kahani ka konsa patra apko sarvadhik prabhavit karta hai?
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पृष्ठ संख्या: 16
पाठ के साथ
1. कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है?
2. ‘नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?
3. कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं| निम्नलिखित पात्रों के सन्दर्भ में पाठ के उस अंश को उद्धृत करते हुए बताइए कि वह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं?
(क) वृद्ध मुंशी (ख) वकील (ग) शहर की भीड़
4. निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए- नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मजार है| निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए| ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो| मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है| ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है| वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती| ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ|
(क) यह किसकी उक्ति है?
(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है?
(ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?
5. ‘नमक का दारोगा’ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए|
6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए| आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते?