कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान भाषा नीति
भारत के संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिंदी को राजभाषा माना गया है, लेकिन हिंदी सिर्फ़ 40% (लगभग) भारतीयों की मातृभाषा है। इसलिए अन्य भाषाओं के संरक्षण के अनेक उपाय किए गए हैं। संविधान में हिंदी के अलावा अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। केंद्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार इनमें से किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है, बशर्ते उम्मीदवार इसे विकल्प के रूप में चुनें। राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अपना अधिकांश काम अपनी राजभाषा में ही होता है।
श्रीलंका के ठीक उलट हमारे देश के नेताओं ने हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के मामले में बहुत सावधानी भरा व्यवहार किया। संविधान के अनुसार सरकारी कामकाज की भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग 1965 में बंद हो जाना चाहिए था, लेकिन अनेक गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों ने मांग की कि अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखा जाए। तमिलनाडु में तो इस मांग ने उग्र रूप भी ले लिया था। केंद्र सरकार ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को राजकीय कामों में प्रयोग की अनुमति देकर इस विवाद को सुलझाया। अनेक लोगों का मानना था कि इस समाधान से अंग्रेजी-भाषी अभिजन को लाभ पहुंचेगा।
राजभाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने की भारत सरकार की नीति बनी हुई है, लेकिन बढ़ावा देने का मतलब यह नहीं कि केंद्र सरकार उन राज्यों पर भी हिंदी को थोप सकती है, जहां लोग कोई और भाषा बोलते हैं। भारतीय राजनेताओं ने इस मामले में जो लचीला रुख अपनाया, उसी से हम श्रीलंका जैसी स्थिति में पहुंचने से बच गए।
व्याख्या
भारत एक बहुभाषी देश है। यहां 121 भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें से 22 भाषाएं संविधान में अनुसूचित भाषाओं के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। हिंदी भारत की राजभाषा है, लेकिन यह देश की राष्ट्रीय भाषा नहीं है।
भारतीय संविधान ने भाषाओं के संरक्षण के लिए अनेक उपाय किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
- संविधान में हिंदी के अलावा अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषाओं का दर्जा दिया गया है।
- केंद्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार इनमें से किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है।
- राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं।
हिंदी को बढ़ावा देने के लिए भी अनेक उपाय किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
- हिंदी को केंद्र सरकार के कार्यों में प्रयोग किया जाता है।
- हिंदी को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
- हिंदी में साहित्य, पत्रकारिता और फिल्मों का विकास किया जा रहा है।
श्रीलंका एक बहुभाषी देश है, लेकिन वहां सिंहल भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इस कारण वहां तमिल भाषियों और सिंहल भाषियों के बीच संघर्ष होता रहा है। भारत में भी हिंदी को बढ़ावा देने के मामले में इस तरह के संघर्ष की संभावना थी, लेकिन भारतीय राजनेताओं ने इस मामले में एक लचीला रुख अपनाया। उन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ अन्य भाषाओं के संरक्षण की भी नीति अपनाई। इस कारण भारत में श्रीलंका जैसी स्थिति नहीं बन पाई।
निष्कर्ष
भारत की भाषा नीति एक जटिल मुद्दा है। इस मुद्दे पर विभिन्न दृष्टिकोण हैं। लेकिन भारत के संविधान में भाषाओं के संरक्षण के लिए जो उपाय किए गए हैं, वे संतुलित हैं। इन उपायों से भारत में एक बहुभाषी समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद मिल रही है।