Sor Pariwar सौर परिवार
Sor Pariwar सौर परिवार
सूर्य को सौर परिवार का पिता जनक कहा जाता है सभी खगोलीय पिंड एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं जिसे कक्ष कहा जाता है
1543 में सर्वप्रथम निकोलस कॉपरनिकस ने बताया कि सूर्य सौरमंडल के केंद्र में है सौर मंडल की आयु लगभग 460 करोड वर्ष है। सूर्य में सबसे अधिक हाइड्रोजन एवं हीलियम होता है।
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 8 मिनट 30 सेकंड का समय लगता है। सौर परिवार में कुल 8 ग्रह है।
सूर्य से दूर जाने पर क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण ग्रह है।
सन 2006 तक प्लूटो को भी एक ग्रह माना जाता था लेकिन नए प्रमाणों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संगठन ने प्लूटो को बौने ग्रह का दर्जा दे दिया
सूर्य के पास स्थित बुध, शुक्र, पृथ्वी, एवं मंगल ग्रह को आंतरिक या धरातलीय ग्रह भी कहा जाता है। यह छोटे और अधिक घनत्व वाले हैं और चट्टानों से बने हैं। बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण ग्रह आकार में बड़े एवं कम घनत्व वाले हैं, इन्हें बाह् या गैसीय ग्रह भी कहा जाता है।
उपग्रह ऐसे आकाशीय पिंड को कहते हैं जो किसी ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाता है। ऐसा पेड़ जो सूर्य की परिक्रमा करता है और दूसरे पिंडों का रास्ता भी काटता है बौना ग्रह कहलाता है। प्लूटो, एरिस, सेरिस आदि बौने ग्रह के उदाहरण है।
वरुण के पार पाए जाने वाले अनजाने पिंड धूमकेतु आदि को लघु पिंड कहा जाता है।
सूर्य से दूरी के अनुसार तीसरा और आकार के अनुसार पृथ्वी और परिवार का पांचवा बड़ा ग्रह है शुक्र को पृथ्वी का जुड़वा ग्रह माना जाता है।
यह दोनों ध्रुवों पर कुछ दबी हुई है तथा विषुवत वृत्त पर कुछ उभरी हुई है पृथ्वी पर जीवन होने के कारण ही इसे जीवंत ग्रह कहा जाता है पृथ्वी का औसत तापमान 15 सेंटीग्रेड है जो जीवन के लिए आदर्श है
पृथ्वी की ऊपरी ठोस परत जिस पर हम रहते हैं उसे स्थलमंडल या भूमंडल कहा जाता है पृथ्वी के चारों ओर जो गैसों का आवरण उसे वायुमंडल का जाता है
पृथ्वी को जलगृह या नीला ग्रह भी कहा जाता है महासागरों का जल खारा होता है।
पृथ्वी के परिमंडल के रूप में जैवमंडल की उत्पत्ति हुई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं वैसे ही ग्रहों की परिक्रमा करने वाले छोटे आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहा जाता है। पृथ्वी का केवल एक ही उपग्रह चंद्रमा है बुध और शुक्र के कोई उपग्रह नहीं है।
शनि के उपग्रह टाइटन पर पृथ्वी की तरह सघन वायुमंडल है उसके वायुमंडल की प्रमुख गैस नाइट्रोजन है।
पृथ्वी का सबसे नजदीकी गोलाकार आकाशीय पिंड चंद्रमा है चंद्रमा की तुलना में पृथ्वी लगभग 81 गुना बढ़ी है।
सूर्य से प्राप्त प्रकाश की किरणें चंद्रमा से परिवर्तित होकर पृथ्वी पर आती है उसे हम चांदनी कहते हैं चंद्रमा का पूर्ण प्रकाशित भाग पृथ्वी के सामने आता है इसे भारत में पूर्णिमा कहते हैं।
अप्रकाशित भाग पृथ्वी के सामने होता है उसे अमावस्या कहते हैं। पूर्णिमा से अमावस्या तक चंद्रमा का यह प्रकाशित भाग घटता जाता है एवं अमावस्या से पूर्णिमा तक यह बढ़ता जाता है। चंद्रमा की इन घटती – बढ़ती आकृतियों को ही चंद्र कलाएं कहा जाता है बढ़ते चांद के पखवाड़े को शुक्ल पक्ष एवं घटते चांद के पखवाड़े को कृष्ण पक्ष कहा जाता है
चंद्रमा को अपने अक्ष पर घूमने में लगभग 29 दिन एवं पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने में 27 दिन लगते हैं।
मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच एक पट्टी में स्थित परिक्रमा करने वाले असंख्य छोटे पिंडों को क्षुद्र ग्रह या अवांतर ग्रह कहते हैं।
सेरेस इसका प्रमुख उदाहरण है। उल्काएॅ, धूमकेतु या शुद्र ग्रह से टूटे हुए टुकड़े हैं जो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से धरती की ओर खींचे चले आते हैं। वायुमंडल से घर्षण के कारण वे जलने लगते हैं और नष्ट हो जाते हैं। जिन्हें हम टूटते तारे कहते हैं पिंडों के रूप में पृथ्वी से टकरा जाती है इस स्थिति में इसे उल्कापिंड भी कहा जाता है।