मथुरा और गांधार मूर्तिकला विद्यालय भारतीय कला के दो प्रमुख विद्यालय हैं, जिन्होंने प्राचीन भारत में मूर्तिकला की दिशा और दशा को निर्धारित किया। यह दोनों विद्यालय बौद्ध, जैन और हिन्दू धर्मों की मूर्तियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

मथुरा और गांधार मूर्तिकला विद्यालय
🏛️ मथुरा मूर्तिकला विद्यालय
स्थान: मथुरा (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
काल: ईसा पूर्व 2वीं शताब्दी से लेकर गुप्त काल (6वीं शताब्दी ईस्वी) तक
प्रमुख केंद्र: मथुरा, कंकाली टीला, सोंख
✨ प्रमुख विशेषताएँ
- स्वदेशी शैली: मथुरा कला पूरी तरह भारतीय मूल की थी, जिसमें स्थानीय परंपराओं और धार्मिक भावनाओं का समावेश था।
- प्रमुख विषय: बुद्ध, बोधिसत्व, जैन तीर्थंकर, हिन्दू देवी-देवता और यक्ष-यक्षिणियाँ।
- बुद्ध की मूर्तियाँ: गोल चेहरा, मुस्कान, मुंडित सिर, पद्मासन या खड़ी मुद्रा में, अभय मुद्रा में दाहिना हाथ।
- वस्त्र और अलंकरण: हल्के वस्त्र, कम आभूषण, शरीर की प्राकृतिक बनावट पर जोर।
- प्रमुख सामग्री: लाल बलुआ पत्थर (स्पॉटेड रेड सैंडस्टोन)।
- धार्मिक विविधता: बौद्ध, जैन और हिन्दू – तीनों धर्मों की मूर्तियाँ बनाई गईं।
🏛️ गांधार मूर्तिकला विद्यालय
स्थान: गांधार (वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान क्षेत्र)
काल: ईसा पूर्व 1वीं शताब्दी से 5वीं शताब्दी ईस्वी तक
प्रमुख केंद्र: तक्षशिला, पेशावर, बामियान
✨ प्रमुख विशेषताएँ
- विदेशी प्रभाव: गांधार कला पर ग्रीको-रोमन (यूनानी-रोमन) प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जिससे इसे ‘ग्रीको-बौद्ध कला’ भी कहा जाता है।
- बुद्ध की मूर्तियाँ: लहराते बाल, प्रभामंडल, ग्रीक देवता अपोलो के समान चेहरा, वस्त्रों में सलवटें।
- यथार्थवादी शैली: मांसपेशियों, वस्त्रों की सिलवटों और चेहरे के भावों का सजीव चित्रण।
- प्रमुख सामग्री: ग्रे बलुआ पत्थर, प्लास्टर। (Art of Mathura)
- प्रमुख विषय: बुद्ध के जीवन की घटनाएँ, बोधिसत्व, हिन्दू देवी-देवता जैसे कुबेर, इंद्र आदि।
📊 मथुरा और गांधार मूर्तिकला विद्यालयों की तुलना
विशेषता | मथुरा शैली | गांधार शैली |
---|---|---|
प्रभाव | भारतीय मूल, स्वदेशी शैली | ग्रीको-रोमन प्रभाव, विदेशी शैली |
मुख्य विषय | बुद्ध, जैन तीर्थंकर, हिन्दू देवी-देवता | बुद्ध, बोधिसत्व, हिन्दू देवी-देवता |
मूर्तियों की शैली | प्राकृतिक, भावनात्मक | यथार्थवादी, शारीरिक विवरण पर जोर |
मुख्य सामग्री | लाल बलुआ पत्थर | ग्रे बलुआ पत्थर, प्लास्टर |
बुद्ध की छवि | मुस्कुराता चेहरा, मुंडित सिर | लहराते बाल, प्रभामंडल, ग्रीक देवता अपोलो के समान चेहरा |
📌 निष्कर्ष
मथुरा और गांधार मूर्तिकला विद्यालय ने भारतीय कला को समृद्ध किया और धार्मिक मूर्तिकला की विविधता को प्रस्तुत किया। मथुरा शैली जहां भारतीय परंपराओं पर आधारित थी, वहीं गांधार शैली ने विदेशी प्रभावों को आत्मसात किया। दोनों शैलियों ने मिलकर भारतीय मूर्तिकला की एक समृद्ध विरासत का निर्माण किया।