Rajaneti Vigyan Nyaay राजनीति विज्ञान न्याय
Rajaneti Vigyan Nyaay
राजनीति विज्ञान न्याय
rajaneti vigyan
प्रश्न: 1 न्याय की अवधारणा सर्वप्रथम किसने दी ?
उत्तर: प्लेटो
प्रश्न: 2 प्लेटो ने अपने न्याय संबंधी विचार अपने किस पुस्तक में प्रस्तुत किए ?
उत्तर: रिपब्लिक
प्रश्न: 3 प्लेटो के अनुसार न्याय क्या है ?
उत्तर प्रत्येक मनुष्य द्वारा अपने निर्दिष्ट कार्य करना एवं दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप न करना ही न्याय हैं।
प्रश्न 4 सर्वप्रथम किस राजनीतिक विचारक ने व्यक्तिगत न्याय को सामाजिक न्याय से पृथक किया ?
उत्तर यूनानी दार्शनिक प्लेटो ने
प्रश्न 5 प्लेटो ने न्याय के कितने रूप बताएं ?
उत्तर प्लेटो ने न्याय के दो रूप बताएं – 1 सामाजिक न्याय 2 व्यक्तिगत न्याय
प्रश्न 6 “न्याय के विचार विमर्श में प्लेटो के राजनीतिक दर्शन के सभी तत्व निहित है।” उक्त कथन किसने कहा ?
उत्तर इबेंस्टीन ने
प्रश्न 7 प्लेटो ने मानवीय आत्मा के कितने तत्व बताएं?
उत्तर प्लेटो ने मानवीय आत्मा के तीन तत्व बताएं –
1विवेक/बुद्धि
2 शौर्य/साहस
3 तृष्णा/लालच।
प्रश्न 8 प्लेटो ने अपने न्याय सिद्धांत में समाज को कितनी श्रेणियों में रखा ?
उत्तर प्लेटो ने अपने न्याय सिद्धांत में समाज को तीन श्रेणियों में रखा –
1 अभिभावक वर्ग / शासक वर्ग
2 सैनिक वर्ग / रक्षक वर्ग
3 उत्पादक वर्ग / सहायक वर्ग ।
प्रश्न 9 “प्लेटो का न्याय नैतिक न्याय हैं न कि कानूनी न्याय। ” समझाइए।
उत्तर प्लेटो मानवीय आत्मा के तीन तत्वों के आधार पर समाज को तीन श्रेणियों में विभक्त करता है एवं समाज के प्रत्येक व्यक्ति से अपेक्षा करता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने प्रधान गुण / तत्व के आधार पर व्यवहार करेगा लेकिन इस हेतु प्लेटो व्यक्ति पर कोई कानूनी बाध्यता स्थापित नहीं करता । वे इसे उनकी नैतिकता पर छोड़ देता है इसलिए प्लेटो का न्याय नैतिक न्याय है ना कि कानूनी।
प्रश्न 10 अरस्तु ने न्याय के कितने रूप बताए हैं ?
उत्तर अरस्तु ने न्याय के 2 रूप बताएं हैं – 1 वितरणात्मक न्याय 2सुधारात्मक न्याय।
प्रश्न 11 वितरणात्मक न्याय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर अरस्तु वितरणात्मक न्याय के अंतर्गत शक्ति और संरक्षण का वितरण व्यक्ति की योग्यता एवं योगदान के अनुरूप करने की बात कहता है। अरस्तु के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को पद-प्रतिष्ठा और धन-संपदा का वितरण उसकी योग्यता व योगदान के अनुसार ही होना चाहिए। यह वितरण अंकगणितीय अनुपात से नही बल्कि रेखागणितीय अनुपात से होना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि इनमें से सबको बराबर हिस्सा नहीं मिलना चाहिए बल्कि प्रत्येक को अपनी-अपनी योग्यता के अनुसार हिस्सा मिलना चाहिए। इसे ही वितरणात्मक न्याय कहते हैं। सुधारात्मक न्याय नागरिक अधिकारों के हनन की रोकथाम पर बल देते है।
प्रश्न 12 “जिन राज्यों में न्याय विद्यमान नहीं है, वे केवल चोर उच्चको की खरीद-फरोख्त है” यह कथन किसने व किस पुस्तक में लिखा ?
उत्तर संत ऑगस्टाइन ने” द सिटी ऑफ गॉड” में लिखा।
प्रश्न 13 सुधारात्मक न्याय क्या है ?
उत्तर सुधारात्मक न्याय में राज्य का उत्तरदायित्व है कि वह व्यक्ति के जीवन, संपत्ति, सम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा करें। इस प्रकार वितरणात्मक न्याय से प्राप्त मनुष्य के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य द्वारा की गई व्यवस्था ही सुधारात्मक न्याय हैं।
प्रश्न 14 “द सिटी ऑफ गॉड” पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
उत्तर संत ऑगस्टाइन।
प्रश्न 15 व्यक्ति के द्वारा “ईश्वरीय राज्य” के प्रति कर्तव्य पालन को ही न्याय की संज्ञा किसने दी ?
उत्तर संत ऑगस्टाइन।
प्रश्न 16 “ईश्वरीय राज्य” सिद्धांत का प्रतिपादन किसने व किस पुस्तक में किया ?
उत्तर “ईश्वरीय राज्य” सिद्धांत का प्रतिपादन संत ऑगस्टाइन ने अपनी पुस्तक “द सिटी ऑफ गॉड” में किया ।
प्रश्न 17 थॉमस एक्विनास ने न्याय का मौलिक तत्व किसे माना ?
उत्तर: समानता को
प्रश्न 18 डेविड ह्यूम के अनुसार न्याय का स्त्रोत क्या होना चाहिए?
उत्तर डेविड के अनुसार न्याय का अर्थ नियमों की पालना मात्र है क्योंकि नियम सर्व-हित का आधार है। अतः “सर्व-हित” या “सार्वजनिक उपयोगिता” को न्याय का एकमात्र स्त्रोत होना चाहिए।
प्रश्न 19 उपयोगितावादी विचारक कौन थे ?
उत्तर जैरेमी बेंथम एवं जे. एस. मिल.।
प्रश्न 20 उपयोगितावाद का मूल मंत्र क्या था ?
उत्तर ‘अधिकतम लोगों का अधिकतम सुख’ उपयोगितावाद का मूल मंत्र था।
प्रश्न 21 जे एस मिल ने न्याय का मूल मंत्र किसे माना ?
उत्तर उपयोगिता को
प्रश्न 22 ‘ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस’ पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
उत्तर: जॉन रॉल्स
प्रश्न 23 जॉन रॉल्स ने उपयोगितावाद की आलोचना क्यों की ?
उत्तर जॉन रॉल्स ने उपयोगितावादियों के ‘अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख’ पर आधारित न्याय के सिद्धांत की आलोचना की क्योंकि यह सिद्धांत बहुमत की अलपमत पर तानाशाही स्थापित करता है।
प्रश्न 24 जॉन रॉल्स ने संवैधानिक लोकतंत्र में न्याय के कितने नैतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया ?
उत्तर जॉन रॉल्स में 2 सिद्धांतों का प्रतिपादन किया – 1 अधिकतम स्वतंत्रता स्वयं स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए आवश्यक है 2 अज्ञानता के पर्दे का सिद्धांत ।
प्रश्न 25 ‘अज्ञानता का पर्दा सिद्धांत’ किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर जॉन रॉल्स ने।
प्रश्न 26 भारतीय न्याय की अवधारणा किस पाश्चात्य न्याय दार्शनिक से मिलती है ?
उत्तर प्लेटो से।
प्रश्न 27 न्याय के भारतीय प्रतिपादक कौन थे ?
उत्तर मनु, कौटिल्य, बृहस्पति, शुक्र, भारद्वाज, विदुर व सोमदेव।
प्रश्न 28 जॉन रॉल्स ने सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए किस सिद्धांत की स्थापना की ?
उत्तर ‘अज्ञानता के पर्दे सिद्धांत’ की स्थापना की।
प्रश्न 29 प्लेटो के न्याय एवं भारतीय न्याय दर्शन में अंतर बताइए।
उत्तर प्लेटो का न्याय है कि मनुष्य को स्वयं का कार्य करना चाहिए और दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जो कि एक नैतिक न्याय है।
भारतीय चिंतन में न्याय की अवधारणा प्लेटो से मिलती जुलती है परंतु वह कानूनी है।
प्रश्न 30 कानूनी न्याय की धारणा किन दो बातों पर बल देती है ?
उत्तर (1) सरकार द्वारा निर्मित कानून न्यायोचित होने चाहिए।
(2) सरकार द्वारा ऐसे कानूनों को न्यायपूर्ण ढंग से लागू करने चाहिए।
प्रश्न 31 राजनीतिक न्याय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर राजनीतिक न्याय समानता पर आधारित होना चाहिए। राजनीतिक न्याय भेदभाव व असमानता को अस्वीकार करता है और लोक कल्याण पर आधारित होता है। राजनीतिक न्याय लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में ही प्राप्त किया जा सकता है। जैसे- व्यस्क मताधिकार, विचार, भाषण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बिना भेदभाव के सरकारी पद पर आसीन होने का अधिकार व अवसर प्राप्त होना आदि। किसी विशेष वर्ग को यह व्यक्ति को विशेष अधिकार प्रधान न करना भी राजनीतिक न्याय का एक गुण है। इसे ही राजनीतिक न्याय कहते हैं।
प्रश्न 32 सामाजिक न्याय से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर सामाजिक न्याय में सामाजिक स्थिति के आधार पर व्यक्तियों में भेदभाव न हो और प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के पूर्ण अवसर प्राप्त हो। सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता प्राप्त हो। जाति, धर्म, वर्ग, लिंग, नस्ल या अन्य किसी आधार पर नागरिकों में भेदभाव ना हो, इसे ही सामाजिक न्याय कहते हैं।
प्रश्न 33 न्याय का सिद्धांत किन व्यवस्थाओं में लागू नहीं होता ? अथवा न्याय के सिद्धांत के प्रमुख अपवाद बताइए।
उत्तर (1) शुद्ध सत्तावादी प्रणाली
(2) शुद्ध प्रतिस्पर्धात्मक प्रणाली
(3) काल्पनिक साम्यवादी समाज
प्रश्न 34 “आर्थिक न्याय के अभाव में सामाजिक व राजनीतिक न्याय अर्थहीन है” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर व्यक्ति को सर्वप्रथम आर्थिक न्याय प्रदान करना चाहिए अन्यथा वह सामाजिक व राजनीतिक न्याय के प्रयोग में सक्षम नहीं होगा। अगर व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो उसे सामाजिक व राजनीतिक न्याय प्राप्त करने में कोई मुश्किल नहीं आती है।