानापन्न वस्तु की कीमत घट जाती है, तो उस वस्तु की मांग कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए कॉफी की कीमत घटने पर चाय की मांग कम हो जाएगी।
(4) पूरक वस्तुओं की उपलब्धता एवं उनकी कीमतें:-
पूरक वस्तुओं की कीमत बढ़ने पर इस वस्तु की मांग घट जाएगी। जैसे पेट्रोल की कीमत बढ़ जाने पर कार की मांग घट जाती है।
(5) रुचि एवं पसंद:-
किसी वस्तु की मांग उपभोक्ता की रुचि एवं पसंद पर भी निर्भर करती है और रुचियों पर विज्ञापन का भी प्रभाव पड़ता है, यह सभी फैशन से प्रभावित होती हैं इनमें परिवर्तन के परिणामस्वरुप मांग में परिवर्तन होता है।
(5) आय का वितरण :-
यदि राष्ट्रीय आय का वितरण गरीबों से धनी वर्ग के पक्ष में हो जाता है, तो विलासिता वस्तुओं की मांग बढ़ेगी जबकि गरीब घटिया वस्तुओं की मांग को बढ़ाने में विवश हो जाते हैं। इस प्रकार आय का वितरण भी मांग को प्रभावित करता है।
(7) भविष्य की कीमतों की प्रत्याशा:-
यदि युद्ध की आशंका हो तो भविष्य में कीमत बढ़ने की प्रत्याशा में उपभोक्ता वर्तमान में मांग को बढ़ाने लगते हैं। और वस्तु की वर्तमान मांग बढ़ जाती है। इस तरह भावी अनुमान भी मांग को प्रभावित करते हैं।
(8) विशेष स्थितियां:-
कई वस्तुओं की मांग विशेष स्थितियों में की जाती हैं। जैसे मिठाइयों की मांग त्योहारों के समय, छतरियों की मांग वर्षा ऋतु के समय, कूलर पंखों की मांग गर्मी के समय इत्यादि। इस प्रकार वस्तुओं की मांग पर विशेष परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है

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