अल-बिरूनी का जन्म ख्वारिज्म में सन् 973 में हुआ था जो की आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित है।
अल-बिरूनी ने ख्वारिज्म में अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी।
अल-बिरूनी कई भाषाओं का ज्ञाता था।
अल-बिरूनी को संस्कृत भाषा का भी ज्ञान था।
अल-बिरूनी को यूनानी भाषा का ज्ञान नहीं था फिर भी वह प्लेटो तथा अन्य यूनानी दार्शनिकों के कार्यों से परिचित था, जिनके बारे में उसने अरबी अनुवादों के माध्यम से पढा़ था।
सन् 1017 में ख्वारिज्म पर आक्रमण के बाद सुल्तान महमूद अल-बिरूनी को अपने साथ अपनी राजधानी ग़जनी ले गया।
70 वर्ष की आयु में अल-बिरूनी की मृत्यु हो गई।
ग़जनी में रहते हुए ही अल-बिरूनी की भारत के प्रति रुचि विकसित हुई।
अल-बिरूनी ने ब्राह्मण, पुरोहित तथा विद्वानों के साथ कई वर्ष बिताए और संस्कृति, धर्म तथा दर्शन का ज्ञान प्राप्त किया।
अल-बिरूनी ने पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों की यात्रा की।
अल-बिरूनी के समय यात्रा वृतांत अरबी साहित्य का एक मान्य हिस्सा बन चुका था।
अल-बिरूनी के समय के यात्रा वृतांत सहारा रेगिस्तान से वोल्गा नदी तक फैले क्षेत्रो से संबंधित थे ।
किताब- उल -हिंद
किताब-उल-हिंद अल-बिरूनी के द्वारा लिखी गई है।
किताब-उल-हिंद अरबी भाषा में लिखी गई है।
किताब-उल-हिंद विभिन्न अध्यायों का आधार पर 80 भागों में विभाजित है।
प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया गया है।
किताब-उल-हिंद के प्रत्येक अध्याय के प्रारंभ में एक प्रश्न होता था और अंत में एक अन्य संस्कृतियो के साथ तुलना होती थी।
किताब-उल-हिंद की संरचना का उल्लेखनीय कारण अल-बिरूनी का गणित के प्रति झुकाव माना जाता है।
कक्षा 12 इतिहास पाठ 5 “यात्रियों के नजरिए” से पूछे गए प्रश्नों में से कुछ प्रमुख प्रश्न निम्नलिखित हैं: प्रश्न 1: “यात्रियों के नजरिए” पाठ में वर्णित यात्रियों के नाम और उनके उद्देश्य क्या थे?
- फाह्यान: एक चीनी यात्री, जो 405-411 ईस्वी में भारत आया था। वह बौद्ध धर्म का अध्ययन करने आया था।
- हुवेनत्सांग: एक चीनी यात्री, जो 629-645 ईस्वी में भारत आया था। वह बौद्ध धर्म का अध्ययन करने और बौद्ध धर्म ग्रंथों का अनुवाद करने आया था।
- इब्नबतूता: एक मोरक्को का यात्री, जो 1333-1346 ईस्वी में भारत आया था। वह व्यापार करने और नए-नए लोगों के बारे में जानने आया था।
प्रश्न 2: “यात्रियों के नजरिए” पाठ में वर्णित यात्रियों ने भारत में निम्नलिखित चीजें देखीं और सीखीं:
- फाह्यान: उसने भारत में बौद्ध धर्म के प्रसार और विकास के बारे में सीखा। उसने भारतीय संस्कृति और कला के बारे में भी सीखा।
- हुवेनत्सांग: उसने भारत में बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों के बारे में सीखा। उसने भारतीय संस्कृति और कला के बारे में भी सीखा।
- इब्नबतूता: उसने भारत में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बारे में सीखा। उसने भारतीय व्यापार और अर्थव्यवस्था के बारे में भी सीखा।
प्रश्न 3: “यात्रियों के नजरिए” पाठ में वर्णित यात्रियों के लेखों का भारतीय इतिहास के अध्ययन में निम्नलिखित महत्व है:
- ये लेख भारत के इतिहास और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- ये लेख भारत के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच संबंधों को समझने में मदद करते हैं।
- ये लेख भारत के व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास को समझने में मदद करते हैं।