Class 9 Hindi स्पर्श पाठ 1 दुख का अधिकार
🗣 मौखिक प्रश्नोत्तर (एक या दो पंक्तियों में उत्तर)
1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तर: पोशाक से व्यक्ति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का पता चलता है।
2. खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?
उत्तर: क्योंकि वह गंदे कपड़ों में थी और लोगों को संदेह था कि वह सच्ची है या नहीं।
3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर: लेखक को लगा कि वह स्त्री बहुत दुखी और लाचार है।
4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर: उसके लड़के को फोड़ा हो गया था और इलाज के अभाव में उसकी मृत्यु हो गई।
5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
उत्तर: क्योंकि वह गरीब है और लोगों को लगता है कि वह उधार नहीं चुका पाएगी।
✍️ लिखित प्रश्नोत्तर (25–30 शब्दों में उत्तर)
1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
उत्तर: पोशाक मनुष्य की पहचान, मर्यादा और सम्मान को दर्शाती है। यह समाज में उसकी स्थिति और व्यवहार पर भी प्रभाव डालती है।
2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर: जब हम समाज के डर से अपनी सच्ची भावनाएं छिपाते हैं और केवल दिखावे के लिए पोशाक पहनते हैं, तब यह बोझ बन जाती है।
3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
उत्तर: क्योंकि वह स्त्री मौन थी और उसका दुख इतना गहरा था कि वह शब्दों में नहीं कह पा रही थी।
4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर: भगवाना खेतों में काम करता था, सब्जी उगाता और छोटे-मोटे कामों से अपने परिवार का भरण-पोषण करता था।
5. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज बेचने क्यों चल पड़ी?
उत्तर: घर में खाने-पीने की व्यवस्था नहीं थी, बच्ची की देखभाल करनी थी, इसलिए मजबूरी में वह खरबूजे बेचने निकल पड़ी।
6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर: क्योंकि वह महिला भी बेटी की मृत्यु के बाद महीनों तक बोल नहीं पाई थी, दोनों के दुःख गहरे और मौन थे।
📖 दीर्घ उत्तर (50–60 शब्दों में उत्तर)
1. बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे?
उत्तर: बाजार के लोग उसे पागल, ठग, और धर्म के नाम पर बहस करने वाली बता रहे थे। कोई भी उसकी परेशानी को समझना नहीं चाहता था। सबने केवल टिप्पणी की, पर उसकी मदद किसी ने नहीं की।
2. पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर: लेखक को पता चला कि वह स्त्री वहीं की रहने वाली है। उसका बेटा एक दिन पहले मर गया, घर में बीमार माँ है और खाने तक को कुछ नहीं बचा है।
3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
उत्तर: बुढ़िया ने इलाज की कोशिश की, लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। गरीब होने के कारण वह कुछ नहीं कर सकी और बेटा मर गया।
4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया?
उत्तर: बुढ़िया के चेहरे के भाव, सूनी आंखें, और मौन देखकर लेखक समझ गया कि वह अत्यधिक दुख में है। उसने महसूस किया कि वह अपने दर्द को भी प्रकट नहीं कर पा रही।
5. इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह शीर्षक पूर्णतः सार्थक है क्योंकि समाज में गरीबों को अपना दुःख व्यक्त करने तक का अधिकार नहीं मिलता। यह कहानी बताती है कि दुःख प्रकट करना भी एक मानवीय अधिकार है।