हिंदी के दोहे

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय.  

 टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए

 

बड़े बड़ाई ना करें बड़े न बोले बोल

रहिमन हीरा कब कहे लाख हमारा मोल

 

तरुवर फल नहिं खात है सरवर  पिए न पान

कह रहीम पर काज हित संपत्ति संचहिं सुजान

 

जे गरीब पर हित करें ते रहीम बड़ लोग

कहा सुदामा बापुरो कृष्ण मिताई जोग

 

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