राजस्थान प्राचीन सभ्यता स्थल
राजस्थान प्राचीन सभ्यता स्थल
प्रारंभिक युग को प्रस्तर युग कहा गया है ।
प्रस्तर युग के बाद ताम्र कांंस्य काल और उसके पश्चात लौह युग के अवशेष प्राप्त होते हैं।
धातुओं में सर्वप्रथम तांबे का उपयोग प्रारंभ किया।
राजस्थान में ताम्र सभ्यता के अवशेष कालीबंगा, गणेश्वर और आहड़ क्षेत्रों से प्राप्त हुए।
कालीबंगा
पीलीबंगा
रंगमहल
बड़ा पोल
सुनारी
गणेश्वर
बैराठ
दर
रेड
नगर
नगरी
तिलवाड़ा
बागोर
गिलूण्ड
आहाड़
कालीबंगा :- सरस्वती नदी की घाटी में पुराविद अमलानंद घोष ने 2 दर्जन पुरास्थलों की खोज की, जिसमें कालीबंगा प्रमुख है।
बाद में डॉक्टर बी. बी. लाल और बी. के. थापर के निर्देशन में यहां खुदाई की गई।
कालीबंगा में बस्ती के गंदे पानी के निकास के लिए लकड़ी और ईटों की बनी नालियां प्राप्त हुई।
कालीबंगा में चबूतरे भी मिले हैं जिन पर अग्निकुंड/ वेदिका बनी हुई है।
कालीबंगा के दूसरे टिले में एक दुर्ग के अवशेष मिले हैं।
कालीबंगा में जोती हुई कृषि भूमि के साक्ष्य मिले हैं।
कालीबंगा में मिलने वाली सामग्रियों में गाय के मुख वाले प्याले, तांबे के बैल, कांंस्य के दर्पण, हाथी दांत का कंंगा, मिट्टी के बर्तन, कांच की मनिया और खिलौने आदि प्राप्त हुए हैं।
आघाटपुर या आहड़
उदयपुर में आहड़ नदी के किनारे यह सभ्यता मिली, जिसे स्थानीय लोग धूलकोट कहते हैं।
यह बस्ती पहले ताम्रवती के नाम से जानी जाती थी।
10वीं-11वीं शताब्दी में इसे आघाटपुर के नाम से जाना जाने लगा।
यहां से प्राप्त मकानों की छत बांस और केलू से बनी होती थी।
बड़े कमरों के बीच मे बांस की परदी पर मिट्टी चढ़ाकर उन्हें छोटे-छोटे कमरों में विभाजित करते हैं।
मकानों में 4 से 6 चूल्हे मिले है जो संयुक्त परिवार या सामूहिक भोजन की विधि को बताते हैं।
यहां उच्च कोटि के चावल उत्पादित होते थे।
आहड़ में भट्टीनुमा चूूल्हा मिला है, माना जाता है कि इसमें तांबा पिघलाया जाता था।
आहड़वासी बर्तन बनाने की कला में दक्ष थे।
आहड़ उत्खनन में तश्तरियां, दीपक, धूपदानिया , कटोरिया, मटके , कलश ,चूड़ियां , खिलौने, 26 किस्म के मणिये, 6 तांबे की मुद्राएं और 3 मोहरे प्राप्त हुई हैं।
बालाथल
उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के बालाथल में मिले अवशेष ताम्र-पाषाणकालीन आहड़ संस्कृति से संबंधित है। यहां 11 कमरों के एक बड़े भवन व दुर्ग जैसे चिन्ह प्राप्त हुए हैं। बालाथल से तांबे के चाकू, कुल्हाड़ी, छैनी , बाण जैसे उपकरण, कर्णफूल , गले के हार की लटकन आदि आभूषण मिले हैं।
बालाथल में लोहकाल के अवशेष और लोहा गलाने की भट्टियों के चिन्ह मिले हैं।
यहां बुना हुआ वस्त्र प्राप्त हुआ है।
गणेश्वर सीकर जिले के नीम का थाना तहसील में गणेश्वर में एक विशेष संस्कृति के अवशेष मिले हैं इसे तांम्र संचय संस्कृति कहां जाता है।