Gupta Samrajya गुप्त साम्राज्य

Gupta Samrajya गुप्त साम्राज्य

Gupta Samrajya गुप्त साम्राज्यगुप्त साम्राज्य

शक मुरण्डों के बाद गुप्त साम्राज्य का प्रारंभ
275 ईसवी में स्थापना
संस्थापक :- श्रीगुप्त

वंश क्रम (शासकों का क्रम) :-
(1) श्री गुप्त
(2) घटोत्कच (महाराज)
(3) चंद्रगुप्त प्रथम (महाराजाधिराज)
(4) समुद्रगुप्त
(5) चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य/ देवराज / देवगुप्त)
(6) कुमार गुप्त
नोट :– समुद्रगुप्त ने स्वयं को श्रीगुप्त का प्रपौत्र बताया।

(1) श्री गुप्त :-

(2) घटोत्कच (महाराज) :-

(3) चंद्रगुप्त प्रथम (महाराजाधिराज) :-

पिता :- घटोत्कच
उपाधि :- महाराजाधिराज
पत्नी :- लिच्छवीवंशजा कुमारदेवी
Note :- गुप्त संवंत प्रारंभ किया।

(4) समुद्रगुप्त :-

चंद्रगुप्त प्रथम के बाद शासक बना।

आदर्श :- ‘दिग्विजय’ और ‘एकीकरण’।

इसका दरबारी कवि हरिषेण (इलाहाबाद में अभिलेख मिले)

विजित क्षेत्र 5 भागों में वर्गीकृत ।

यह कभी भी युद्ध में नहीं हारा।

नौसेना भी थी ।

विदेशों से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे ।

अश्वमेध यज्ञ किया।

सिक्कों पर “अश्वमेघ पराक्रम:’ लिखवाया।

ललित कलाओं एवं संगीत में निपुण था।

सिक्कों पर वीणा के साथ चित्र में दिखा।

विष्णु भक्त था ।

धर्म सहिष्णु था।

(5) चंद्रगुप्त द्वितीय :-

पिता :- समुद्रगुप्त।

विवाह और विचारों से साम्राज्य विस्तार ।

पुत्री का नाम :- प्रभावती

प्रभावती का विवाह :- वाकाटक राजा रूद्र सेन से

नोट:- उज्जैन को द्वितीय राजस्थानी बनाया।

शक विजय के उपलक्ष्य में “विक्रमादित्य” की उपाधि धारण की।

(विक्रमादित्य/ देवराज / देवगुप्त)

(6) कुमार गुप्त :-

 

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