जयपुर प्रजामंडल
* जयपुर प्रजामंडल *
* स्थापना :- इसकी स्थापना 1931 में हुई ।
* संस्थापक :– कपूरचंद पाटनी और जमनालाल बजाज
* पुनर्गठन :- 1936 ईस्वी में जमनालाल बजाज व हीरालाल शास्त्री के सहयोग से इसका पुनर्गठन किया गया ।
* अध्यक्ष :– 1938 में जमनालाल बजाज इस प्रजामंडल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
* विशेषताएं :–
12 मार्च 1939 को हीरालाल शास्त्री ने जयपुर दिवस मनाने की घोषणा की ।
यह राज्य का प्रथम प्रजामंडल था ।
इसके प्रथम अधिवेशन में “कस्तूरबा गांधी” ने भाग लिया ।
बाबा हरीशचंद्र शास्त्री, रामकरण जोशी व दौलतमंद भंडारी ने 1942 में “आजाद मोर्चे ” का गठन किया तथा “जयपुर में भारत छोड़ो” आंदोलन को प्रारंभ किया।
1945 में जवाहर लाल नेहरू की प्रेरणा से आजाद मोर्चे का प्रजामंडल में विलय हो गया ।
* जेंटलमेन्स एग्रीमेंट :– जयपुर प्रजामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष श्री हीरालाल शास्त्री एवं रियासत के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल के मध्य 1942 में समझौता हुआ , जिसके तहत महाराजा ने राज – काज में जनता को शामिल करने की अपनी नीति का उल्लेख किया।
1939 में प्रजामंडल को अवैध घोषित कर दिया गया।
* भारत छोड़ो आंदोलन एवं जयपुर प्रजामंडल :-
प्रजा मंडल के अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री ने जयपुर प्रजामंडल को भारत छोड़ो आंदोलन से पुन: अलग (निष्क्रिय) रखा ।
मार्च 1946 में विधानसभा में टीकाराम पालीवाल द्वारा प्रस्तुत राज्य में उत्तरदाई शासन स्थापित करने का प्रस्ताव पास कर दिया गया ।
फिर जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष देवी शंकर तिवारी को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
राजस्थान का पहला राज्य जयपुर बना जिसने अपने मंत्रिमंडल में गैर सरकारी सदस्य नियुक्त किए।
1 मार्च 1948 को जयपुर के प्रधानमंत्री वी.टी. कृष्णमाचारी ने संवैधानिक सुधारों की घोषणा की और मंत्रिमंडल का गठन किया।
वृहद राजस्थान के निर्माण (30 मार्च 1949) तक यही मंत्रिमंडल कार्य करता रहा ।
“चिड़ावा का गांधी” :– मास्टर प्यारेलाल गुप्ता को कहा जाता है।