आसियान एवं सार्क – क्षेत्र संगठन
आसियान एवं सार्क – क्षेत्र संगठन
आसियान संगठन- दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ की स्थापना 8 अगस्त 1967 में पांच प्रारंभिक सदस्यों इंडोनेशिया मलेशिया फिलिपिंस सिंगापुर एवं थाईलैंड द्वारा की गई 1984 में इसके सदस्य राष्ट्र में वृद्धि हुई 1995 में वियतनाम 1999 में कंबोडिया आदि राष्ट्रीय इसके सदस्य बने आसन का प्रथम शिखर सम्मेलन 1976 में बाली इंडोनेशिया में हुआ इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित है
आसियान प्रकृति एवं उद्देश्य- आसियान के 10 सदस्य राष्ट्र की औपनिवेशिक विरासत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि राजनीतिक आर्थिक व सामाजिक मूल्यों में अंतर पाया जाता है परंतु इन देशो की चुनौतियां एक जैसी है इन समस्याओं का मुकाबला करने के लिए आसियान संगठन की स्थापना की गई
आसियान संगठन स्थापना के उद्देश्य-1 आसियान सदस्य राष्ट्रों का आर्थिक सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक विकास करने के लिए
2 आसियान सदस्य राष्ट्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए
3 संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना वर्चस्व हासिल करने के लिए
4 सदस्य राष्ट्रों के मध्य साझा बाजार तैयार करने के लिए
5 एक दूसरे राष्ट्र के मध्य परस्पर व्यापार को बढ़ावा देने के लिए
6 सभी सदस्य राष्ट्रों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए
7 एक दूसरे के समस्याओं के लिए आपसे विश्वास समझ-बूझ और सहायता को विकसित करने के लिए
आसियान के कार्य एवं भूमिका-
1आसियान का कार्य निरंतर बढ़ रहा है।
2 यह राजनीतिक आर्थिक सामाजिक कथा तकनीकी सभी क्षेत्र में कार्य कर रहा है
3 1969 में संचार व्यवस्था में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए वीडियो में दूरदर्शन के कार्यक्रमों का आदान-प्रदान शुरू किया
4 पर्यटन के क्षेत्र में आशियंटा नामक सामूहिक संगठन की स्थापना की गई जो सदस्य देशों में बिना वीजा के परस्पर पैटर्न पर बल देता है
5 आज शाम में कृषि क्षेत्र में खाद्यान्न का उत्पादन को प्राथमिकता दी गई
6 आपस में आयात निर्यात को बढ़ावा दिया गया
भारत और आसियान- भारत आसियान का पूर्ण संवाद सहयोगी देश है तथा आश्रम के सहयोगी संगठन एशियाई क्षेत्रीय फोरम का भी सदस्य हैं पिछले 10 वर्षों में आसियान के साथ भारत का व्यापार बढ़कर 5 गुना हो गया है यह भारत के वर्तमान एक्ट ईस्ट की नीति के तहत हुआ है
भारत के साथ आसियान की बढ़ती भूमिका के कारण-
1 भारत को अपनी तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए बाजार की आवश्यकता है मेक इन इंडिया की नीति के तहत भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में उत्पादन करने के लिए आमंत्रण दिया है
2 भारत और अर्थव्यवस्थाओं को न केवल बाजार की आवश्यकता है बल्कि तेल प्राकृतिक गैस में ऊर्जा उत्पादन की भी आवश्यकता है इस आवश्यकताओं की पूर्ति की लिए आसियान सबसे उपयोगी क्षेत्र है भारत की कोयले की मांग इंडोनेशिया तथा गैस की मांग वियतनाम से पूरी होती है
3 भारत आसियान देशों के साथ सभी प्रकार के संबंध स्थापित करना चाहता है भारत इन देशों में आर्थिक जगह बनाना चाहता है
आसियान का योगदान और समीक्षा-
1 आसियान की स्थापना से लेकर इसके 28वें शिखर सम्मेलन तक आसियान के सारे कार्य उपलब्धियों से यह पता चलता है कि जिन उद्देश्य के लिए आसियान की स्थापना की गई थी उनको वह पूरी तरह से प्राप्त नहीं कर सका है
2 आसियान यूरोपीय साझा बाजार कितना सफल नहीं हो सकता है
3 आर्थिक सहयोग में आज शाम की गति कम होने के कारण सदस्य राष्ट्रों के पास पूंजी की कमी आ गई है
4 अधिकांश देशों का झुकाव पश्चिमी देशों की तरफ रहा है
5 आसियान के महत्व का पता इस बात से पता लगाया जा सकता है कि विश्व के महत्वपूर्ण 23 देशों में जिनमें अमेरिका रूस जापान चीन भारत आदि इसके एशियन रीजनल फॉर्म के सदस्य हैं
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन( दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन दक्षिण एशिया के 8 देशों के क्षेत्रीय सहयोग संगठन हैं इस संगठन की स्थापना दिवंगत बांग्लादेश के शासनाध्यक्ष मुजीबुर्रहमान की पहल पर हुई इसके लिए अगस्त 1983 को नई दिल्ली में 7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई इस बैठक में सदस्य देशों ने आपसे सहयोग कुछ मुद्दों पर एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए इस सहमति पत्र के आधार पर 7 और 8 दिसंबर 1985 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में दक्षेस का पहला शिखर सम्मेलन हुआ प्रारंभ में सार्क संगठन के सदस्य राष्ट्रीय थे भारत पाकिस्तान बांग्लादेश भूटान नेपाल श्रीलंका मालदीव वर्तमान में सार्क के 8 सदस्य राष्ट्र है सार्क के 14 शिखर सम्मेलन में 3 अप्रैल 2007 को अफगानिस्तान इसके सदस्यता हासिल की इसका मुख्यालय नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है
सार्क संगठन के उद्देश्य-1 सार्क के सदस्य राष्ट्रों का आर्थिक सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक विकास करने के लिए
2 सार्क के सदस्य राष्ट्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए
3 संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए
4 अंतरराष्ट्रीय संबंध में आपसे सहयोग मजबूत बनाने के लिए
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र(south Asian free tarde area- SAFTA)- सॉफ्टवेयर दक्षिण एशिया के सदस्य राष्ट्रों में मुक्त व्यापार क्षेत्र को बढ़ावा देने की संधि थी यह संदेश आर के के 12 शिखर सम्मेलन के दौरान इस्लामाबाद में हुई थी दक्षेस के सदस्य राष्ट्रों ने 4 जनवरी 2004 में साफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए यह समझौता 1 जनवरी 2006 में लागू हुआ
दक्षेस का मूल्यांकन प्रासंगिकता-
1 दक्षेस का उद्देश्य सामूहिक सहयोग के आधार पर सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक विकास करना था जिसमें वह असफल रहा
2 कश्मीर सीमा पार चीनी हस्तक्षेप आदि विवादों ने दक्षेस का महत्व कम कर दिया।