Manchitra मानचित्र
Manchitra मानचित्र
मिश्र वासियों ने सर्वप्रथम उपयोगी मानचित्र बनाया जिसमें नील नदी के आसपास के खेतों को दर्शाया गया था। हेकेटियस ने अपना मानचित्र ईसा पूर्व पांचवी या छठी शताब्दी में तैयार किया था जो कि भूमध्य सागर के समीप के निवासी थे। इस समय संसार को केवल तीन महाद्वीपों- यूरोप, एशिया, अफ्रीका में बांटा जाता था।
ग्रीक राज्य के पतन के बाद रोमन राज्य का उदय हुआ भूगोलवेत्ता टाॅलेमी ने यूरोप एवं संसार के सामान चित्रों की रचना की जिसमें अक्षांश तथा देशांतर रेखाओं को भी दर्शाया गया।
जब रोमन साम्राज्य का पतन हुआ तब यूरोप में अंधकार युग की शुरुआत हो गई नई दुनिया अमेरिका की खोज कोलंबस ने 1492 में कि यूरोप से भारत के समुद्री मार्ग की खोज वास्कोडिगामा वह 1498 में भारत के केरल राज्य के कालीकट पहुंचे थे।
यूरोप में 16वीं शताब्दी में प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार हुआ
तीर का ऊपरी सिरा उत्तर दिशा को इंगित करता है। पैमाने का उपयोग किया जाता है। मानचित्र में रुड चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
मानचित्र पर दो स्थानों के मध्य की दूरी तथा मध्य धरातल पर वास्तविक दूरी के अनुपात का पैमाना या मापनी कहते हैं।
दिशा ज्ञात करने के लिए जो यंत्र काम में लिया जाता है उसे दिशा सूचक यंत्र या कंपास कहा जाता है।
जलाशयों को नीले रंग पर्वतों को भूरे रंग पठारो को पीले रंग और मैदानों को हरे रंग से दर्शाया जाता है।
किसी छोटे शेत्र का बड़े पैमाने पर खींचा गया रेखाचित्र खाका कहलाता है 1सेमी= 1 मीटर या इससे कुछ अधिक होता है।
पर्वतों, पठारो, मैदानों, नदियों, महासागरों आदि को दर्शाने वाले मानचित्र को भौतिक मानचित्र कहते हैं।
देश, राज्य, नगर, शहर, गांव और विश्व के विभिन्न देशों एवं राज्यों की सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र को राजनीतिक मानचित्र कहते हैं।
विषयक मानचित्र जो मानचित्र किसी वस्तु विशेष की जानकारी प्रदान करते हैं उसे विषयक मानचित्र कहते हैं।
भूसंपत्ति मानचित्र से इन्हें केडसर्टल मानचित्र भी कहते हैं। इन चित्रों में छोटे क्षेत्र को बड़ा और विस्तृत दिखाया जाता है। ताकि भूमि के उपयोग को जाना जा सके यह मानचित्र साधारण पटवारी के पास होते हैं।
मानचित्र पृथ्वी का या उससे उसके एक भाग का द्विआयामी चित्रण है। विषुवत रेखा से ध्रुवो की तरफ बढ़ने पर अक्षांश रेखाओं की लंबाई कम होती है ग्लोब पर लगभग 1 बिंदु के समान होता है।