Globe ग्लोब
Globe ग्लोब
पृथ्वी दोनों ध्रुवों पर थोड़ी चपटी है तथा मध्य भागों से उभरी हुई है इस तरह की आकृति को भू-आभ या पृथ्व्याकार कहते हैं पृथ्वी का मध्यवर्ती व्यास (12756 पॉइंट 6) ध्रुवीय व्यास (12714) से लगभग 43 किलोमीटर अधिक है।
पृथ्वी भूमध्यरेखीय परिधि लगभग 40075 एवं ध्रुवीय परिधि लगभग 40008 है पृथ्वी के इस गुफा का प्रकार का पता सन 1671 में फ्रांस के खगोलशास्त्री जाॅ रिच्हर को तब चला जब उन्हें फ्रांस के राजा लुई 14 ने फ्रेंच गुयाना प्रदेश के एक टापू पर भेजा। पेंडुलम घड़ी प्रतिदिन फ्रांसीसी समय में 2:30 मिनट में पीछे चल रही थी।
1687 में जब न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण और गति के नियम को प्रकाशित किया तब रिच्हर ने यह अनुमान लगाया कि वह टापू विषुवत रेखा के समीप तथा फ्रांस विषुवत रेखा से दूर उत्तर में स्थित है ।
पृथ्वी का अपने अक्ष पर लट्टू की तरह घूमने के कारण लगने वाले बल केंद्र प्रसारक या अपकेंद्रीय बल द्वारा पृथ्वी मध्य भाग में उधार लिए हुए हैं तथा ध्रुवों पर चपटी है।
वस्तु जितनी बड़ी और वजनदार हो जितनी तेज से घूम रही हो और केंद्र से जितनी दूर हो तो केंद्रप्रसारक बल उतना ही अधिक प्रभावशाली होगा।
ग्लोब पृथ्वी का एक लघु प्रतिरूप है ग्लोब पर बने मानचित्र ही बिल्कुल सही मानचित्र होते हैं।
पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है पृथ्वी का अक्ष अपने परिक्रमण तल से 661/2 का कोण बनाता है पृथ्वी के घूर्णन करने का उसके परिक्रमण पक्ष पर झुका हुआ है।
पृथ्वी पर आड़ी रेखा जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है उसे भूमध्य रेखा विषुवत रेखा नाम दिया गया है जो पृथ्वी को उत्तर एवं दक्षिण दो बराबर भागों में विभाजित करती है विषुवत रेखा के उत्तर में स्थित भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिण में स्थित भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है। भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की तरफ स्थित किसी भी स्थान की कोणीय स्थिति की अक्षांश है। विभाजन की दृष्टि से कुल 180 अक्षांश होते हैं समान अक्षांशों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा के नाम से जानते हैं अक्षांश रेखा विषुवत रेखा के समांतर पूर्व से पश्चिम की ओर खींची जाती है।
उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव तो बिंदु है। 90° उत्तरी अक्षांश को उत्तरी ध्रुव तथा 90° दक्षिणी अक्षांश को दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है। विषवत रेखा को हम 0° अक्षांश कहते हैं उत्तरी अक्षांश रेखा को कर्क रेखा और 23° दक्षिणी अक्षांश रेखा को मकर रेखा कहते हैं कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य के भाग को उष्णकटिबंधीय कर्क रेखा से अंटार्कटिक व्रत(66 1/2°) कथा मकर रेखा से अंटार्कटिक व्रत (66 1/2°)के मध्य स्थित शीतोष्ण कटिबंध तथा आकृतिक व्रत से उतरी ध्रुव तक अंटार्कटिक व्रत से दक्षिण ध्रुव के मध्य स्थित भूभाग को शीत कटिबंध कटिबंध के नाम से जाना जाता है
उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जो लंबवत रेखा (खड़ी रेखा) जिसे मध्य भाग में खींची जाती है उसे ०° देशांतर कहा जाता है प्रधान मध्यान रेखा भी कहते हैं।
देशांतर की कुल संख्या 360 होती है सामान देशांतर को मिलाने वाली रेखा देशांतर कहलाती है। ०° देशांतर रेखा को मानक या ग्रीनविच रेखा भी कहा जाता है इंग्लैंड के ग्रीनविच शहर से होकर गुजरती है।
पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है इसी वजह से पृथ्वी के पूर्वी भाग में सूर्योउदय पहले होता है। पृथ्वी 24 घंटों में 1 घूणृन को पूरा करती है 1 घंटे में 15 डिग्री घूमेगी (360°÷24 घंटे=15°) पृथ्वी को 1°घूमने में 4 मिनट का समय लगता है,
सूर्य की किरण को एक देशांतर से दूसरे देशांतर तक पहुंचने में 4 मिनट का समय लगता है।
किन्हीं दो देशांतर के मध्य 4 मिनट के समय का अंतर होता है
किसी स्थान का सूर्य से स्थिति से ज्ञात किया गया समय उस स्थान का स्थानीय समय होता है किसी खंबे की सबसे लंबी परछाई क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त को बताती है। और देशांतर पर स्थानीय समय अलग-अलग होता है। हम जब किसी स्थान से 1° पूर्व की तरफ जाते हैं तो उस जगह के स्थानीय समय में 4 मिनट जोड़ दिए जाते हैं जब हम 1° पश्चिम दिशा की तरफ जाते हैं तो उस जगह के स्थानीय समय में से 4 मिनट घटा देते हैं प्रत्येक देश ने अपना प्रमाणित समय निर्धारित किया जो उस देश के मध्य भाग से गुजरने वाली देशांतर रेखा से निश्चित किया गया है। हम मानक समय की गणना ग्रीनविच (जो ०° देशांतर पर स्थित है) के संदर्भ में करते हैं।
हमारे देश का मानक समय 82१/२° पूर्वी देशांतर से निर्धारित किया गया है। ग्रीनविच रेखा के स्थानीय समय में साढे 5 घंटे जोड़ने पर भारत के समय का पता लगाया जाता है।
रूस, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में 1 से अधिक मानक समय है।
180° पूर्वी देशांतर तथा 180° पश्चिमी देशांतर की रेखा एक ही होती है जिसे हम अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के नाम से जानते हैं इस रेखा से नई तिथि की शुरुआत मानी जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पूर्व से पश्चिम की ओर पार करने पर 1 दिन कम कर दिया जाता है एवं पश्चिम से पूर्व की ओर पार करने पर एक दिन जोड़ दिया जाता है ।
पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है इसलिए 1 दिन 24 घंटे का होता है जिसे सौर दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
पृथ्वी के घूमने से समय के मापन का एक सुविधाजनक पैमाना मिलता है दूसरा पृथ्वी की भौतिक व जैविक प्रक्रिया के घूर्णन से अत्यधिक प्रभावित होती है पृथ्वी के घूर्णन के कारण यहां पर दिन और रात की प्रक्रिया होती है।
ग्लोब पर वह व्रत जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्त यह प्रकाश व्रत कहा जाता है।
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है जिस पथ पर पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है उसी पथ को कक्ष कहा जाता है पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है जो इसके कक्षीय सतह से 66१/२ ° का कोण बनाती है। सूर्य के चारों ओर एक कक्ष में पृथ्वी की गति को ही परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी 365 दिन और 6 घंटे में एक परिक्रमा पूरा करती है। 1 वर्ष में 365 दिन होते हैं। शेष बचे हुए 6 घंटे 4 वर्षों में 24 घंटे या 1 दिन बनाते हैं चौथे वर्ष में यह 1 दिन फरवरी महीने में जोड़ा जाता है (हर चौथे वर्ष) फरवरी का महीना 28 दिनों की बजाय 29 दिनों का होता है जिसे हम लीप वर्ष या अधिवर्ष कहते हैं।
पृथ्वी अपने अक्ष पर 23१/२° के कोण पर झुकी हुई है उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में ऋतु का एक चक्र पृथ्वी द्वारा की गई सूर्य की परिक्रमा पर निर्भर होता है। मार्च माह से सितंबर माह के बीच सूर्य की सीधी कितने विषुवत रेखा और कर्क रेखा के मध्य गिरती है इस समय उत्तरी गोलार्ध में गर्मी और दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है सितंबर माह से मार्च के बीच सूर्य की सीधी किरणें विषुवत रेखा और मकर रेखा के मध्य गिरती है इस समय उत्तरी गोलार्ध में शीत और दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है ।
21 मार्च को सूर्य की सीधी किरणें विषुवत वृत्त पर होती है पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते हैं जिससे उतरी विषुव या वसंत विषुव कहते हैं उत्तरी गोलार्ध में बसंत ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है।
21 जून को सीधे किरणें कर्क रेखा पर गिरती है उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है दक्षिणी गोलार्ध में सबसे लंबी रात होती है इसे उत्तरी अयनांत कहा जाता है उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है तथा दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है। 23 सितंबर को सीधी किरणें विषुवत रेखा पर गिरती है पृथ्वी पर दिन रात बराबर होते हैं इसे दक्षिणी विषुव कहते हैं। उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु तथा दक्षिण में बसंत ऋतु होती है। 22 दिसंबर को सीधी किरणें मकर रेखा पर गिरती है।
दक्षिणी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन एवं उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबी रात होती है इसे दक्षिणी अयनांत कहा जाता है। दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी की ऋतु तथा उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की ऋतु होती है।
जब चंद्रमा पृथ्वी व सूर्य के मध्य आ जाता है तब सूर्य से आने वाली किरणें चंद्रमा द्वारा अवरुद्ध हो जाती है यह किरणें पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाती है इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के मध्य आ जाती है तब सूर्य से आने वाली किरणें पृथ्वी द्वारा बाधित होने के कारण चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है इस स्थिति को चंद्रग्रहण कहते हैं।