विधायिका में कितने सदस्य होते हैं? भारत की विधायिका दो सदनों से मिलकर बनी होती है – लोकसभा और राज्यसभा। दोनों सदनों में विभिन्न संख्या में सदस्य होते हैं। इस लेख में हम भारत की विधायिका में सदस्यों की संख्या के बारे में विस्तार से जानेंगे।
लोकसभा भारत की लोकतंत्र में जनता के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुनी गई लोकतंत्रीय संस्था है। लोकसभा की कुल सीटों की संख्या 543 है। इसमें से 530 सीटें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अनुसार वित्तीय और जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग संख्या में तय की जाती हैं। बची हुई 13 सीटें अनुच्छेद 331 के अनुसार भारत के अधिकृत भाषाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित होती हैं। लोकसभा के सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होता है।
दूसरी ओर राज्यसभा एक सदन है जो भारत के राज्यों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है। राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 है। इसमें से 233
सदस्योंको राज्यों के आधार पर वित्तीय और जनसंख्या के आधार पर चुना जाता है जबकि बची हुई 12 सीटें प्रधानमंत्री द्वारा नामित अतिरिक्त सदस्यों के लिए आरक्षित होती हैं।
लोकसभा और राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 788 होती है। इन सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होता है और ये सदस्य जनता की अधिकांशता द्वारा चुने जाते हैं।
भारत में विधायिका एक महत्वपूर्ण संस्था है जो लोकतंत्र के संरक्षण और उसके विकास में अहम भूमिका निभाती है। इसकी मुख्य दायित्वों में से एक है संविधान के अनुसार नये कानूनों का निर्माण करना और उनके संशोधन करना। इसके अलावा विधायिका को बजट पास करने और विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर विचार करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विधायिका देश की जनता के हित में नये कानून बनाती है जो समाज और राष्ट्र के विकास में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा, यह लोकतंत्र के तीन बुनियादी
स्तंभ जिन्हें लोकतंत्र का स्तंभ कहा जाता है, यानी संविधान, संसद और न्यायपालिका के बीच तंत्र को बनाए रखती है। इसलिए यह जरूरी होता है कि विधायिका संविधान के संरक्षण और विकास के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे ताकि देश के विकास में उसकी भूमिका सफलतापूर्वक निभा सके।
इस आलेख में हमने देखा कि भारत में विधायिका में कितने सदस्य होते हैं और इनकी कार्यकाल अवधि क्या होती है। विधायिका देश के लोकतंत्र के संरक्षण और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह नए कानून बनाने और उन्हें संशोधित करने के लिए जिम्मेदार होती है। इसके अलावा, इसे बजट पास करने और विभिन्न मुद्दों पर विचार करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसलिए, विधायिका को देश के विकास में अहम भूमिका निभाने का बड़ा जिम्मेदारी सौंपा गया है।
आशा है कि आपको यह आलेख उपयोगी और समझ में आया होगा। धन्यवाद।