कक्षा 6 सामाजिक और राजनीतिक विज्ञान

कक्षा 6 सामाजिक और राजनीतिक विज्ञान 

कक्षा 6 सामाजिक और राजनीतिक विज्ञान  (पाठ 8 से 15 महत्वपूर्ण नोट्स)
पाठ – 8 :– समाज की सबसे छोटी इकाई — परिवार
बालक की प्रथम पाठशाला – परिवार
परिवार के सदस्यों के बाद हमारे सबसे निकट पड़ोसी होते हैं ।
पाठ – 9 :– पंजाब राज्य में गेहूं व चावल पैदा होते हैं।
चाय आसाम में पैदा होती है ।
नारियल – केरल व कर्नाटक में पैदा होते हैं।
तथा राजस्थान में बाजरा और मक्का अधिक मात्रा में होता है ।
असम में बीहू, केरल में ओणम, तमिलनाडु में पोंगल, राजस्थान में गणगौर और तीज तथा बिहार में छठपूजा , पंजाब में बैसाखी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग त्योहार बनाए जाते हैं ।
हमारे राष्ट्रीय प्रतीक:–
राष्ट्रीय ध्वज : तिरंगा
राष्ट्रीय चिन्ह : अशोक स्तंभ
राष्ट्रीय पशु : बाघ
राष्ट्रीय पक्षी : मोर
राष्ट्रीय पुष्प : कमल
राष्ट्रीय खेल : हॉकी
राष्ट्रीय गान : जन-गण-मन
राष्ट्रीय गीत : वंदे मातरम
भारतीय मुद्रा : रुपया
भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत और दक्षिण में उपजाऊ मैदान है ।
पाठ 10
साप्ताहिक बाजार को ‘हाट बाजार’ भी कहते हैं ।
जो लोग वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच होते हैं, उन्हें व्यापारी कहा जाता है ।
व्यापारी दो प्रकार के होते हैं:–
1 थोक व्यापारी 2 खुदरा या फुटकर व्यापारी
जो लोग बड़ी मात्रा में सामान खरीद कर छोटे व्यापारियों को बेचते हैं , वह थोक व्यापारी कहलाते हैं।
हम अपना बचत खाता बैंक व पोस्ट ऑफिस दोनों में खुलवा सकते हैं।
हम ऑटोमेटिक टेलर मशीन( ए.टी.एम) के द्वारा अपने खाते से धन सरलता से निकाल सकते हैं ।
सभी बैंक ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ के निर्देशन एवं नियंत्रण में कार्य करते हैं।
पाठ – 11
सहकारिता का मूल मंत्र :– “एक शब्द के लिए ,सब एक के लिए ” और “सबके हित में ही हमारा हित है।”
सहकारी समिति संगठन :–
इसमें 15 व्यक्ति मिलकर एक प्राथमिक सहकारी समिति का गठन कर सकते हैं ।
समिति का पंजीकरण सहकारिता विभाग से करवाया जाता है।
सहकारिता में सदस्यता स्वैच्छिक होती है।
इसका संचालन एवं प्रबंध सभी सदस्यों की सहमति से होता है ।
सभी सदस्यों को एक जैसे अधिकार एवं अवसर प्राप्त होते हैं ।
इसमें आर्थिक उद्देश्य के साथ-साथ नैतिक व सामाजिक उद्देश्यों को भी शामिल किया जाता है।
प्रमुख सहकारी समितियाँ :–
कृषि सहकारी समिति
दुग्ध सहकारी समिति
उपभोक्ता सहकारी समिति
गृह निर्माण सहकारी समिति
सहकारी साख एवं बचत समिति
क्रय – विक्रय सहकारी समिति।
उपभोक्ता सशक्तिकरण :– “उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए सरकार ने ‘उपभोक्ता संरक्षण कानून- 1986’ बनाया है।”
इस कानून के अनुसार कोई भी ग्राहक उपभोक्ता अदालत में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। अदालत उपभोक्ता को राहत प्रदान करती है।
उपभोक्ता जब कोई व्यक्ति अपने उपयोग के लिए कोई वस्तु अथवा सेवा खरीदता है तो वह उपभोक्ता कहलाता है। यह वस्तु एवं सेवा का प्रत्यक्ष एवं अंतिम उपयोग करने वाला व्यक्ति होता है।
वस्तु की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाले आई.एस. आई. , एगमार्क , एफ.पी.ओ. आदि मानक चिन्हों को देखकर खरीदना चाहिए।
गारंटी :– क्रय की गई वस्तु में एक निश्चित अवधि में दोष आने पर विक्रेता द्वारा बदले में वैसी ही दूसरी वस्तु देने की सुविधा ।
वारंटी : क्रय की गई वस्तु में एक निश्चित अवधि में दोष आने पर विक्रेता द्वारा उसकी नि:शुल्क मरम्मत करने की सुविधा ।
दूसरे की मेहनत का अनुचित लाभ उठाना शोषण कहलाता है।
उपभोक्ता 20 लाख रुपए तक की शिकायत ‘जिला उपभोक्ता मंच’ में , 20 लाख से अधिक और एक करोड़ तक की राशि से संबंधित विवाद ‘राज्य उपभोक्ता आयोग’ में और 1करोड़ रुपए से अधिक राशि से संबंधित शिकायत ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग’ में कर सकता है । इस राशि की सीमा में समय-समय पर परिवर्तन हो सकता है। उपभोक्ता प्रत्येक स्तर पर 30 दिन की अवधि में न्याय के लिए ऊपरी न्यायालय में भी अपील कर सकता है।

Direct and Indirect

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