कालीबंगा सभ्यता Kalibanga Sabhyata भारत के प्राचीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण धरोहर है। इस लेख में, हम इस खोज के परिणामों, खुदाई विवरणों, और यह समझने का प्रयास करते हैं कि कालीबंगा सभ्यता के बारे में हमें क्या जानना चाहिए?
कालीबंगा में मिले तंदूरो का संबंध ईरान से बताया जाता है।
गाय, बैल, कुत्ता आदि कालीबंगा सभ्यता के समय के पशु थे।
कालीबंगा सभ्यता का मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन था।
कालीबंगा सभ्यता में प्रचलित लिपि दाएं से बाएं ओर लिखी जाती थी।
कालीबंगा मातृसत्तात्मक सभ्यता नहीं थी।
कालीबंगा सभ्यता में गेहूं, चना व सरसों के अवशेष मिले हैं।
कालीबंगा में प्राप्त चबूतरा मिट्टी की ईंटों से बना हुआ था।
कालीबंगा में प्राप्त हुई एक मुद्रा में व्याघ्र का चित्र बना हुआ है।
कालीबंगा सभ्यता में दोहरी रक्षा प्राचीर के साक्ष्य मिले हैं।
कालीबंगा के अवशेषों से पता चलता है कि विश्व प्रसिद्ध सिंधु घाटी सभ्यता का राजस्थान में विकास हुआ जो कालांतर में विलुप्त हो गई।
सड़के और गलियों के किनारे नालियां कालीबंगा एवं सिंधु सभ्यता के नगर निर्माण कला की समान विशेषताएं हैं।
कालीबंगा से एक युगल शवाधान प्राप्त हुआ।
इतिहासकार डॉ दशरथ शर्मा के द्वारा कालीबंगा पुरातात्विक स्थल को हिंदू सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा गया।
कालीबंगा में मिली अंडाकार कब्रों को “चिरायु” नाम से जाना जाता है।
कालीबंगा से जल कपाली बीमारी के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
कालीबंगा सभ्यता की खुदाई 5 स्तरों तक की गई है।
कालीबंगा सभ्यता के खोजकर्ता अमलानन्द घोष हैं।
कालीबंगा स्वतंत्रता के बाद राजस्थान में खोजा गया पहला पुरातात्विक स्थल है।
कालीबंगा सभ्यता के लोगों को लोह धातु का ज्ञान नहीं था।
कालीबंगा सभ्यता में दुर्ग टीले के उत्तर पश्चिम दिशा में एक कब्रिस्तान मिला।
कालीबंगा में मोम सांचा तकनीक से निर्मित कास्य के बैल की प्रतिमा प्राप्त हुई।
कालीबंगा से 7 अग्निकुंड प्राप्त हुए जो आयताकार हैं।
इतिहासकार डॉ. गोपीनाथ शर्मा के अनुसार कालीबंगा का पतन भूकंप के कारण हुआ माना जाता है।
प्रथम कालीबंगा सभ्यता का संबंध बीकानेर से माना जाता है।
सोथी सभ्यता को कालीबंगा सभ्यता की जननी कहा जाता है।
सन 1985-86 में कालीबंगा संग्रहालय की स्थापना हुई थी।
कालीबंगा से प्राप्त मुद्राएं खडिया मिट्टी से निर्मित थी।
कालीबंगा सभ्यता में कपास को सीडन कहा जाता था।
कालीबंगा सभ्यता से स्वास्तिक का चिन्ह प्राप्त हुआ।
रंगपुर आजादी के बाद उत्क्रमित किया गया पहला स्थान हैं।
सबसे पहले कालीबंगा से बलि प्रथा के साक्ष्य मिले।
कालीबंगा शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘काली चूड़ियां’ हैं।
कालीबंगा सभ्यता का विस्तार सरस्वती (घग्घर) नदी के किनारे हुआ।
बृजवासी लाल और बालकृष्ण ठाकुर ने 1961 – 1969 में उत्खनन का कार्य किया।
कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त अवशेष पाकिस्तान में कोटदीजी स्थान पर प्राप्त अवशेषों से समानता रखते हैं।
जूते हुए खेतों के प्रमाण विश्व में सबसे पहले कालीबंगा सभ्यता में परकोटे के बाहर प्राप्त हुए।
कालीबंगा सभ्यता लगभग 6000 वर्ष पुरानी मानी जाती है।
कालीबंगा सभ्यता Kalibanga Sabhyata में प्राप्त हुए अवशेष:-
तोल के बांट
कांच के मनके
तांबे की बैल
हाथी दांत का कंघा
मिट्टी के बर्तन
बेलनाकार मोहरे
लकड़ी की नालियां
तांबे की चूड़ियां
मिट्टी की मोहरे
लाल रंग के बर्तन
खिलौने और औजार
कासे का दर्पण
गाय के मुंह जैसे प्याले
समकोण पर काटती हुई सड़कें
पक्की ईंटों के मकानों के साक्ष्य आदि।
कालीबंगा में कब्रिस्तान के साथ एक बच्चे के कंकाल की खोपड़ी प्राप्त हुई जिसमें 6 छिद्र हैं जो उस समय किसी बीमारी के इलाज का प्रमाण माना जाता है।
कालीबंगा सभ्यता को दो भागों क्रमशः प्राक हड़प्पा सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता में बांटा गया है।
नदियों का सूखना और मरुस्थल का बढ़ना कालीबंगा सभ्यता के नष्ट होने के संभावित कारण माने जाते है।
कालीबंगा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन माना जाता है।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के पश्चात कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता का तीसरा महत्वपूर्ण स्थान है, इसी कारण दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा।
कच्ची ईंटों से बने मकानों के साक्ष्य मिलने के कारण कालीबंगा सभ्यता को दीन हीन बस्ती भी कहा जाता है
कालीबंगा सभ्यता में शवों को गार्ड ने सदस्यों के पास बर्तन और गहने आदि रखने के साक्ष्य मिले हैं
कालीबंगा से प्राप्त चूल्हा की आकृति वर्तमान के तंदूर की तरह थी
कालीबंगा सभ्यता में प्राप्त घरों के दरवाजे भी सिंधु सभ्यता के समान के सड़क पर न खुलकर पीछे गलियों में खुलते थे।
कालीबंगा सभ्यता में प्राप्त सिक्कों पर व्याघ्र तथा कुमारी देवी के चित्र मिले हैं।
कालीबंगा से पशु अलंकृत की ईटें भी प्राप्त हुई हैं।
कालीबंगा प्रथम (बीकानेर) के खोजकर्ता अमलानंद घोष (1953 मे) थे।
कालीबंगा सभ्यता में तीन टीले प्राप्त हुए :-
KLB1 पश्चिम में छोटा (दुर्ग टीला)
KLB2 मध्य में बड़ा
KLB3 पूर्व में सबसे छोटा (नगर टीला)
कालीबंगा सभ्यता में दक्षिण-पूर्व दिशा में जूते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।