kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति
kaary oorja shakti कार्य ऊर्जा एवं शक्ति
बल
बल वह भौतिक कारक है जो किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन कर सकता है अन्यथा परिवर्तन करने का प्रयास करता है, बल कहलाता है।
बल को F से दर्शाया जाता है।
बल का C.G.S. मात्रक डाइन होता है।
बल का S.I. मात्रक न्यूटन होता है।
1 N = 10^5 dyne
कार्य
जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वस्तु विस्थापित हो जाए तो वस्तु पर लगाए गए बल तथा उत्पन्न विभवांतर का अदिश गुणनफल कार्य कहलाता है। इसे W से दर्शाते हैं।
कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन
W = F.S
Special Cases-
Case 1. If ●=0 हो
अर्थात बल तथा विस्थापन एक ही दिशा में हो-
W = FS Cos ●
W = FS Cos 0°
W = FS
इसे धनात्मक कार्य कहते हैं।
उदाहरण जब घोड़ा गाड़ी को खींचता है तो घोड़े द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
Case 2. If ●=180° हो
अर्थात बल तथा विस्थापन एक दूसरे के विपरीत दिशा में हो-
W = FS Cos ●
W = FS Cos 180°
W = FS (-1)
W = -FS
इस स्थिति में किया गया कार्य ऋणात्मक तथा न्यूनतम होता हैं।
उदाहरण जब चलती हुई कार के अचानक ब्रेक लगाए जाते हैं तो कार्य ऋणात्मक होता है।
Case 3. If ●=90° हो
अर्थात बल तथा विस्थापन एक दूसरे के लम्बवत हो-
W = FS Cos ●
W = FS Cos 90°
W = FS (0)
W = 0
इसे शुन्य कार्य कहते हैं।
उदाहरण वृत्ताकार पथ में गति कर रहे किसी कण पर अभिकेंद्रीय बल द्वारा किया गया कार्य शुन्य होता है।
Note यदि किसी वस्तु पर कितना भी बल आरोपित किया जाए परंतु वस्तु विस्थापित ना हो तो किया गया कार्य शुन्य होता है।
कार्य एक अदिश राशि है।
कार्य के मात्रक
(1) C.G.S. मात्रक
W= FS
W= dyne × cm
= Arg
(2) S.I. मात्रक
W= FS
W= N × M
= Jule
1 जूल की परिभाषा
W= FS J
यदि f= 1N और S = 1M
तब W= 1J
अर्थात किसी वस्तु पर 1N का बल लगाने पर वह 1M विस्थापित होती हैं तो किया गया कार्य 1 जूल होता है।
ऊर्जा
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
ऊर्जा के प्रकार
(1) रासायनिक ऊर्जा
रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा कहते हैं।
जैसे कोयला, भोजन, रसोई गैस आदि।
(2) विद्युत ऊर्जा
विद्युत आवेशों के कारण गतिमान ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा कहते हैं।
जैसे घरों में प्रयुक्त उपकरण रेडियो, टीवी और फ्रिज।
(3) ऊष्मा ऊर्जा
ऊष्मा के कारण सूक्ष्म कणों में निहित ऊर्जा को उसमें ऊर्जा कहते हैं।
जैसे आग की चिमनी।
(4) गुरुत्वीय ऊर्जा
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को गुरुत्वाकर्षण बल के कारण अपनी और आकर्षित करती हैं अतःपृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण प्राप्त ऊर्जा को गुरुत्वीय ऊर्जा कहते हैं।
जैसे गुरुत्वीय ऊर्जा के कारण ही झरनों तथा नदियों में पानी ऊपर से नीचे उतरता है।
(5) नाभिकीय उर्जा
नाभिकीय विखंडन और संलयन के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।
(6) यांत्रिक ऊर्जा
किसी वस्तु की गति, स्थिति अथवा अभिविन्यास के कारण प्राप्त ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
अथवा
गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा को सम्मिलित रूप से यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
यांत्रिक ऊर्जा 2 प्रकार की होती हैं
गतिज ऊर्जा
किसी वस्तु में गति के कारण प्राप्त ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा की गणना
W =F. S ( न्यूटन की गति के द्वितीय नियम से)
F = ma
समी.(1) से –
W = mas ……….. (2)