jila prashasan avn nyay vyavastha जिला प्रशासन और न्याय व्यवस्था

jila prashasan avn nyay vyavastha

जिला प्रशासन और न्याय व्यवस्था

राजस्थान में 7 संभाग उनमें 33 जिले जिले का चहुॅमुखी विकास जिला प्रशासन की कार्यकुशलता पर निर्भर करता है। जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी जिला कलेक्टर होता है।

जिले में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के संपूर्ण जिम्मेदारी जिला कलेक्टर अर्थात जिला मजिस्ट्रेट की होती है जिले में पुलिस विभाग पुलिस अधीक्षक एसपी के नियंत्रण, निर्देशन व पर्यवेक्षण में कार्यकर्ता पुलिस उप अधीक्षक डीएसपी, मुख्य आरक्षी हैंड कांस्टेबल, आरक्षी कॉन्स्टेबल, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट एडीएम, उपखंड स्तर पर उपखंड मजिस्ट्रेट एसडीएम, कार्यपालक मजिस्ट्रेट तहसीलदार नियुक्त होते हैं।
फसल तैयार होने पर पटवारी उसका विवरण तैयार करता है जिसे गिरदावरी करना कहते हैं पटवारी किसानों से भूमि कर वसूल करता है जिसे भू राजस्व या लगान कहते हैं जिले में रह रहे सभी व्यक्तियों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था जिला रसद अधिकारी करता है मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी होता है।

आम जनता की कठिनाइयों एवं शिकायतों के निवारण के लिए जिला स्तर पर जन अभाव अभियोग एवं सतर्कता समिति होती है।
प्रत्येक जिले में प्रारंभिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रथक प्रथक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यारत है। प्रारंभिक शिक्षा के लिए जिले के सभी विकास खंडों में ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी कार्यरत है।
राजकीय यात्रा को निर्बाध रुप से संपन्न करवाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।

नागरिकों के बीच सामान्यतः तीन प्रकार के विवाद होते हैं;
दीवानी विवाद : संपत्ति जमीन जायदाद, निपटारा दीवानी न्यायालय में होता है।
फौजदारी विवाद : हत्या, मारपीट, चोरी सुनवाई फौजदारी न्यायालय में होती है।
राजस्व विभाग : भूमि संबंधी विवाद कृषि भूमि के उत्तराधिकार उप तहसीलदार, तहसीलदार अथवा सहायक कलेक्टर के यहां प्रस्तुत होते हैं

जिले में अंतिम रूप से अपीलों का निर्णय जिला कलेक्टर के यहां होता है इस प्रकार जिले में मुख्यतः तीन प्रकार के न्यायालय कार्यरत है।
फौजदारी विवादों में सबसे पहले पीड़ित पक्ष को अपने क्षेत्र के पुलिस थाने में सूचना देना आवश्यक होता है प्रथम सूचना प्रतिवेदन एफआईआर कहते हैं फिर न्यायालय में उस मामले का चालान प्रस्तुत करते हैं।

हमारे देश में लोक अदालतों की व्यवस्था की गई है प्रत्येक जिले में एक स्थाई लोक अदालत होती है सस्ता और त्वरित न्याय प्राप्त होता है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गरीब,पिछडे व असहाय लोगों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है।

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