रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय.
टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए
बड़े बड़ाई ना करें बड़े न बोले बोल
रहिमन हीरा कब कहे लाख हमारा मोल
तरुवर फल नहिं खात है सरवर पिए न पान
कह रहीम पर काज हित संपत्ति संचहिं सुजान
जे गरीब पर हित करें ते रहीम बड़ लोग
कहा सुदामा बापुरो कृष्ण मिताई जोग