Nyaayapaalika Sarvochch Nyaayaalay न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय

 Nyaayapaalika Sarvochch Nyaayaalay न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय

 Nyaayapaalika Sarvochch Nyaayaalay  Nyaayapaalika Sarvochch Nyaayaalay

न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय

प्रश्न 1 न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए

संविधान में क्या प्रावधान है ?

उत्तर – न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए

संविधान में निम्नलिखित प्रावधान है :-

भारतीय संविधान में न्यायधीशों की नियुक्तियों के मामले में विधायिका को सम्मिलित नहीं किया गया है।

न्यायधीश के रुप में नियुक्त होने के लिए किसी को वकालत का अनुभव या कानून का विशेषज्ञ होना चाहिए।

भारत में न्यायधीश का कार्यकाल निश्चित होता है तथा वे सेवानिवृत्त होने तक पद पर बने होते है।

न्यायपालिका विद्यायिका या कार्यपालिका पर वित्तीय रूप से निर्भर नही है।

न्यायधीशों के कार्यो और निर्णयों की व्यक्तिगत आलोचना नहीं की जा सकती।

प्रश्न 2 कॉलेजियम व्यवस्था क्या है ?

उत्तर न्यायधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश अन्य चार वरिष्ठ न्यायधीशोंं की सलाह से कुछ नाम प्रस्तावित करेगा व इसी में से राष्ट्रपति नियुक्तियां करेगा इसे कालेजियम व्यवस्था कहते है।

 प्रश्न 3 NJAC का गठन किस संशोधन द्वारा किया गया व इसके सदस्यो के बारे में बताये।

उत्तर – 99 वें संशोधन द्वारा

NJAC (Nation Justice Appointment] 368 (2) इसके अनुसार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के नाम का एक आयोग होगा जिसमें 6 सदस्य होंगे

(1) भारतका मुख्य न्यायाधीश

(2) सर्वोच्च न्यायलय के 2 वरिष्ठ सदस्य

(3) 2 प्रबुद्ध /विख्यात व्यक्ति

(4) केंद्रीय विधि मंत्री व न्याय मंत्री

प्रश्न 4 न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया बताइए।
उत्तर सर्वोच्च न्यायालय के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटाना कठिन है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश को संसद द्वारा कदाचार सिद्ध या अयोग्यता के आधार पर महाभियोग का प्रस्ताव पारित कर हटा सकती हैं। न्यायधीश के विरुद्ध आरोपों पर संसद के एक विशेष बहुमत की स्वीकृति जरूरी है जब तक संसद के सदस्यों में आम सहमति ना हो तब तक उन्हें नहीं हटाया जा सकता उनकी नियुक्ति में कार्यपालिका राष्ट्रपति वह हटाने में व्यवस्थापिका की महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न 5 न्यायपालिका की संरचना संक्षिप्त रूप में बताएं।
उत्तर भारतीय संविधान एकीकृत न्यायिक व्यवस्था की स्थापना करता है। भारत में अलग से प्रांतीय न्यायालय नहीं है। भारत न्यायपालिका की संरचना पिरामिड की तरह है, जिसमें सबसे ऊपर सर्वोच्च न्यायालय फिर उच्च न्यायालय व सबसे नीचे जिला व अधीनस्थ न्यायालय हैं। नीचे के न्यायालय ऊपर के न्यायालय की देखरेख में काम करते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय :-
इसके फैसले सभी अदालतों में मान्य है।
यह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का तबादला कर सकती हैं।
यह किसी भी अदालत का मुकदमा अपने पास मंगवा सकता है। व किसी उच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमे को दूसरे न्यायालय में भिजवा सकता है।
उच्च न्यायालय :-
निचली अदालतों के फैसले पर की गई अपील की सुनवाई कर सकता है।
मौलिक अधिकारों को बहाल करने की रिट जारी कर सकता है ।
राज्य के क्षेत्राधिकार में आने वाले मुकदमों का निपटारा कर सकता है ।
अपने अधीनस्थ अदालतों का पर्यवेक्षण व नियंत्रण करता है।
जिला न्यायालय :-
जिले में दायर मुकदमों की सुनवाई करता है।
निचली अदालतों के फैसले पर की गई अपील की सुनवाई करता है ।
गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों पर फैसला देता है।
अधीनस्थ न्यायालय :-
फौजदारी व दीवानी किस्म के मुकदमों पर विचार करती है।
प्रश्न 6 सर्वोच्च न्यायालय के मौलिक क्षेत्राधिकार से आप क्या समझते हैं ? व अपीलीय क्षेत्राधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर सर्वोच्च न्यायालय के मौलिक क्षेत्राधिकार एवं अपीलीय क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं:-
मौलिक क्षेत्राधिकार :-
मौलिक क्षेत्राधिकार का अर्थ है कि कुछ मुकदमों की सुनवाई सीधे सर्वोच्च न्यायालय में कर सकता है, ऐसे मुकदमों में पहले निचली अदालतों में सुनवाई जरूरी नहीं होती है। संघीय संबंधों से जुड़े मुकदमे सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जाते हैं। इन विवादों को हल करने की जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय की है।
अपीलीय क्षेत्राधिकार :-
इसका अर्थ है कोई भी व्यक्ति उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है, लेकिन उच्च न्यायालय को यह प्रमाण पत्र देना पड़ता है कि वह मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने लायक है। अर्थात उसमें संविधान या कानून की व्याख्या करने जैसा कोई गंभीर मामला उलझा है।
प्रश्न 7 सर्वोच्च न्यायालय किस प्रकार सलाहकार की भूमिका निभाता है ?
उत्तर सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श संबंधित क्षेत्राधिकार भी है। इसके अनुसार भारत का राष्ट्रपति लोकहित या संविधान की व्याख्या से संबंधित किसी विषय को सर्वोच्च न्यायालय के पास परामर्श के लिए भेज सकता है, लेकिन न तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे किसी विषय पर सलाह देने के लिए बाध्य है और ना ही राष्ट्रपति न्यायालय की सलाह मानने को।
प्रश्न 8 न्यायिक सक्रियता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर भारत में न्यायिक सक्रियता का मुख्य साधन जनहित याचिका या सामाजिक व्यवहार याचिका रही है। 1979 में न्यायालय ने एक ऐसे मुकदमे की सुनवाई करने का निर्णय लिया जिसे पीड़ित लोगों ने नहीं बल्कि उनकी ओर से दूसरों ने दाखिल किया। जनहित से जुड़े इस मुकदमे एवं.ऐसे अन्य मुकदमों को जनहित याचिका का नाम दिया गया।

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