Brahmand ek Parichay ब्रह्मांड एक परिचय

Brahmand ek Parichay ब्रह्मांड एक परिचय

Brahmand ek Parichay ब्रह्मांड एक परिचय

आसमान में दिखाई देने वाले तारों के विभिन्न समूह को तारामंडल या नक्षत्र मंडल कहा जाता है ।

भारत में आसमान में दिखाई देने वाले 7 तारों के समूह को सप्तऋषि मंडल के नाम से जाना जाता है।

सप्तऋषि मंडल को फ्रांस में सॉसपैन या हफ्ते वाली देगची कहा जाता है।

सप्तऋषि मंडल को ब्रिटेन में खेत जुताई वाला हल कहा जाता है।

सप्तऋषि मंडल को यूनान में स्मॉल बीयर के नाम से जाना जाता है।

पोल स्टार को हिंदू धर्म ग्रंथों में ध्रुव तारा कहा गया है ।

ध्रुव तारे से उत्तर दिशा का निर्धारण किया जा सकता है।

आकाश में फैले हुए तारों, ग्रह , उपग्रह, उल्कापिंडों, धूमकेतु इत्यादि को खगोलीय पिंड कहा जाता है।

तारे हाइड्रोजन व हीलियम गैसों के मिश्रण से बनते हैं।

तारों, तारों के अवशेषों, धूल कणों और गैसों के असीमित भंडार को आकाशगंगा कहा जाता है।

तारों के छोटे समूह तारामंडल कहलाते हैं।

सूर्य का प्रकाश 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से गमन करता है।

सूर्य का प्रकाश 1 वर्ष में 95 खरब किलोमीटर की दूरी तय करता है।

बिग बैंग ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सर्वमान्य सिद्धांत कहलाता है।

पृथ्वी जिस आकाशगंगा का भाग है, उसे मिल्की वे, एरावत पथ तथा दुग्ध मेखला इत्यादि नामों से जाना जाता है।

पृथ्वी के सबसे निकटतम तारा सूर्य हैं।

सूर्य और पृथ्वी के मध्य की दूरी लगभग 15 करोड किलोमीटर है।

पुच्छल तारे का सिर हमेशा सूर्य की तरफ रहता है।

पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरने वाला धूमकेतु हेली हैं।

हेली को पिछली बार 1986 में देखा गया।

हेली धूमकेतु 76 वर्षों के बाद दिखाई देता है।

हेली धूमकेतु अगली बार 2062 में दिखाई देगा।

तारे स्वयं के प्रकाश से चमकते हैं।

ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाने वाले पिंड उपग्रह कहलाते हैं।

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