Antriksh Khoj अंतरिक्ष खोज

Antriksh Khoj अंतरिक्ष खोज

Antriksh Khoj अंतरिक्ष खोज

पिरामिड के निर्माण का संबंध तारों की दिशा और गति को जानने के लिए किया गया है गीजा के महान पिरामिड का ध्रुव तारे में तारे की सीध में होना इस बात की पुष्टि करता है
आर्यभट्ट भारत के महान खगोलविद थे जिनकी मान्यता थी कि पृथ्वी गोल है उन्होंने पृथ्वी की परिधि लगभग 24835 मील बताई थी।
चंद्र ग्रहण का कारण चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ना बताया था भारत द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए प्रथम कृत्रिम उपग्रह का नाम भी आर्यभट्ट रखा गया।
पृथ्वी केंद्र में है और सूर्य उसके चारों और वृत्ताकार मार्ग में चक्कर लगाता है यह धारणा सोलवीं सदी तक बनी रही जिससे कॉपरनिकस ने गलत साबित किया पृथ्वी की सही परिधि का आकलन इराटोस्थनेस ने ईसा पूर्व तीसरी सदी में किया।
भारत के प्रसिद्ध खगोल शास्त्र में भास्कराचार्य द्वितीय प्रसिद्ध विद्वान हैं। इस विद्वान ने 36 वर्ष की आयु में सिद्धांत शिरोमणि नामक ग्रंथ की रचना की ।
आधुनिक वेधशाला का प्रमुख यंत्र दूरबीन है। प्रथम दूरबीन का आविष्कार हॉलैडं नीदरलैंड के हैंस लिप्परसी ने किया था आकाशीय पिंडों को देखने में प्रयोग किए जाने वाले दूरबीन का आविष्कार इटली में गैलीलियो ने 1610 में किया।
हमारे राज्य के उदयपुर शहर की फतेह सागर झील के टापू पर स्थापित की गई है जो देश की सबसे बड़ी दूरबीन ए मास्ट मल्टी एप्लीकेशन सोलर टेलिस्कोप नामक इस सौर दूरबीन की सहायता से सूर्य का अध्ययन किया जा रहा है।
दक्षिण भारत के कावलुर तमिलनाडु नामक स्थान पर एक वेणु बापू दूरबीन को स्थापित किया गया है। अप्रैल 1990 में हबल अंतरिक्ष दूरबीन को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है। सवाई जयसिंह दिल्ली के जंतर मंतर से प्रारंभ किया उन्होंने सन 1724 में पहली वैद्यशाला दिल्ली में तथा सन 1734 में दूसरी वेधशाला जयपुर में बनवाई। इनमें से जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी है सवाई जयसिंह ने 3 नए यंत्रों का भी अविष्कार किया जिनके नाम सम्राटयंत्र, जयप्रकाश यंत्र तथा रामयंत्र रखें। इनमें सम्राट यंत्र सबसे बड़ा और ऊंचा है।
पलायन वेग पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति की आवश्यकता पड़ती है जिसे पलायन वेग या एस्केप स्पीड कहा जाता है
विश्व का पहला उपग्रह 1957 में स्पूतनिक-१ तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में रॉकेट के पहले जीवित प्राणी को स्पूतनिक-२ में भेजा गया जीवित प्राणी लाइका नामक एक कुत्तिया थी 4 साल बाद 1961 में सोवियत संघ ने पहला मानव सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा यूरी गागरिन अंतरिक्ष यान वोस्तोक एक में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाला विश्व के पहले व्यक्ति बने ।
1969 में अमेरिका ने अपोलो 11 अंतरिक्ष यान से 3 यात्रियों को सफलता के साथ सिर्फ अंतरिक्ष की सैर कराई बल्कि 2 अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतारा नीलआर्मर्स्टाग विश्व के पहले व्यक्ति बने जिसने चंद्रमा की सतह पर पहला कदम रखा।
भारत के सर्वप्रथम सन 1984 में अंतरिक्ष में यात्रा करने का गौरव भारतीय वायु सेना के राकेश शर्मा को मिला राकेश शर्मा ने सोयुज की 11 सोयुज 7 स्पेस स्टेशन में लगभग 8 दिन रहकर कई वैज्ञानिक परीक्षण भी किए
कल्पना चावला का जन्म सन 1949 में पंजाब राज्य के पटियाला में हुआ था कल्पना चावला का जन्म हरियाणा राज्य के करनाल में सन 1961 में हुआ था। भारत में पहली जन्मी भारत में जन्मी पहली महिला एवं राकेश शर्मा के बाद दूसरी भारतीय थी इसके अतिरिक्त भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक की सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में सर्वाधिक समय बिताने वाली महिला हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
होमी जहांगीर बाबा के नेतृत्व में सन 1962 में परमाणु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन किया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गति देने का श्रेय विक्रम साराभाई को है प्रथम भारतीय कृत्रिम उपग्रह का नाम आर्यभट्ट था जिसे अप्रैल 1975 में पूर्व सोवियत संघ के बेकानूर अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया भारत ऐसा करने वाला विश्व का छठा देश बन गया ।
भारत ने मंगलयान नामक एक अंतरिक्ष यान नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जिसने लगभग 11 माह की यात्रा कर सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया इसी प्रकार चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए अक्टूबर 2008 में चंद्रयान नामक एक अंतरिक्ष यान को भी प्रक्षेपित किया गया है इसरो द्वारा श्रीहरिकोटा से अक्टूबर 2015 में देश की पहली अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसेट को प्रक्षेपित किया गया है।

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