Rajasthan ke lok devta राजस्थान के लोक देवता
राजस्थानी लोक देवता से तात्पर्य उन महापुरूषों से है। जिन्हें राजधानी श्ूमि में जन्म लेकर अपने असाधरण साहसी एंव लोकोपकारी कार्य काके सहाॅ इधिवास करने वाली जनता के हृदय पटल पर देवीय अवतार के रूप में स्वीकार किये गये तथा जनता द्वारा पूजे जाने लगे।rajasthan ke lok devta
गोगाजी:-
* गोगाजी का जन्म चूरू जिले के ददरेवा नामक स्थान पर हुआ। इनकी माता का नाम वाछल तथा पिता का नाम जेवर सिंह था।
* गोगाजी को जाहरपीर तथा साॅंपों का देवता श्ी कहाॅ जाता था।
* गोगाजी अपने मौसेरे शईयांे अरजन व सुरजन तथा मुस्लिम आक्रमणकारियों से गायों को छुडाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए तथा उनकी पत्नी मेनल उनके साथ सती हो गई।
* गोगाजी का समाधि गोगामेडी में स्थित है। जहाॅ शद्रपद कृष्ण नवमी को गोगाजी का मेला लगता है।
* गोगामेडी हनुमानगढ जिले के नौहर कस्बे के दक्षिण में 39 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
* गोगामेडी आकार में मकबरानुमा है जिसके प्रवेष द्वार पर बिस्मिल्लाह लिखा है जहाॅ महाराज गंगासिंह नें गोगाजी की प्रतिमा लगाकर उसे मंदिर का स्वरूप प्रदान किया ।
* गोगामेडी के अतिरिक्त ददरेवा (चूरू)तथा ओल्डी गाॅव (साॅचोर) प्रमुख पूज्य स्थल है।
तेजाजी:-
* तेजाजी का जन्म 1074 ई में नागौर जिले के खडनाल (खडनाल्या) गाॅव में हुआ था।
* तेजाजी के पिता जी नागवंषी धौल्या गोत्र के ताहड जाट थे तथा माता का नाम राजकुवंर था।
* तेजाजी गायों के मुक्ति दाता तथा नागों के देवता के रूप में पूजे जाते है।
* राजस्थान के अजमेर जिले के अधिकांष गांवों में तेजाजी के चबूतरे हैं जिसके ऊपर एक घुड सवार व सर्प का चित्र अंकित होता है। सर्प दंष सें पीडित व्यक्ति को इस स्थान पर लाया जाता है। जहाॅ शेपे उचित विधि अनुसार सर्प के जहर को चूसते है। मान्यता है कि जब शेपा सर्प का जहर चूसता है तो उसमें तेजीजी की आत्मा प्रवेष कर जाती है और वह पीडित व्यक्ति के षरीर से जहर चूस कर बाहर निकाल देता है और उसे कुछ नही होता है।
* शेपे को तेजाजी का घेडला कहा जाता है।
* तेजाजी ने गायों को चोरों से मुत्त करातें हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी जिसकी सूचना उनकी घोडी लीलण नें उनके घर पर दी ।
* परबतसर (नागौर) में तेजाजी का मेला (भाद्रपद शुक्ल दषमी से पूर्णिमा तक )
* सेदरिया (ब्यावर )में तेजाजी का मूल स्थान “क्योकि सांप ने इन्हें यहीं डसा था।
rajasthan ke lok devta पाबूजी:-
* पाबूजी का जन्म 1239 ई में जोघपुर जिले के फलौदी तहसील के कोलू नामक स्थान पर हुआ था।
* पाबूजी मारवाड में राठौड वंष के धंधल राठौर के पुत्र थे।
* अमरकोट के सूरजमल सोढा की पुत्री फूलमदे के साथ पाबूजी का विवाह हुआ।
* पाबूजी अपने रिष्तेदार जासल के जींदराव (बहनोई)से गायों को मुक्त कराते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये तथा उनकी पत्नी उनके साथ शहीद हो गई।
* पाबूजी की धोडी का नाम केसर कालमी (घोडी) था।
* पाबूजी को शला लिए अष्वारोही प्रतीक चिन्ह के रूप में स्मरण किया जाता है।
* पाबूजी को ऊॅटों के देवता के रूप में पुजा जाता है। तथा ऊॅट के बीमार होने पर पाबूजी की पूजा की जाती है।
* पाबूजी को लक्ष्मण का अवतार माना जाता है। तथा मनौती के लिए पाबू जी की फड लगाई जाती है।
* पाबूजी अस्पृष्यता के प्रबल स्तुति स्थल कोलू (फालौदी)में प्रति वर्ष पाबूजी की स्मृति में मेला श्रता है।
* शेपा -भोपी द्वारा पाबूजी की फड गाई जाती है।
rajasthan ke lok devta बाबा रामदेव जी:-
* बाबा रामदेव का जन्म उँडूकासमेर(बाडमेर)जिले में गाॅव (रामदेवरा)में हुआ था।
* बाबा रामदेव जी के पिता तंवर वंषीय ठाकुर अजमाल जी तथा माता मैणादे थीं।
* रामदेवजी ने बाल्यावस्था में ही पोखरण के पास सातलमेर में तांत्रिक भैरव का वध करके उसके आंतक का अंत किया।
* रामदेव जी ने शोषण “ श्ेदभाव “जातिप्रथा“के विरूध्द लोंगों को जाग्रत किया तथा तर्क दिया कि ईष्वर ने सभी को एक समान बनाया हैं और सभी को स्वाभिमान से जीने का समान अधिकार है।
* रामदेव जी ने मुसलमान बने हिन्दुओं के शुध्दिकरण के प्रयास किये तथा मेघवाल जाति की डालि बाई को अपनी बहन बनाया।
* तात्कालिक समय बाबा रामदेव जा व पाबूजी ने मतान्तरण रोकने में अहम श्ूमिका निभाई ।
* रामदेव जी को पीरों का पीर कहा जाता है।
* उन्हें चमत्कारों का पर्चा कहा जाता है।
* रामदेव जी ने कामडिया पंथ आरम्भ किया जिसमें सवर्ण तथा अवर्ण सभी वर्ग के लोग आस्तिक हुए ।
* बाबा रामदेव को हिन्दू कृष्ण अवतार मुसलमान रामषाह पीर के रूप में पूज्य मानते है।
* रामदेव जी के समाधि स्थल रामदेवरा में शद्र पक्ष शुक्ल द्वितीया एकादषी के दिन एक विषाल मेला लगता हैै। जिसका प्रमुख आकर्षण कामडिया पंथी लोंगों द्वारा किया जाने वाला तेरहताली नृत्य है।
* रामदेव जी के पूज्य प्रतीक चिन्ह के रूप में एक खुले चबूतरे पर ताख बनाकर बाबा के चरण चिन्हों की पूजा की जाती है।
* छोटा रामदेवरा का मंदिर गुजरात राज्य में स्थित है।
* राजस्थान में रामदेव जी के अन्य मुख्य स्थलों में बाराठियाॅ मंदिर (बर गाॅव “अजमेर )तथा रामदेव धाम सुरता खेडा मंदिर (सुरता खेडा गाॅव “चित्तौडगढ)स्थित है।
* बाबा रामदेवजी के मेघवाल श्क्तों को रिखिया कहा जाता है।
बाबा तल्ली नाथ जी :पंचमुखी पहाड पांचोटा“जालौर
* बाबा तल्ली नाथ का मुल नाम राठौड गागदेव था तथा पिता वीरमदेव व गुरू जलरून्ध नाथ थे।
* बाबा तल्ली नाथ का पुजा स्थल जालौर जिले के पाॅचैटा गांव मंपंचमुखी पहाड है। जहाॅ घुडसवार के रूप में उनकी मूर्ति स्थापित है।
* माना जाता है। कि जब गाॅंव में कोई व्यक्ति “बच्चा “जानवर बीमार होता हो या किसी को कोई विषैला जीव काट ले तो उसे बाबा के मठ पंचमुखी पहाड पर लाने पर उसे बाबा तल्लीनाथ के नाम का डारो बाॅधा जाता है। जिससे पीडित व्यक्ति को आराम मिलता है।
rajasthan ke lok devta मल्लीनाथ जी:-
* सिध्द पुरूष मल्लीनाथ जी का जन्म 1358 ई में मारवाड के रावल वंष में हुआ।
* मल्लीनाथ निर्गुण और निराकार श्क्ति में विष्वास करते थे।
* जोधपुर के पष्चिमी परगने का नाम मल्लीनाथ के नाम पर मालीन (बाॅडमेर)रखा गया।
* बाडमेर जिले के तिलवाडा नामक ग्राम में लुनी नदी के किनारे मल्लीनाथ का पषु मेला श्रता है।
वीर कल्लाजी:-
* छतरी-चित्तौड शेषनाग के अवतार
* वीर कल्ला जी मेडता के राठौड वंष से संबधित थे।
* कल्लाजी राठौड के पिता मेडता के राव जयमल के छोटे शई आससिंह थे तथा ये मीराबाई के श्तीजे थे मीरा उनकी श्ुआ थी।
* कल्लाजी को चार हाथों वाले देवता के रूप में जाना जाता है।
* श्ेरव इनके गुरू “कुलेटी नागणेची की आराधना करते हुए योगाभ्यास किया।
वीर बिग्गाजी:-
* इन्होने अपना समपूर्ण जीवन गौ रक्षा एंव गौ संवर्धन में व्यतीत किया।
* इनका जन्म जांगल प्रदेष (वर्तमान बीकानेर)के एक जाट परिवार में हुआ।
* राजस्थान का जाखड समाज उन्हें अपने कुल देवता के रूप में पुजता है।
* बिग्गाजी मुस्लिम लुटेरों से गायों को मुक्त कराते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
देव बाबा:-
* देव बाबा का मंदिर श्रतपुर जिले के नगला जहाज गाॅव में स्थित है।
* देव बाबा ने धार्मिक विचारों का प्रचार करने के साथ-साथ चिकित्सीय ज्ञान श्ी अर्जित किया।
* उन्होनें ग्वालों एंव पषुओं के कल्याण हेतु अपना समपूर्ण जीवन व्यतीत का दिया ।
* बाबा देव गुजरों के पालन हार तथा कष्ट हन्ता के रूप में जाना जाता है।
झूंझार जीः-
* झूंझार जी का जन्म सीकर जिले के नीम का थाना कस्बा के इमलोहा गाॅव में एक राजपुत परिवार में वहाॅ से गुजर रही बारात के बारातियों एंव दूल्हा-दूल्हन को मार डाला।
* मरे गये तीनों शई आपसी प्यार एंव बलिदान के कारण एंव जनश्रध्दा के कारण झूंझार लोकदेवता के नाम से प्रसिध्द हुए । गौरक्षा हेतू (षहीद हुए व्यक्तियों को सामान्य रूप से झूंझार जी कहते है।)
* रामनवमी के दिन स्योलादडा गाॅव में झूंझार जी की स्मृति में मेला श्रता है।
* प्रायः झूंझार जी का स्थान खेजडी के वृक्ष के नीचे होता है।
देवनारायण जी:-
* देवनारायण जी का जन्म 1243 ई में नाग वंषीय बगडावत गुर्जर वंष में सवाई शेज एंव सेडु के यहाॅ हुआ था।
* गुर्जर जाति के लोग इन्हें विष्णु का अवतार मानते है। गुर्जर देपजी के प्रधान अनुयायी है।
* गुर्जर लोग देवजी की पड के गायन द्वारा देवजी का यष ज्ञान करते है।
* आंसींद (भीलावाडा)के पास देवमाली में देवजी का प्रमुख उपासना स्थल है इसके अतिरिक्त देवधाम जोधपुरिया (टोंक)में श्ी इनका पूज्य स्थल है।