Sujh Ka Siddhant
सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत
इसका प्रतिपादन जर्मनी के मैक्स वर्दीमर ने किया था। इसे समग्राकृति सिद्धांत भी कहते हैं।
“किसी भी समग्राकृति की विशेषताएं केवल इसके व्यक्तिगत तत्वों द्वारा नहीं अपितु इसके आंतरिक संगठन या प्रकृति द्वारा निश्चित होती हैं।”
गेस्टाल्ड में आकार की पूर्णता पर ध्यान दिया जाता है, इसके विभिन्न अंगों पर नहीं। इसका कारण यह है कि अंगों की अपेक्षा संपूर्ण बड़ा होता है।
किसी समस्या को हल करते समय जब समाधान यकायक या अचानक ही हमारे मस्तिष्क में आता है तो यह तीव्र गति से होने वाला परिवर्तन ही अंतर्दृष्टि या सूझ कहलाता है।
गेस्टाल्टवादियों का कथन है कि “व्यक्ति अपनी संपूर्ण परिस्थिति को अपनी मानसिक शक्ति से अच्छी तरह समझ लेता है। और सहसा उसे ठीक ठीक करना सीख जाता है। ऐसा वह अपनी सूझ के कारण करता है।”
हम कुछ कार्यों को करके सीखते हैं और कुछ को दूसरों को करते हुए देख कर सीखते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम बिना बताए अपने आप सीख लेते हैं, इस प्रकार के सीखने को सूझ द्वारा सीखना कहते हैं।
गुड्स के अनुसार “सूझ वास्तविक स्थिति का आकस्मिक, निश्चित और तात्कालिक ज्ञान है।”
महत्व
(1) यह सिद्धांत सृजनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी है ।
(2) यह सिद्धांत बालकों की बुद्धि, कल्पना और तर्क शक्ति का विकास करता है।
(3) यह सिद्धांत गणित जैसे कठिन विषयों के शिक्षण में लाभप्रद है।
(4) क्रो एंड क्रो के अनुसार – यह सिद्धांत कला, संगीत और साहित्य की शिक्षा के लिए उपयोगी हैं।
(5) स्किनर के अनुसार – यह सिद्धांत आदत और सीखने के यांत्रिक स्वरूपों के महत्व को कम करता है।
(6) गेट्स के अनुसार – यह सिद्धांत बालक को स्वयं खोज करके नवीन ज्ञान का अर्जन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
(7) ड्रेवर के अनुसार – यह सिद्धांत बालक को किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उचित व्यवहार की चेतना प्रदान करता है।
सूझ द्वारा सीखने के विशेषताएं :-
(1) अंतर्दृष्टि किसी समस्या का हल ढूंढते समय अचानक उत्पन्न होती हैं। जैसे कई बार कोई कार्य करते समय हम अनेकों प्रयत्न करके उस कार्य को छोड़ देते हैं और अचानक ही उस समस्या का हल हमारे मस्तिष्क में आ जाता है।
(2) अंतर्दृष्टि द्वारा प्रत्यक्षीकरण में सहायता मिलती हैं। प्रत्यक्षीकरण में सूझ द्वारा जो परिवर्तन होता है, उसमें विचार एक प्रतिमान के रूप में दिखाई देने लगते हैं।
(3) अंतर्दृष्टि द्वारा सीखने में हाथ की कुशलता का इतना महत्व नहीं होता जितना की सूझ का होता है।
(4) प्राणियों की अपेक्षा मानव में उच्च बौद्धिक स्तर होने के कारण उसमें सूझ का विकास अधिक तीव्र गति से होता है।
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