राजस्थान का भौगोलिक स्वरूप

राजस्थान का भौगोलिक स्वरूप

राजस्थान का भौगोलिक स्वरूप

1 थार का मरुस्थल

2 अरावली पर्वत

3 राजस्थान का पूर्वी मैदान

4 दक्षिण पूर्वी पठार या हाड़ौती का पठार



1 थार का मरुस्थल- 

राजस्थान के भौतिक प्रदेशों में इसका सबसे बड़ा भाग है। 

पाकिस्तान की सीमा से लेकर अरावली तक विस्तार है । 

राजस्थान के 12 जिलों में फैला हुआ है। 

राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 61% भाग है। 

राजस्थान की 40% जनसंख्या का निवास यहां है। 

विश्व का सर्वाधिक जनघनत्व वाला मरुस्थल है। 

विश्व का सबसे धनी मरुस्थल है। 

बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर के मरुस्थल को भारतीय मरुस्थल ‘ग्रेट इंडियन डेजर्ट’ कहा जाता है। 

मिट्टी के टीले को ‘बालुका स्तूप’ कहते हैं । 

बालुका स्तूपों  को स्थानीय भाषा में ‘धोरे’ कहते हैं। 

यहां की वनस्पति की लंबाई कम ,पत्तियां छोटी व मोटी ,तना छोटा, जड़े गहरी होती है। 

खेजड़ी – राजस्थान का राज्य वृक्ष है। 

रोहिड़ा का फूल -राजस्थान का राज्य पुष्प है। 

कैर, आक, थोर, लाणा, फोग ,आरणा प्रमुख झाड़ियां है।

सेवण, धामण, करड़़ आदि थार मरुस्थल के प्रमुख घासें है ।

इंदिरा गांधी नहर द्वारा सतलज नदी के पानी को यहां तक पहुंचाया जाता है । 

थार के मरुस्थल को तीन समांतर पेटियों- मरुस्थली, बांगर एवं राही में बांटा जा सकता है।

मरुस्थली- यहाँ बालुका स्तूपों  की अधिकता होती है। बांगर – यहाँ विस्तृत रेतीली मिट्टी के मैदान होते हैं।

राही – यह बाढ़ के मैदान जो छोटी नदियों से बने होते हैं ।

यहां की औसत ऊंचाई 300 मीटर होती है।

पूर्वी सीमा 25 सेंटीमीटर की वर्षा रेखा बनाती है।

यह भूभाग समुद्र तल से 60 से 360 मीटर ऊंचा है। जय श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझुनू, सीकर, चूरू, बीकानेर ,नागौर ,जोधपुर ,जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर ,सिरोही जिलों में फैला है। यह कुल 12 जिले हैं ।

यहां तीन प्रकार के बालू के टीले पाए जाते हैं। अनदैर्ध्य – यह प्रचलित पवन के समांतर बने टीले हैं। अनुप्रस्थ -यह वायु दिशा के लंबवत बने टीले हैं । बरखान – यह अर्धचंद्राकार टीले हैं।




 

अरावली पर्वत 

राजस्थान के मध्य में दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व दिशा में इसका फैलाव है।

राजस्थान के लगभग 9 प्रतिशत भाग पर फैला है । 

अरावली विश्व के प्राचीनतम पर्वतों में से एक है । 

दक्षिणी सीमा गुजरात के पालनपुर कस्बे के खेडब्रह्मा से प्रारंभ होती है और उत्तरी सीमा दिल्ली तक है। 

कुल लंबाई 692 किलोमीटर है। 

राजस्थान में विस्तार 550 किलोमीटर है। 

यह राजस्थान को पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान दो भागों में विभाजित करती है। 

अरावली राजस्थान का सर्वाधिक ऊंचा क्षेत्र है।  

अरावली को राजस्थान की ‘जीवन रेखा’ कहा जाता है। 

अरावली पर्वत की सबसे ऊंची चोटी ‘गुरु शिखर’ (1722मीटर) सिरोही जिले में है। 

अरावली को आडावाला पहाड़ भी कहते हैं । 

दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर इसकी ऊंचाई कम होती जाती है ।

कर्नल जेम्स टॉड ने गुरु शिखर को ‘संतो का शिखर ‘ नाम दिया है। 

गुरु शिखर हिमालय और नीलगिरी के मध्य सबसे ऊंची चोटी है।

उपविभाग – उत्तर – पूर्वी पहाड़ी, मध्य अरावली, मेवाड़ की पहाड़ियां या भोराट का पठार तथा आबू पर्वत।



 राजस्थान का पूर्वी मैदान 

चंबल, बनास, बाणगंगा व इसकी  सहायक नदियों द्वारा निर्मित यह मैदान है।

विस्तृत रूप से यह गंगा के मैदान का हिस्सा है। 

 राजस्थान के लगभग 23 प्रतिशत भाग पर इसका फैलाव है। चंबल के आसपास का क्षेत्र नाली अपरदन के कारण उबड़ – खाबड़ हो गया है ।

चंबल के आसपास का क्षेत्र ‘चंबल के बीहड़’, ‘उत्खात भूमि’, ‘डांग क्षेत्र’  ‘Bad Lad Topography’  कहलाता है ।

उत्खात भूमि का विस्तार चंबल नदी के सहारे कोटा से धौलपुर तक है।

यह राजस्थान का सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है।

यह राजस्थान का सर्वाधिक जनघनत्व वाला क्षेत्र है। 

राजस्थान की लगभग 40% जनसंख्या का निवास है।

माही के मैदान में 56 गांव और 56 नदी – नालों का समूह “छप्पन का मैदान ” कहलाता है । मध्य माही मैदान को छप्पन का मैदान भी कहते हैं।

बनास बेसिन दो भागों  मालपुरा – करौली मैदान , मेवाड़ मैदान में बंटा हुआ है।



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