computer vikas ka itihas कम्प्यूटर के विकास का इतिहास

Computer ke vikas ka itihasComputer ke vikas ka itihas

कम्प्यूटर के विकास का इतिहास

computer ke vikas ka itihas कम्प्यूटर के विकास का इतिहास

1. गिनतारा – यह सबसे पहला और सबसे सरल यंत्र है, जिसका गणना करने मे सहायता के लिए किया था। इसका इतिहास 3000 साल से ज्यादा पुराना है। चीन मे इसका व्यापक उपयोग होने के प्रमाण प्राप्त हुए है। आष्चर्य की बात है कि गिनतारा आजकल भी प्रारम्भिक रूप मे ही रूस, चीन, जापान, पूर्वी एषिया के देषो तथा भारत मे भी कुछ स्कूलो मे प्रयोग किया जाता है।
2. नेपियर बोन्स – स्काॅटलैण्ल के गणितय जान नेपियर ने सन 1617 मे कुछ ऐसी आयताकार पटिटयो का निर्माण किया था। जिनकी सहायता से गुण करने की क्रिया अत्पन्त षीघ्रतापूर्वक की जा सकती थी । ये पट्टियो जानवरो की हड्डियो से बनी थी, इसीलिए इन्हें नेपियर बोन्स कहा गया।
3. स्लाइड रूल:- जोन नेपियर ने सन् 1672 में गणनाओं की लघुगणक विधि का आवि कार कर लिया था । इस विधि मंे दो संख्याओं का गुणनफल, भागफल, वर्गमूल आदि किसी चुनी हुई संख्या के घाताकों को जोड़कर या घटाकर निकाला जाता ह आज भी बडा – बडा गणनाओ मंै यहा तक कि कम्प्यूटर में भी इस विधि का प्रयोग किया जाता हैं। स्लाइड रूल का उपयोग वैज्ञानिक गणनाओ में कई षताब्दियो तक किया जाता रहा । बीसवीं षताब्दी के आठवे दषक में इलेक्ट्निक्स पाकेट कैलकुलेटर पाकेट के अस्त्तिव में आ जान के बाद ही इसक प्रयोग बन्द हुआ हैं।
4. पास्कल का गणना यंत्र:- गणना करने वाला पहला वास्तविक यंत्र महान फ्रासिंसी गणितज्ञ और दार्षनिक ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया था । इसे पास्कल का कैलेकुलेटर या पास्कल की एडिग मषीन कहा जाता है। इस मषीन का प्रयोग संख्या को जोडने और घटाने में किया जाता था। वह अपने टैक्स सुपरिन्टेडेंट पित की सहायता के लिए उसने यंत्र बनाया था। इसीलिए वह समान मषीन में अधिक सुधार नहीं कर सका।
5. लेबनिज का यांत्रिक कैलकुलेटर:- जर्मन गणितज्ञ लेबनिज ने सन् 1671 में पास्कल के कैलकुलेटर में कई सुघार एक ऐसी जटिल मषीन का निर्माण किया जो जोडने तथा घटाने के साथ ही गुणा करने तथा भाग देने मंे भी समर्थ थी। इस यंत्र से गणनाए करने की गति बहुत तेज हो गयी। इस मषाीन का व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया गया। अभी भी अनेक स्ािानो पर इससे मिलती – जूलती मषीनो का उपयाग किया जाता है ।
6. बैबेज का डिफरेस इंजन:- कैम्बिज विष्वविद्यालय के गणित के प्रोफेसर चाल्र्स बैबेज को आधुनिक कम्प्यूटर का जनक पिता कहा जाता है ं गण्ति के क्षेत्र में उसका महत्वपूर्ण योगदान था एक ऐसा यंत्र बनाना जो विभिन्न बीजगणितज्ञ फलनो का माने दषमल के 20 स्ािानांे तक षुद्धतापूवक ज्ञात कर सकता था।
7. बैबेज एनालिटीकल इंजन:- अपने डिफरेस इंजन की सफलता और उपयोगिता से सपे्ररित होकर चाल्र्स बैबेज ने एक ऐसे यंत्र की पूरी रूपरेखा तैयार की जो आाजकल के कम्प्यूटर से आष्चर्यजनक समानता रखती हैं। इस प्रस्तावित मषीन के पांच प्रमुख भाग थे:-
1 इनपुट इकाई:- आकडो को ग्रहण करने के लिए
2 स्टोर:- आकडों तथा निर्देषो को संग्रहित या भंडारित करने के लिए ।
8. पंचकार्ड उपकरण:- षुरू में जितने भी गणना यंत्र बनाए गए उनमें संख्याओ को डायल करने के लिए दातेदार पहियो को हाथ से घुमाया जाता था। ंलेकिन चाल्र्स बैबेज ने पहली बार यह सोचा था कि संख्या पढ़ने का कार्य छेद किये हए कार्डो द्वारा भी किया जा सकता हैं। यह विचार उन्हें जैकार्ड की बुनाई मषीन को देखकर प्राप्त हुआ था।
9. प्रारम्भिक कम्प्यूटर:- सन् 1930 के दषक तक बनायी गयी सभीर कैलकुलेटिग मषीने मूूल रूप से यांत्रिक हुआकरती थी। लेकिन इसी समय के आस – पास आई. बी. एम. ने हावर्ड विष्वविद्यालय के डा. हावर्ड को एक बहुूउपयोगी विद्य ुतीय कम्प्यूटर बनाने के लिए राजी किया उसके बाद के सभी कम्प्यूटर अस्तित्व में आये थे।
1942 अटन सोफ बैरी
1946 एनिएक
1946 एडसैक
1950 लिओ
1971 यूनीवैक

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