Bharat aur Vaishvikaran भारत और वैश्वीकरण
Bharat aur Vaishvikaran भारत और वैश्वीकरण
वैश्वीकरण का अर्थ किसी एक देश का विश्व के दूसरे देश के साथ संस्कृति का आदान प्रदान करना वैश्वीकरण कहलाता है।
मौलिकता के आधार पर यह एक प्रवाह (हवा) है जो लगातार चलती रहती हैं।
वैश्वीकरण के कारण :-1 प्रौद्योगिकी के कारण, पहले फोन माइक्रोचिप इंटरनेट के कारण।
2 लोगों के द्वारा विदेश यात्राएँ करने के कारण।
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव :-
वैश्वीकरण के कारण अधोलिखित राजनीतिक प्रभाव पड़े हैं
1 वैश्वीकरण का सबसे अधिक प्रभाव राष्ट्रीय राज्यों पर पडा।
2 वैश्वीकरण के कारण राजनीतिक पर्यावरण पर प्रभाव पड़ा।
3 वैश्वीकरण के कारण विश्व में बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थापित हो चुकी हैं।
4 वैश्वीकरण का प्रभाव सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर पड़ता है।
5 वैश्वीकरण राष्ट्रीय राज्यों को कमजोर बनाता है।
वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव
1 वैश्वीकरण का सबसे अधिक प्रभाव विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।
2 वैश्वीकरण के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन पूंजीवादी देशों के प्रभाव में कार्य कर रही हैं।
3 वैश्वीकरण के कारण भारत, चीन और ब्राज़ल की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है।
4 वैश्वीकरण के कारण आर्थिक प्रवाह तेज हुआ है।
5 वैश्वीकरण के कारण आयात को बढ़ावा मिला है।
6 वैश्वीकरण के कारण पूंजीवादी देशों को अधिक फायदा हुआ है।
7 ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग के कारण वैश्वीकरण का क्षेत्र बढ़ रहा है।
8 वैश्वीकरण का सभी देशों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था में प्रगति हुई है तो कुछ देश आर्थिक रूप से पिछड़ गए हैं।
9 वैश्वीकरण के कारण आर्थिक सामाजिक न्याय नहीं हो सकता है।
Bharat aur Vaishvikaran
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव :-
1 वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक जीवन पर अधिक प्रभाव डाला है।
2 वैश्वीकरण का विश्व के देशों की संस्कृतियों पर प्रभाव पड़ रहा है।
3 वैश्वीकरण का सबसे अधिक नुकसान परंपरागत संस्कृति को है।
4 वैश्वीकरण के कारण पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है।
5 इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि सांस्कृतिक बाधाओं को हटाने का कार्य कर रहे हैं।
भारत पर वैश्वीकरण का प्रभाव
भारत में वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने की। इसके कुछ सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव हुए हैं।
सकारात्मक प्रभाव:-
1 1991 में भारत ने नई आर्थिक नीति अपनाई।
2 पूंजीवादी बाजार और वित्तीय सुधारों के लिए कदम उठाए।
3 आयात निर्यात नीति में सुधार किया।
4 विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता हासिल की।
5 प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार किया।
6 प्रत्यक्ष विदेश विनिमय में वृद्धि हुई।
नकारात्मक प्रभाव :-
1भारतीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है शक्तिशाली बहुराष्ट्रीय निगमों और कमजोर भारतीय उद्योगों के बीच प्रतियोगिता के कारण भारतीय उद्योग समाप्त हो रहे हैं।
2 बहुराष्ट्रीय कंपनियां लाभ को अपने मूल देश में निर्यात कर रही हैं।
3 कार्य संस्कृति पर कुठाराघात हुआ है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों को अधिक वेतन तथा सुविधाएं देकर आर्थिक असमानता को बढ़ा रही हैं।
वैश्वीकरण का लोक संस्कृति पर प्रभाव :-
1 वैश्वीकरण के कारण किसी भी देश का गीत संगीत हर देश में सुना जाता है।
2 वैश्वीकरण के कारण राष्ट्रीय संगीत की मान्यता कम हो गई हैं।
3 वैश्वीकरण के कारण लोक संस्कृति को बढ़ावा मिला है।
4 वैश्वीकरण के कारण विदेशी सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को बढ़ावा मिला है।
5 वैश्वीकरण के कारण शास्त्रीय संगीत परंपरा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
6 वैश्वीकरण के कारण देश के खानपान व पहनावे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
सामाजिक मूल्यों पर वैश्वीकरण का प्रभाव
1 सामाजिक मूल्यों पर वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है युवाओं ने अपने रीति रिवाजों को छोड़कर पश्चिमी संस्कृति को अपना लिया है।
2 व्यक्ति के नैतिक चरित्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
3 सामाजिकता के स्थान पर स्वार्थपरता को बढ़ावा मिला है।
वैश्वीकरण के परिणाम
1 वैश्वीकरण ने विश्व को एक नेटवर्क के दायरे में बांध दिया है।
2 वस्तुएं, पूंजी, लोग, ज्ञान, संचार, हथियार, अपराध, फैशन, विचार, विश्वास तेज गति से एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में पहुंच जाते हैं।
3 वैश्वीकरण से जन आंदोलन तथा पलायन पर प्रभाव पड़ा है। जिसका सबसे अधिक नुकसान बुजुर्गों को हुआ है। वैश्वीकरण ने शरणार्थी समस्या को जन्म दिया है।
वैश्वीकरण की आलोचना
वैश्वीकरण देश की आत्मनिर्भरता को प्रभावित करता है।
वैश्वीकरण के कारण अमेरिका का वर्चस्व बढ़ रहा है।
वैश्वीकरण के कारण पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है। Bharat aur Vaishvikaran
वैश्वीकरण की उपलब्धियां
विकासशील देशों में लोगों की जीवन प्रत्याशा दोगुनी हो गई है तथा शिशु की मृत्यु दर कम हो गई है।
व्यस्क मताधिकार को बढ़ावा मिल रहा है।
बाल श्रम कम हो रहा है।
व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति की जा रही हैं।
लोगों को स्वच्छ जल उपलब्ध करवाया जा रहा है, लोगों के भोजन में पौष्टिकता को बढ़ावा मिल रहा है। जीवन को खुशहाल बनाया जा रहा है।