Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani परमाणु की संरचना एवं आवर्त सारणी

Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani



Paramanu ki Sanrachana Avart Sarani

परमाणु की संरचना एवं आवर्त सारणी

महर्षि कणाद के अनुसार पदार्थ को छोटे छोटे टुकड़ों में लगातार विभाजित करने पर अंत में प्राप्त सूक्ष्म कण परमाणु होते हैं।

पकुधा काव्यायाम के अनुसार इन सूक्ष्म कणों के संयुक्त होने से पदार्थ के अलग-अलग रूप प्राप्त होते हैं।

डेमोक्रिटस एवं ल्यूसीपस नामक ग्रीक दार्शनिक ने इन सूक्ष्म तम अविभाज्य कणों को Atoms कहा जो के ग्रीक भाषा के atomio से लिया गया है। जिसका अर्थ है अविभाज्य ।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत:-

1 जॉन डाल्टन एक ब्रिटिश स्कूल अध्यापक थे सन 1808 में जॉन डाल्टन के परमाणु सिद्धांत दिया।



डाल्टन के परमाणु के मुख्य अभिग्रहीत:-

1 प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं।
2 परमाणु अविभाज्य कणहोते हैं।
3 एक ही तत्व के सभी परमाणु समान अर्थात भार आकार व रासायनिक गुण धर्मों में समान होते हैं। 
4 भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु भार आकार व रासायनिक गुण धर्मों में भिन्न-भिन्न होते हैं। 
5 अलग अलग तत्वो के परमाणु सदैव छोटी-छोटी पूर्ण संख्याओं के सरल अनुपात में संयोग कर योगिक बनाते हैं।
6 रासायनिक अभिक्रिया में परमाणु केवल पुनः व्यवस्थित होते हैं इन्हें रासायनिक अभिक्रिया द्वारा ना तो बनाया जा सकता है ना ही नष्ट किया जा सकता है।

डाल्टन के सिद्धांत की कमियां:-

डाल्टन परमाणु में उपस्थित और छोटे-छोटे कणों के विद्यमान होने की बात बताने में असमर्थ रहा।

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थॉमसन का परमाणु मॉडल:-

1 परमाणु का सबसे पहला मॉडल 1898 मैं सर जेजे थॉमसन द्वारा प्रस्तुत किया।
2 थॉमसन के अनुसार परमाणु 10 ^10 मीटर के आकार का धन आवेशित गोला होता है।
3 धन आवेश के समान मात्रा में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन वितरित होते हैं।
4 थॉमसन के मॉडल को प्लम पुडिंग का मॉडल भी कहते हैं।
5 थॉमसन के अनुसार परमाणु क्रिसमस केक, बूंदी के लड्डू , तरबूज की तरह भी समझा जाता है।

थॉमसन मॉडल का निष्कर्ष:-

1 थॉमसन के अनुसार परमाणु में धन आवेश तथा ऋण आवेश समान मात्रा में वितरित होते हैं।
2 परमाणु विद्युत उदासीन होते हैं।



थॉमसन मॉडल की कमियां:-

1 यह मॉडल रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग को नहीं समझा सका जिससे यह सिद्धांत शीघ्र ही निरस्त कर दिया गया।
2 वर्तमान में यह सिद्धांत केवल ऐतिहासिक महत्व का रह गया।

नील्स बोर की परिकल्पना:-

1 नील्स बोर में 1913 मैं परमाणु मॉडल की परिकल्पना प्रस्तुत की।
नील्स बोर ने अपने परमाणु मॉडल में निम्नलिखित सात परिकल्पना प्रस्तुत की
1 परमाणु के केंद्र में नाभिक होते हैं जिसमें धन आवेशित कण प्रोटॉन उपस्थित होते हैं
2 इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और निश्चित त्रिज्या एवं ऊर्जा वाले पथ में गति करते हैं यह निश्चित ऊर्जा वाले पथ कक्षा कोश या ऊर्जा स्तर कहलाते है।
3 यह कक्षाएं नाभिक के चारों ओर स केंद्रीय रूप में व्यवस्थित होते हैं इन्हें n से दर्शाया जाता है तथा क्रमशः K ,L,M,N से दर्शाया जाता है
4 जैसे-जैसे n आन का मान बढ़ता है वैसे वैसे कक्षाओं की दूरी एवं उनके ऊर्जा भी बढ़ती जाती है
Note . K कक्षा की उर्जा सबसे कम होती है
5 इन कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग mrv =h/2π या का गुणांक होता है यहां h= प्लांक स्थिरांक m= इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान v= इलेक्ट्रॉन का वेग r= कक्षा की त्रिज्या है। इलेक्ट्रॉन केवल उन्हें कक्षाओं में गति कर सकता है जिनका कोणीय संवेग nh/2π के बराबर हो
6 बोर के अनुसार एक निश्चित कक्षा में चक्कर लगाने पर इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है
7 इलेक्ट्रॉन द्वारा परमाणु के बाहर से किसी प्रकार की ऊर्जा का अवशोषण करने अथवा उत्सर्जन करने पर रेखीय स्पेक्ट्रम का निर्माण होता है।



 

बोर मॉडल की कमियां:-

1 अधिक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु प्रतिरूप को इस मॉडल से स्पष्ट नहीं किया जा सकता।
2 परमाणु का रैकेट स्पेक्ट्रम एक से अधिक लाइनों में बटा होता है जिसका कारण बोर मॉडल से स्पष्ट नहीं हो सका।
3 यह परमाणु द्वारा रासायनिक बंध बनाकर अणुबनाने की प्रक्रिया को स्पष्ट करने में असफल रहा।

परमाणु में रैकेट स्पेक्ट्रम का निर्माण कैसे होता है?
इलेक्ट्रॉन जब परमाणु के बाहर से किसी प्रकार की ऊर्जा का अवशोषण करता है तो उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर मैं चला जाता है यदि इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तो उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न उर्जा स्तर की कक्षा में आ जाता है इस प्रकार परमाणु में इलेक्ट्रॉन द्वारा इसकीउर्जा अवशोषण व उत्सर्जन से रेखिक स्पेक्ट्रम का निर्माण होता है।



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