वायुमंडल का संघटन संरचना

वायुमंडल का  संघटन, संरचना 

वायुमंडल का  संघटन, संरचना 



वायुमंडल विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण है और यह पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए हैं।

वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक स्थित है।

120 किलोमीटर की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है।

कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही पाए जाते हैं।

प्रश्न कार्बन डाइऑक्साइड मौसम विज्ञान की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण क्यों है ?

उत्तर:- क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी हैं।

ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी गैस हैं :- कार्बन डाइऑक्साइड





ओजोन पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती हैं।

ओजोन सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर उनको पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से रोकती है।

जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है जो ऊंचाई के साथ घटती जाती हैं।

गर्म तथा आद्र उष्णकटिबंध  मे जलवाष्प हवा के आयतन का 4% होती है, जबकि ध्रुवों जैसे प्रदेशों में 1% भाग से भी कम होती है।

विषुवत वृत्त से ध्रुवों की तरफ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है।

जलवाष्प सूर्य से निकलने वाले ताप  तथा पृथ्वी से निकलने वाले ताप की कुछ मात्रा को अवशोषित कर लेती हैं।

जलवाष्प पृथ्वी के लिए एक कंबल की तरह कार्य करती हैं जो पृथ्वी को न अधिक ठंडा ना अधिक गर्म होने देती हैं।

जलवाष्प वायु को स्थिर और अस्थिर होने में योगदान देती हैं।

धूलकण सामान्यत: वायुमंडल के निचले भाग में होते हैं।

संवहनीय वायु प्रवाह धूलकणों को काफी ऊंचाई तक ले जा सकता है।

धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में होता है। (सूखी हवा के कारण)

 



 

धूल और नमक के कारण आद्रताग्राही केंद्र की तरह कार्य करते हैं।

धूल और नमक के कणों के चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करती हैं।

वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों से बना होता है।

पृथ्वी की सतह के पास वायुमंडल का घनत्व अधिक होता है।

पृथ्वी से ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ वायुमंडल का घनत्व  घटता जाता है।

तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को पांच विभिन्न संस्तरों में बांटा गया है :-

(1) क्षोभमंडल, (2) समतापमंडल, (3) मध्यमंडल, (4) बाह्यमंडल तथा  (5) बहिर्मंडल।

क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचला संस्तर है।

क्षोभमंडल की ऊंचाई पृथ्वी की सतह से लगभग 13 किलोमीटर है।

क्षोभमंडल ध्रुव के निकट 8 किलोमीटर तथा विषुवत वृत्त पर 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला है। 

क्षोभमंडल की मोटाई विषुवत रेखा पर सबसे अधिक है क्योंकि तेज वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊंचाई तक संवहन किया जाता है।

क्षोभमंडल संस्तर में धूलकण और जलवाष्प मौजूद होते हैं।

क्षोभमंडल में मौसम संबंधी परिवर्तन होते हैं।

क्षोभमंडल संस्तर में प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान 1 डिग्री सेल्सियस घटता जाता है। 

क्षोभमंडल जैविक क्रिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण संस्तर है। 

क्षोभमंडल और  समतापमंडल को अलग करने वाले भाग को क्षोभसीमा कहते हैं।

विषुवत रेखा पर क्षोभसीमा में वायु का तापमान  80 डिग्री सेल्सियस और ध्रुव के ऊपर 45 डिग्री सेल्सियस होता है।

क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा जहां पर तापमान स्थिर रहता है, उसे क्षोभसीमा कहा जाता है।

क्षोभमंडल से ऊपर 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक समतापमंडल पाया जाता है।



समतापमंडल में ओजोन परत पाई जाती हैं।

ओजोन परत सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी की रक्षा करती हैं।

समतापमंडल से ऊपर 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक मध्यमंडल फैला हुआ है।

मध्यमंडल में ऊंचाई मे वृद्धि के साथ साथ तापमान में कमी होने लगती हैं।

मध्यमंडल की ऊपरी परत को मध्य सीमा कहते हैं।

मध्यमंडल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के बीच आयनमंडल फैला हुआ है।

आयनमंडल में विद्युत आवेशित कण पाए जाते हैं, जिन्हें आयन कहते हैं। और इसी कारण इसे आयनमंडल कहा जाता है।

पृथ्वी द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगे आयनमंडल संस्तर के द्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती है।

वायुमंडल का सबसे ऊपरी संस्तर जो बाह्यमंडल के ऊपर स्थित होता है, उसे बहिर्मंडल कहते हैं। 

बहिर्मंडल सबसे ऊंचा संस्तर है।



बहिर्मंडल के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।

बहिर्मंडल संस्तर में मौजूद सभी घटक विरल होते हैं, जो धीरे-धीरे बाहरी अंतरिक्ष में मिल जाते हैं।

ताप, दाब, हवा, आद्रता, बादल और वर्षण वायुमंडल के महत्वपूर्ण तत्व है, जो पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं।

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