अलवर किसान आंदोलन Alwar-Kisan-Andolan
अलवर किसान आंदोलन Alwar-Kisan-Andolan
जंगली सूअरों की वजह से किसानों को बहुत अधिक नुकसान होता था।
अलवर रियासत में सूअरों को मारने पर पाबंदी थी।
सन 1921 में किसानों ने इसका विरोध करना शुरू किया और इसके लिए आंदोलन किया, परिणाम स्वरूप सरकार ने सूअर मारने की इजाजत दे दी।
1923 1924 में अलवर के महाराजा जयसिंह ने लगान की दरों को बढ़ा दिया।
लगान की दरों के विरोधस्वरूप अलवर के नींबू चना में 14 मई 1925 को लगभग 800 किसान एकत्रित हुए।
सैनिकों द्वारा उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई जिससे सैकड़ों लोग मारे गए।
महात्मा गांधी ने इस घटना को जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी अधिक वीभत्स बताया और दोहरा डायरवाद कहा।
अंत में सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा और आंदोलन समाप्त हो गया।