कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 6 दहन और ज्वाला

कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 6 दहन और ज्वाला

कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 6 दहन और ज्वाला

दहन :- वह रासायनिक प्रक्रम जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऊष्मा देता है, दहन कहलाता है।

जिस पदार्थ का दहन होता है, वह दाह्य कहलाता है, उसे ईधन भी कहते है। ईंधन ठोस, द्रव व गैस हो सकता है। दहन के समय प्रकाश भी उत्पन्न होता है।

ज्वलन-ताप :- वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है, वह उसका ज्वलन-ताप कहलाता है।

कोई भी पदार्थ तब तक आग नही पकड़ सकता या जल नही सकता जब तक कि उसका ताप उसके ज्वलन-ताप से कम रहता हैं।

ज्वलनशील पदार्थ :- जिन पदार्थों का ज्वलन-ताप बहुत कम होता है और जो ज्वाला के साथ सरलतापूर्वक आग पकड़ लेते है, ज्वलनशील पदार्थ कहलाते है। उदा., पेट्रोल, ऐल्कोहल, LPG, आदि।

आग पर नियंत्रण:- जल, ज्वलनशील पदार्थों को ठंडा करता है जिससे उनका ताप उनके ज्वलन-ताप से कम हो जाता है। ऐसा करने से आग का फैलना रुक जाता है। जलवाष्प, जलनशील पदार्थ को घेर लेता है जिससे वायु की आपूर्ति बंद हो जाती है और आग बुझ जाती है। ये आवश्यकताएँ है – ईंधन, वायु, और ऊष्मा। इन तीनो में से एक या एक से अधिक आवश्यकताओं को हटाकर आग को नियंत्रित कर सकते है।

दहन के प्रकार:-

तीव्र दहन :- गैस स्टोव की नॉब को घुमाकर जैसे ही माचिस की जलती हुई तीली ले जाने पर गैस तेजी से जलने लगती है तथा ऊष्मा व प्रकाश उत्पन्न करती है। इस प्रकार का दहन तीव्र दहन कहलाता है।

स्वतः दहन :- इस प्रकार का दहन जिसमें पदार्थ बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के अचानक लपटो के साथ जल उठता है, स्वतः दहन कहलाता है।

विस्फोटक :-  जब हम पटाखों को जलाते है तो एक आकस्मिक अभिक्रिया होने से  ऊष्मा, प्रकाश और ध्वनि पैदा होती है, इनमें बडी मात्रा में गैस निकलती है, इस प्रकार की अभिक्रिया विस्फोटक कहलाती है।

ज्वाला :- दहन के समय जो पदार्थ वाष्पित होते है, वे ज्वाला का निर्माण करते है। उदाहरण मिट्टी का तेल, पिघली हुई मोमबत्ती के साथ-साथ ऊपर उठते हैऔर दहन के समय वाष्पित होकर ज्वाला का निर्माण करते है।

ईधन :- घरेलू और औद्योगिक उपयोगों से संबंधित ऊष्मा ऊर्जा के प्रमुख स्त्रोत लकड़ी, काष्ठ-कोयला, पेट्रोल, मिट्टी का तेल आदि। ये पदार्थ ईंधन कहलाता हैं। अच्छा ईधन वह है जो सस्ता होता है, आसानी से उपलब्ध हो जाता है और में वायु मे सरलता से जलता है, अधिक मात्रा मे ऊष्मा देता है, आदर्श ईंधन माना जा सकता है। परन्तु ऐसा कोई भी ईंधन नहीं है जिसे एक आदर्श ईंधन माना जा सके।

ईंधन दक्षता:- किसी ईंधन के 1 किलोग्राम के पूर्ण दहन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा उसका ऊष्मीय मान कहलाती है।

 

विभिन्न ईंधनों के ऊष्मीय मान:-

ईंधन     ऊष्मीय मान (kT/kg)
गोबर के उपले   6000-8000
लकडी   17000 – 22000
कोयला     25000-30000
पैट्रोल     45000
मिट्टी का तेल     45000

ईंधन के दहन से उत्पन्न हानिकारक उत्पाद :-

  1. लकड़ी, कोयला और पेट्रोल जैसे कार्बन, ईंधन, बिना जले कार्बन कण छोड़ते है ये सूक्ष्म कण दमा जैसे श्वास रोग उत्पन्न करते हैं। 
  2. इन ईंधनो का अपूर्ण दहन, कार्बन मोनोक्साइड गैस देता है, यह अत्यंत विषैली गैस है।
  3. अधिकाश ईंधनों के दहन से पर्यावरण मे CO2 गैस निकलती है। CO2 की अधिक मात्रा से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है।
  4. कोयले और डीजल के दहन से सल्फर डाई ऑक्साइड गैस निकलती है। यह अत्यंत दमघोटू और संक्षारक गैस है। इनमें सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल में घुल जाते है, जिससे अम्ल बनता है। ऐसी वर्षा अम्लीय वर्षा है। जो फसलों, भवनों, व मृदा के लिए हानिकारक है।

 

प्रश्न :- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) लकड़ी और कोयला जलने से वायु का प्रदूषण होता है।

(ख) घरों में काम आने वाला एक द्रव ईंधन केरोसिन है।

(ग) जलना प्रारम्भ होने से पहले ईंधन को उसके ज्वलन – ताप तक गर्म करना आवश्यक है।

(घ) तेल द्वारा उत्पन्न आग को पानी द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

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