MULTI-PURPOSE RIVER PROJECTS  

MULTI-PURPOSE RIVER PROJECTSMULTI-PURPOSE RIVER PROJECTS

AND INTEGRATED WATER RESOURCES MANAGEMENT  

बहु-उद्देशीय नदी परियोजनाएँ और समन्वित जल संसाधन प्रबंधन



MULTI-PURPOSE RIVER PROJECTS AND INTEGRATED WATER RESOURCES MANAGEMENT  But, how do we conserve and manage water? Archaeological and historical records show that from ancient times we have been constructingsophisticated hydraulic structures like dams built of stone rubble, reservoirs or lakes, embankments and canals for irrigation. Not surprisingly, we have continued this tradition in modern India by building dams in most of our river basins.

हम जल का संरक्षण और प्रबंधन कैसे करें? पुरातत्त्व वैज्ञानिक और ऐतिहासिक अभिलेख/ दस्तावेज (तमबवतक) बताते हैं कि हमने प्राचीन काल से सिंचाई के लिए पत्थरों और मलबे से बाँध, जलाशय अथवा झीलों के तटबंध और नहरों जैसी उत्कृष्ट जलीय कृतियाँ बनाई हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हमने यह परिपाटी आधुनिक भारत में भी जारी रखी है और अधिकतर नदियों के बेसिनों में बाँध बनाए हैं।

What are dams and how do they help us in conserving and managing water? Dams were traditionally built to impound rivers and rainwater that could be used later to irrigate agricultural fields. Today, dams are built not just for irrigation but for electricity generation, water supply for domestic and industrial uses, flood control, recreation, inland navigation and fish breeding. Hence, dams are now referred to as multi-purpose projects where the many uses of the impounded water are integrated with one another. For example, in the Sutluj-Beas river basin, the Bhakra – Nangal project water is being used both for hydel power production and irrigation. Similarly, the Hirakud project in the Mahanadi basin integrates conservation of water with flood control.


बाँध क्या हैं और वे हमें जल संरक्षण और प्रबंधन में कैसे सहायक हैं? परम्परागत बाँध, नदियों और वर्षा जल को इकट्ठा करके बाद में उसे खेतों की सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाते थे। आज कल बाँध सिर्फ सिंचाई के लिए नहीं बनाए जाते अपितु उनका उद्देश्य विद्युत उत्पादन, घरेलू और औद्योगिक उपयोग, जल आपूर्ति, बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, आंतरिक नौचालन और मछली पालन भी है। इसलिए बाँधों को बहुउद्देशीय परियोजनाएँ भी कहा जाता है जहाँ एकत्रित जल के अनेकों उपयोग समन्वित होते हैं। उदाहरण के तौर पर सतलुज-ब्यास बेसिन में भाखड़ा-नांगल परियोजना जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई दोनों के काम में आती है। इसी प्रकार महानदी बेसिन में हीराकुड परियोजना जलसंरक्षण और बाढ़ नियंत्रण का समन्वय है।

Multi-purpose projects, launched after Independence with their integrated water resources management approach, were thought of as the vehicle that would lead the nation to development and progress, overcoming the handicap of its colonial past. Jawaharlal Nehru proudly proclaimed the dams as the ‘temples of modern India’; the reason being that it would integrate development of agriculture and the village economy with rapid industrialisation and growth of the urban economy.

स्वतंत्रता के बाद शुरू की गई समन्वित जल संसाधन प्रबंधन उपागम पर आधारित बहुउद्देशीय परियोजनाओं को उपनिवेशन काल में बनी बाधाओं को पार करते हुए देश को विकास और समृद्धि के रास्ते पर ले जाने वाले वाहन के रूप में देखा गया। जवाहरलाल नेहरू गर्व से बाँधों को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ कहा करते थे। उनका मानना था कि इन परियोजनाओं के चलते कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, औद्योगीकरण और नगरीय अर्थव्यवस्था समन्वित रूप से विकास करेगी।



In recent years, multi-purpose projects and large dams have come under great scrutiny and opposition for a variety of reasons. Regulating and damming of rivers affect their natural flow causing poor sediment flow and excessive sedimentation at the bottom of the reservoir, resulting in rockier stream beds and poorer habitats for the rivers’ aquatic life. Dams also fragment rivers making it difficult for aquatic fauna to migrate, especially for spawning. The reservoirs that are created on the floodplains also submerge the existing vegetation and soil leading to its decomposition over a period of time.

पिछले कुछ वर्षों में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ और बड़े बाँध कई कारणों से परिनिरीक्षण और विरोध के विषय बन गए हैं। नदियों पर बाँध बनाने और उनका बहाव नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होता है, जिसके कारण तलछट बहाव कम हो जाता है और अत्यधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा होता रहता है जिससे नदी का तल अधिक चट्टðानी हो जाता है और नदी जलीय जीव-आवासों में भोजन की कमी हो जाती है। बाँध नदियों को टुकड़ों में बाँट देते हैं जिससे विशेषकर अंडे देने की ऋतु में जलीय जीवों का नदियों में स्थानांतरण अवरुद्ध हो जाता है। बाढ़ के मैदान में बनाए जाने वाले जलाशयों द्वारा वहाँ मौजूद वनस्पति और मिट्टियाँ जल में डूब जाती हैं जो कालांतर में अपघटित हो जाती है।

 

Multi-purpose projects and large dams have also been the cause of many new environmental movements like the ‘Narmada Bachao Andolan’ and the ‘Tehri Dam Andolan’ etc. Resistance to these projects has primarily been due to the large-scale displacement of local communities. Local people often had to give up their land, livelihood and their meager access and control over resources for the greater good of the nation. So, if the local people are not benefiting from such projects then who is benefited? Perhaps, the landowners and large farmers, industrialists and few urban centres. Take the case of the landless in a village – does he really gain from such a project?

बहुउद्देशीय परियोजनाएँ और बड़े बाँध नए पर्यावरणीय आंदोलनों जैसे – ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ और ‘टिहरी बाँध आंदोलन’ के कारण भी बन गए हैं। इन परियोजनाओं का विरोध मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों के वृहद स्तर पर विस्थापन के कारण है। आमतौर पर स्थानीय लोगों को उनकी जमीन, आजीविका और संसाधनों से लगाव एवं नियंत्रण देश की बेहतरी के लिए कुर्बान करना पड़ता है। इसलिए, अगर स्थानीय लोगों को इन परियोजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है तो किसको मिल रहा है? शायद जमींदारों और बड़े किसानों को या उद्योगपतियों और कुछ नगरीय केंद्रों को। गाँव के भूमिहीनों को लीजिए, क्या वे वास्तव में ऐसी परियोजनाओं से लाभ उठाते हैं?

 



Irrigation has also changed the cropping pattern of many regions with farmers shifting to water intensive and commercial crops. This has great ecological consequences like salinisation of the soil. At the same time, it has transformed the social landscape i.e. increasing the social gap between the richer landowners and the landless poor. As we can see, the dams did create conflicts between people wanting different uses and benefits from the same water resources. In Gujarat, the Sabarmati-basin farmers were agitated and almost caused a riot over the higher priority given to water supply in urban areas, particularly during droughts. Inter-state water disputes are also becoming common with regard to sharing the costs and benefits of the multi-purpose project.

सिंचाई ने कई क्षेत्रें में फसल प्रारूप परिवर्तित कर दिया है जहाँ किसान जलगहन और वाणिज्य फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे मृदाओं के लवणीकरण जैसे गंभीर पारिस्थितिकीय परिणाम हा े सकत े ह।ैं इसी दारै शन इसन े अमीर भूमि मालिकों और गरीब भूमिहीनों में सामाजिक दूरी बढ़ाकर सामाजिक परिदृश्य बदल दिया है। जैसा कि हम देख सकते हैं कि बाँध उसी जल के अलग-अलग उपयोग और लाभ चाहने वाले लोगों के बीच संघर्ष पैदा करते हैं। गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान नगरीय क्षेत्रें में अधिक जल आपूर्ति देने पर परेशान किसान उपद्रव पर उतारू हो गए। बहुद्देशीय परियोजनाओं के लागत और लाभ के बँटवारे को लेकर अंतर्राज्यीय झगड़े आम होते जा रहे हैं।

Most of the objections to the projects arose due to their failure to achieve the purposes for which they were built.

नदी परियोजनाओं पर उठी अधिकतर आपत्तियाँ उनके उद्देश्यों में विफल हो जाने पर हैं।

Ironically, the dams that were constructed to control floods have triggered floods due to sedimentation in the reservoir

यह एक विडंबना ही है कि जो बाँध बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाए जाते हैं उनके जलाशयों में तलछट जमा होने से वे बाढ़ आने का कारण बन जाते हैं।.



Moreover, the big dams have mostly been unsuccessful in controlling floods at the time of excessive rainfall.

अत्यधिक वर्षा होने की दशा में तो बड़े बाँध भी कई बार बाढ़ नियंत्रण में असफल रहते हैं।

You may have seen or read how the release of water from dams during heavy rains aggravated the flood situation in Maharashtra and Gujarat in 2006.

आपने पढ़ा होगा कि वर्ष 2006 में महाराष्ट्र और गुजरात में भारी वर्षा के दौरान बाँधों से छोड़े गए जल की वजह से बाढ़ की स्थिति और भी विकट हो गई।

The floods have not only devastated life and property but also caused extensive soil erosion.

इन बाढ़ों से न केवल जान और माल का नुकसान हुआ अपितु बृहत् स्तर पर मृदा अपरदन भी हुआ।

Sedimentation also meant that the flood plains were deprived of silt, a natural fertiliser, further adding on to the problem of land degradation.

बाँध के जलाशय पर तलछट जमा होने का अर्थ यह भी है कि यह तलछट जो कि एक प्राकृतिक उर्वरक है बाढ़ के मैदानों तक नहीं पहुँचती जिसके कारण भूमि निम्नीकरण की समस्याएँ बढ़ती हैं।

It was also observed that the multi-purpose projects induced earthquakes, caused waterborne diseases and pests and pollution resulting from excessive use of water.

यह भी माना जाता है कि बहुउद्देशीय योजनाओं के कारण भूकंप आने की संभावना भी बढ़ जाती है और अत्यधिक जल के उपयोग से जल-जनित बीमारियाँ, फसलों में कीटाणु-जनित बीमारियाँ और प्रदूषण फैलते हैं।

Std X CBSE. As per NCERT geography textbook. Contemporary India II. Dam – it! What do you know about Multi-Purpose River Projects and Integrated water resources Management – Social Science – Water Resources.MULTI-PURPOSE RIVER PROJECTS AND INTEGRATED WATER RESOURCES MANAGEMENT  

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