kaksha 6 saamaajik vigyaan कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 15

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* वर्तमान में हमारे देश में “28 राज्य व 9 केंद्र शासित प्रदेश” है।
किसी भी राज्य के शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रशासनिक दृष्टि से राज्य को संभागों में, संभाग को जिलों में, जिले को खंडों एवं तहसीलों में, तहसील को पटवार वृत (ग्राम पंचायत स्तर) में बांटा गया है।
* राजस्थान में 7 संभाग एवं उनमें 33 जिले हैं।
(संभाग :– अजमेर, बीकानेर, जयपुर , कोटा, उदयपुर, जोधपुर, भरतपुर, )
* जिला स्तर पर जिला प्रशासन अपने जिले के लोगों के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य करता है :-
1. शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखना ।
2. भू – अभिलेख संधारित करना तथा राजस्व प्राप्त करना ।
3. रसद एवं अन्य सामग्री संबंधी व्यवस्था।
4. शिक्षा , चिकित्सा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, यातायात , संबंधी व्यवस्था।
5. जिले की विकास की विभिन्न योजनाएं बनाना और उनको लागू करवाना।
6. विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव संपन्न करवाना।
7. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और राहत कार्य करना ।
8. जनता और सरकार के बीच ‘कड़ी’ का काम करना।
9. पंचायत राज व्यवस्था एवं जिला प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करना।
10. जन समस्याओं एवं शिकायतों का निराकरण करना।
जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी ‘जिला कलेक्टर’ होता है। जिला कलेक्टर विभिन्न रूपों में कार्य करता है।
वह जिला कलेक्टर , जिला मजिस्ट्रेट, कलेक्टर (पंचायत), कलेक्टर (रसद), कलेक्टर (भू- अभिलेख), जिला निर्वाचन अधिकारी आदि के रूप में कार्य करता है।
जिले के संपूर्ण प्रशासनिक कार्य ‘जिला कलेक्टर’ द्वारा स्वयं एवं उसके मार्गदर्शन में किए जाते हैं।
जिला कलेक्टर की मदद जिला स्तरीय अधिकारी विभिन्न विभागों में होते हैं :–
जैसे- पुलिस अधीक्षक , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी , जिला शिक्षा अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी , जिला नियोजन अधिकारी, जिला जनसंपर्क अधिकारी, जिला वन अधिकारी , अधीक्षण अभियंता आदि।


* जिला प्रशासन के कार्य :–
1. शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखना :–
इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए संपूर्ण जिम्मेदारी जिला कलेक्टर तथा जिला मजिस्ट्रेट की होती है। इसके लिए पुलिस अधीक्षक( एस.पी.) के नियंत्रण, निर्देशन , पर्यवेक्षण में पुलिस विभाग कार्य करता है।
उनके नियंत्रण में अपर पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप अधीक्षक (डी.एस.पी.) वृत निरीक्षक , उप निरीक्षक, मुख्य आरक्षी (हैड कांस्टेबल) तथा आरक्षी (कांस्टेबल) होते हैं । कलेक्टर के अधीन अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ए.डी.एम.), उपखंड स्तर पर उपखंड मजिस्ट्रेट (एस. डी. एम.) एवं तहसील स्तर पर कार्यपालक मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) नियुक्त होते हैं।
2. जिले के ‘भू -अभिलेख’ अद्यतन रखना तथा किसानों से भू – राजस्व प्राप्त करना :– गांव का पटवारी गांव की समस्त भूमि क्या वर्गीकरण करता है, खेतों का नाप रखता है , खेतों के नक्शे बनाता है , मालिक का नाम और उसकी भूमि का पूरा विवरण रखता है, तथा फसल तैयार होने पर पटवारी उसका विवरण तैयार करता है जिससे ‘गिरदावरी’ करना कहते हैं। तथा पटवारी किसानों से भूमि कर वसूल करता है जिसे ‘भू-राजस्व’ या ‘लगान’ कहते हैं।
3. रसद एवं अन्य सामग्री उपलब्ध करवाना :– जिले में रह रहे सभी व्यक्तियों को आवश्यक वस्तुएँ जैसे:- खाद्यान्न, चीनी , मिट्टी का तेल , डीजल , पेट्रोल, गैस सिलेंडर आदि को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने की व्यवस्था ‘जिला रसद अधिकारी’ करता है।


4. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना:-
5. कृषि विकास एवं सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध करवाना
6. जिला योजनाओं का निर्माण व क्रियान्विति
7. वनों का विकास एवं पर्यावरण सुधार
8. संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव करवाना :– जिला कलेक्टर जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिले के अधिकारी व कर्मचारियों के सहयोग से इन चुनावों को संपन्न करवाता है । (जैसे:– लोकसभा, विधानसभा,क्ष पंचायतराज, शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव।)
9. जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का कार्य करना ।
10. पंचायतराज व्यवस्था जिला प्रशासन
11. जन समस्याओं व शिकायतों का निवारण करना।
12. जिला स्तरीय शैक्षिक प्रशासन
अन्य कार्य :– इसमें राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि महत्वपूर्ण व्यक्तियों की राजकीय यात्रा को निर्बाध रूप से संपन्न करवाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।


* जिले की न्याय व्यवस्था :–
* नागरिकों के बीच में सामान्यत: तीन प्रकार के विवाद हो सकते हैं :–
1. दीवानी विवाद :– संपत्ति (जमीन – जायदाद), चीजों की खरीददारी, विवाह, किराया और संविदा संबंधी विवाद दीवानी विवाद कहलाते हैं, और इन विवादों का निपटारा “दीवानी न्यायालय” में होता है ।
2. फौजदारी विवाद :– हत्या, मारपीट, चोरी तथा शांति भंग करने से संबंधित विवाद फौजदारी विवाद कहलाते हैं । और इन विवादों की सुनवाई “फौजदारी न्यायालय” में होती है।
3. राजस्व विभाग :– भूमि संबंधी विवाद में कृषि भूमि के उत्तराधिकार , नामांतरण, खातेदारी, लगान आदि के विवाद आते हैं। ऐसे मामले क्षेत्राधिकार के अनुसार उप – तहसीलदार, तहसीलदार अथवा सहायक कलेक्टर के यहा प्रस्तुत होते हैं । जिले में अंतिम रूप से अपीलों का निर्णय जिला कलेक्टर के यहां होता है।
* फौजदारी न्यायालयों में कार्य प्रक्रिया :– फौजदारी विवादों की सूचना उस क्षेत्र के पुलिस थाने में देना आवश्यक होता है। इस प्रकार की सूचना को ‘प्रथम सूचना प्रतिवेदन ‘ ( एफ. आई. आर.) कहते हैं।
इनके अतिरिक्त भी जिले में कुछ विशिष्ट न्यायालय होते हैं , जैसे :- पारिवारिक न्यायालय, अनुसूचित जाति एवं जनजाति मामलों संबंधी न्यायालय, श्रम न्यायालय , मोटर वाहन दुर्घटना न्यायालय, जिला उपभोक्ता मंच आदि ।


* लोक अदालत:– न्यायालय के बाहर आपसी समझाइश के द्वारा विवादों को समाप्त करवाने के लिए हमारे देश में लोक अदालतों की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक जिले में एक स्थायी लोक अदालत होती हैं।
राजस्थान में लोक अदालतें बहुत लोकप्रिय हैं ।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गरीब, पिछड़े व असहाय लोगों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है।

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