शीत युद्ध का दौर
शीत युद्ध का दौर
शीत युद्ध का अर्थ :- शीत युद्ध के अर्थ को हम निम्न परिभाषाओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं :-
पंडित जवाहरलाल नेहरु के अनुसार शीत युद्ध एक मस्तिष्क का युद्ध है
हॉट किंग के अनुसार :- शीत युद्ध बिना अस्त्र शस्त्र से लड़ा गया युद्ध था अथार्त प्रतिस्पर्धात्मक युद्ध था
मौलिकता के आधार पर :- शीत युद्ध एक ठंडा युद्ध था जो एक वास्तविक युद्ध ना होकर एक प्रतिस्पर्धात्मक युद्ध था
शीत युद्ध के कारण :-
1 परस्पर संदेह एवं अविश्वास
2 परस्पर विरोधी अभियान एवं नफरत भरा प्रचार करना
3 सोवियत संघ द्वारा वीटो पावर का बार-बार प्रयोग करना
4 शस्त्रों की बिक्री करना
5 राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना
6 अणु बम का रहस्य
7 पश्चिमी राष्ट्रों को अमेरिका द्वारा सहायता देना
8 शक्ति संघर्ष
9 युद्ध कालीन निर्णयों की आवेदन करना
शीत युद्ध के प्रभाव
1 सकारात्मक प्रभाव
2 नकारात्मक प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव
1 गुटनिरपेक्ष आंदोलन को बढ़ावा मिलना
2 तकनीकी उन्नति होना
3 शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देना
नकारात्मक प्रभाव
1 भय एवं संदेह का वातावरण उत्पन्न होना
2 संयुक्त राष्ट्र संघ का होना
3 दो विरोधी गुटों का निर्माण होना
4 लोकतंत्र के स्थान पर सैनिकवृत्ति होना
5 सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था की विफलता
6 परमाणु युद्ध का भय उत्पन्न होना
7 कल्याणकारी कार्य की उपेक्षा करना
8 निशस्त्रीकरण कार्य की उपेक्षा करना
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व में शीत युद्ध लड़ा गया
शीतयुद्ध का कार्यकाल 1945 से 15 दिसंबर 1991 तक
शीत युद्ध लड़ा गया :- 1अमेरिका 2 संयुक्त संघ के मध्य
नाटो की स्थापना :- 1949 में (अमेरिका द्वारा )
सीटों की स्थापना :- 1954 में (अमेरिका द्वारा)
सेंटो की स्थापना :- 1955 में (अमेरिका द्वारा)
वारसा संधि पैकेट की स्थापना :- 1955 (सोवियत संघ द्वारा)
गुट निरपेक्षता का जन्म :- 1955 (बांडुंग सम्मेलन में)