Class 7th Science Chapter 4 ऊष्मा

Class 7th Science Chapter 4 ऊष्मा

Class 7th Science Chapter 4 ऊष्मा

ऊष्मा :-  किसी वस्तु की उष्णता (गर्मी) की विश्वसनीय माप उसके ताप से की जाती है। ताप मापने के लिए उपयोग की जाने वाली युक्ति को तापमापी (थर्मामीटर) कहते हैं ।

उष्मा उच्च ताप के पिंड से निम्न ताप के पिंड की ओर स्थानांतरित होती है। एक वस्तु से दूसरी वस्तु में ऊष्मा तीन प्रक्रमों द्वारा स्थानांतरित हो सकती है। यह हैं,  चालन , संवहन तथा विकिरण।

डॉक्टरी थर्मामीटर :-  जिस तापमापी से हम अपने शरीर के ताप को मापते हैं उसे डॉक्टरी थर्मामीटर कहते हैं। डॉक्टरी थर्मामीटर में लंबी, बारीक तथा एक समान व्यास की एक कांच की नली होती है। बल्ब में पारा भरा होता है। बल्ब के बाहर नली में पारे की एक पतली चमकीली धारी देखी जा सकती है।

थर्मामीटर से ताप मापन :–  उपयोग करने से पहले थर्मामीटर को रोगाणुरोधक घोल में अच्छे से साफ किया जाता है। फिर थर्मामीटर को हाथ से पकड़ कर झटके देकर पारे को 35 डिग्री सेल्सियस पर लाया जाता है, फिर थर्मामीटर के बल्ब को अपनी जीभ के नीचे रखा जाता है। उसके बाद थर्मामीटर को बाहर निकालकर उसका पाठ्यांक नोट करते हैं , वही हमारे शरीर का ताप होता है।

प्रयोगशाला तापमापी:–   तापमान प्रयोगशाला तापमापी का परिसर प्राय: 10 डिग्री सेल्सियस से 110 डिग्री सेल्सियस तक होता है। मौसम संबंधी रिपोर्ट में अधिकतम व न्यूनतम ताप की जानकारी के लिए अधिकतम – न्यूनतम तापमापी का प्रयोग किया जाता है।

उष्मा का स्थानांतरण :– उष्मा किसी वस्तु के गर्म सिरे से ठंडे सीरे की ओर स्थानांतरित होती है,यह चालन कहलाता है। ठोसों में उष्मा प्राय: चालन के प्रक्रम द्वारा स्थानांतरित होती है । 

सर्दियों तथा गर्मियों में हमारे पहनने के वस्त्रों के प्रकार :–  गर्मियों में सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना अधिक आरामदायक होता है। हल्के रंग,व सूती कपड़े उष्मीय विकिरणों के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देते हैं । तथा  सर्दियों में हम गहरे रंग के व ऊनी कपड़े पहनते है। ऊन ऊष्मा – रोधी होती है। उनके रेशों के बीच वायु फंसी हुई रहती है। तथा यह वायु हमारे शरीर की उष्मा को ठंडे परिवेश की ओर विकिरित होने से रोकती है, इससे हमें ठंड नहीं लगती है, और उष्णता का अनुभव होता है।

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