sahkarita evam upbhokta sahaktikaran सहकारिता एवं उपभोक्ता सशक्तिकरण

sahkarita evam upbhokta sahaktikaran

सहकारिता एवं उपभोक्ता सशक्तिकरण
मिलजुल कर कार्य करना सहकारिता का आधार है यह सहयोग की भावना से ही संभव है आपसी सहयोग के साथ जो कार्य करता है उसे हम सहकारिता कहते हैं सहकारिता में समाज के निर्धन उत्तम एवं कमजोर व्यक्ति का हित भी निहित होता है
सहकारिता में सदस्यता स्वैच्छिक होती है
इसका संचालन एवं प्रबंध सभी सदस्यों की सहमति से होता है
सभी सदस्यों को एक जैसे अधिकार एवं अवसर प्राप्त होते हैं
इसमें आर्थिक उद्देश्य के साथ-साथ नैतिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को भी शामिल किया जाता है
सहकारिता का मूलमंत्र है एक सबके लिए सभी एक के लिए और सब के हित में ही हमारा हित है
समिति का पंजीकरण सहकारिता विभाग से करवाया जाता है। संचालन सदस्यों में से ही चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा होता है समिति के लिए सभी मिलकर कार्य करते है आय व्यय का उचित तरीके से हिसाब किताब रखा जाता है। लाभ-हानि में सभी सदस्य सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।
कृषि सहकारी समिति
दुग्ध सहकारी समिति
उपभोक्ता सहकारी समिति
गृह निर्माण सरकारी समिती
क्रय विक्रय सहकारी समिति
उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 में बनाया गया कोई भी ग्राहक उपभोक्ता अदालत में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है जब कोई व्यक्ति अपने उपयोग के लिए कोई वस्तु अथवा सेवा खरीदता है तो वह उपभोक्ता कहलाता है। वह वस्तु एवं सेवा का प्रत्यक्ष एवं अंतिम उपभोग करने वाला व्यक्ति होता है
उपभोक्ता का शोषण कई प्रकार से किया जाता है गारंटी की शर्तों के अनुसार उसे नहीं बदलना अथवा गारंटी की अवधि में उसमें सुधार नहीं करना घटिया सेवा देना समय पर सेवा नहीं देना या भुगतान प्राप्त करने के बावजूद सेवा नहीं देना आदि तरीकों से उपभोक्ताओं का शोषण किए जाने की घटनाएं होती रहती है।
खरीदारी के समय रखी जाने वाली सावधानियां
खरीदा हुआ माल या वांछित सेवा के भुगतान का बिल अथवा रसीद और गारंटी/वारंटी कार्ड अवश्य लेना चाहिए
नाम, मात्रा, बैच नंबर, उत्पादन एवं अवधि समाप्ति की तिथि, कीमत कर सहित/रहित तथा निर्माता का पूरा नाम व पता अच्छी तरह जांच कर खरीदना चाहिए।
वस्तु की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाले आई. एस. आई., एगमार्क, एफ.पी.ओ आदि मानव चिन्हों को देखकर खरीदना चाहिए।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बनाया गया है बीस लाख रुपए तक की शिकायत जिला उपभोक्ता मंच ने 20 लाख से अधिक और एक करोड़ तक की राशि से संबंधित विवाद राज्य उपभोक्ता आयोग में एक करोड रुपए से अधिक राशि से संबंधित शिकायत राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में की जा सकती है।
उपभोक्ता प्रत्येक स्तर पर 30 दिन की अवधि में न्याय के लिए ऊपरी न्यायालय में अपील कर सकता है उपभोक्ता न्यायालय में सभी जिला मुख्यालयों पर जिला उपभोक्ता मंच स्थापित किए गए हैं।
उपभोक्ता सादे कागज पर चार-पांच पंक्तियों में शिकायत लिखकर डाक से किसी प्रतिनिधि द्वारा या स्वयं उपभोक्ता न्यायालय में प्रस्तुत होकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है इसका ₹100 शुल्क होता है वस्तु या सेवा में दोष होने पर 2 वर्ष की अवधि में शिकायत दर्ज करना जरूरी होता है। शिकायत में उपभोक्ता का नाम पता विक्रेता पक्ष का नाम पता व शिकायत का विवरण एवं शिकायत करता जो कुछ चाहता है, उसका पूरा विवरण होना चाहिए साथ ही बिल/रसीद आदि भी साथ होना चाहिए

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