शक्ति सत्ता और वैधता
अध्याय शक्ति सत्ता और वैधता
शक्ति –
1 मैकाइवर के अनुसार यह किसी भी संबंध के अंतर्गत ऐसी क्षमता है जिससे दूसरों से कोई काम लिया जाता है या आज्ञापालन कराया जाता है
2 मौलिकता के अनुसार जिसके पास शक्ति होती है वह दूसरों के कार्य में विचारों को अपने अधीन कर सकते हैं वह अपनी इच्छा अनुसार उनसे कार्य करवा सकता है
शक्ति का बल और प्रभाव-
शक्ति और बल को एक ही माना जाता है परंतु यह एक नहीं है शक्ति अप्रत्यक्ष तथा बल प्रत्यक् होता है
इसी तरह शक्ति और प्रभाव में भी अनेक समानता है तथा अनेक असमानताएं होती है प्रभाव शक्ति उत्पन्न करता है शक्ति प्रभाव को लेकर इनमे अंतर पाया जाता है शक्ति में भौतिक बल का प्रयोग होता है तथा प्रभाव में मनोवैज्ञान का प्रयोग होता है शक्ति का प्रयोग किसी के खिलाफ अपनी इच्छा अनुसार किया जा सकता है परंतु प्रभाव का प्रयोग अपनी इच्छा अनुसार नहीं किया जा सकता है
शक्ति के रूप
सामान्य रूप से शक्ति तीन प्रकार की होती हैं
1 राजनीतिक शक्ति
2 आर्थिक शक्ति
3 विचारधारात्मक शक्ति
1 राजनीतिक शक्ति
राजनीतिक शक्ति का प्रयोग सरकार के विभिन्न अंग व्यवस्थापिका कार्यपालिका और न्यायपालिका करते हैं इन्हें शक्ति का औपचारिक रुप कहा जाता है इनके अलावा दबाव समूह राजनीतिक दल या प्रभावशाली व्यक्ति में शक्ति का प्रयोग करते हैं और सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करते हैं जिन्हें शक्ति का अनौपचारिक रूप कहा जाता है
2 आर्थिक शक्ति
आर्थिक शक्ति का अर्थ उत्पादन के साधनों एवं धनसंपदा पर स्वामित्व होता है जो आर्थिक रूप से शक्तिशाली होते हैं वे राजनीतिक रूप से भी शक्तिशाली होते हैं उदारवादी मानते हैं कि आर्थिक शक्ति राजनीतिक शक्ति को प्रभावित नहीं करती है परंतु मार्क्सवादी मानते हैं कि आर्थिक शक्ति राजनीतिक शक्ति को भी प्रभावित करती है
3 विचारधारात्मक शक्ति
विचारों का वह समूह जिसके अनुसार हमारे दृष्टिकोण का विकास होता है यह लोगों की सोचने में समझने के ढंग को प्रभावित करती हैं
शक्ति की संरचना
शक्ति के 4 सिद्धांत होते हैं
1 वर्ग प्रभुत्व का सिद्धांत
वर्ग प्रभुत्व का सिद्धांत मार्क्सवाद की देन है पूंजीपतियों तथा मजदूरी के मध्य चल रहे संघर्ष को ही वर्ग प्रभुत्व संघर्ष कहा जाता है इन दोनों वर्गों के बीच समाज में संघर्ष चलता रहता है मार्क्सवाद के अनुसार व्यक्ति का प्रत्येक कार्य स्वार्थ की दृष्टि से किया जाता है
2 विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत
इस सिद्धांत के आधार पर समाज शक्ति के आधार पर दो वर्गो में बटा होता है विशिष्ट वर्ग जो शक्तिशाली होते हैं और सामान्य वर्ग जिसके ऊपर शक्ति का प्रयोग किया जाता है इस सिद्धांत के अनुसार या विभाजन केवल आर्थिक आधार पर नहीं होता है इसके अनेक आधार कुशलता संगठन क्षमता बुद्धि नेतृत्व होते हैं इन आधारों पर ही विशिष्ट वर्ग तथा सामान्य वर्ग का विकास होता है।
3 नारीवाद सिद्धांत
इस सिद्धांत का मानना है कि समाज में शक्ति का विभाजन लिंग के आधार पर होना चाहिए समाज में सारी शक्तियां पुरुष वर्ग के पास होती है जो महिलाओं पर शक्ति का प्रयोग करते हैं भारत ने आजादी के साथ ही महिलाओं को मताधिकार तथा निर्वाचित होने का अधिकार दिया भारत नारी मुक्ति की मांग नहीं करता है बल्कि नारी स्वाधीनता की मांग करता है।
4 बहुलवादी सिद्धांत
बहुलवादी सिद्धांत के अनुसार सामान में शक्ति किसी वर्ग के हाथ में नहीं होकर अनेक वर्गों के हाथ में होती है भारतीय व्यवस्था में शक्तिशाली होने का अर्थ एक ही सार्वजनिक हित के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग करना इसमें शक्तिहीन को शक्तिशाली संपन्न बनाकर समाज के विकास करना होता है।
सत्ता-
सत्ता किसी व्यक्ति संस्था नियम का ऐसा कौन है जिसके कारण उसे सही मानकर अपनी इच्छा से उसे अपनाया जाता है और उसका पालन किया जाता है।
सत्ता पालन के आधार
1 विश्वास सत्ता पालन विश्वास सबसे महत्वपूर्ण तत्व होता है विश्वास जितना अधिक होगा सत्ताधारी के आदेशों की पालना उतनी ही जल्दी से होगी।
2 एकरूपता विचार और आदर्शों को एक दृष्टि से देखना सत्ता का महत्व पूर्ण आधार है।
3 लोक हित लोक कल्याण सत्ता का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है हम अधिकतर कानूनों की पालना ठंड के दबाव से नहीं बल्कि इसलिए करते हैं कि वह लोक कल्याणकारी भावना को बढ़ावा देते हैं।
4 दबाव जो लोकसत्ता द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन नहीं करते उन्हें दबाव का महत्व समझाया जाता है।
सत्ता के रूप
1 परंपरागत सत्ता इस सत्ता का आधार परंपराएं इतिहास होता है इसमें यह माना जाता है कि जो व्यक्ति या वंश परंपरा के अनुसार सत्ता का प्रयोग कर रहा है सत्ता उसी के पास बनी रहनी चाहिए।
2 करिश्माई सत्ता यह सब तो व्यक्ति के गुणों पर आधारित होती हैं इसमें सत्ता का आधार भावनाएं होती है देसी महात्मा गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरु इंदिरा गांधी करिश्माई सत्ता की उदाहरण हैं।
3 कानूनी सत्ता इसका आधार पद होता है व्यक्तित्व नहीं इस पद को हासिल करने के लिए उस पद को प्राप्त करने वाला व्यक्ति सत्ता का प्रयोग करता है।
वैधता-
वैधता शक्ति और सत्ता के बीच की कड़ी है शक्ति का आधार पर व्यक्ति को बाहरी रुप से अधीन किया जा सकता है और वैधता के आधार पर व्यक्तियों को आंतरिक रुप से भी अधीन किया जा सकता है।
इस तरह शक्ति सत्ता और वैधता एक दूसरे से परस्पर जुड़ी हुई है। शक्ति के बिना समाज में शांति व्यवस्था न्याय की स्थापना नहीं की जा सकती हैं। शक्ति सत्ता के साथ जुड़कर वैधता का रुप ले लेती हैं।