Satat Mulyankan सतत मूल्यांकन
Satat Mulyankan सतत मूल्यांकन
सतत मूल्यांकन के प्रकार :-
निदानात्मक मूल्यांकन
रचनात्मक मूल्यांकन
सकल्नातमक मूल्यांकन
निदानात्मक मूल्यांकन:- जिन बालकों में अधिगम की प्रगति सामान्य नहीं होती है समस्याओं का विश्लेषण उपरात्मक शिक्षण
रचनात्मक मूल्यांकन:- अधिगम की प्रकृति का आकलन व निर्धारण गृहकार्य, क्लास टेस्ट,दंत कार्य क्वीज टेस्ट इत्यादि का प्रयोग
शिक्षक द्वारा शिक्षण विधि में सुधार
छात्र द्वारा अपने संख्यात्मक व्यवहार में सुधार